- सबसे अधिक पानी की बर्बादी पाइप लीकेज और पब्लिक की टंकियों से

- शहर में 68 प्रतिशत एरिया में यह है बर्बादी का आंकड़ा

GORAKHPUR: देश इन दिनों पानी के संकट से का संकट खड़ा हो रहा है, सरकार हो या जागरुक करने वाली संस्थाएं, सभी लोगों को बूंद-बूंद पानी बचाने के लिए कह रही हैं। मगर गोरखपुर नगर निगम और पब्लिक की लापरवाही से डेली ढाई करोड़ लीटर पीने वाला पानी नाले, नालियों और सड़कों पर बहकर बर्बाद हो जा रहा है। शहर में डेली एक दर्जन से अधिक स्थानों पर लीकेज की प्रॉब्लम बनी रहती है, जबकि घरों में भी लोग पानी बचाने के लिए कोई उपाय नहीं कर रहे हैं।

पुरानी पाइप लाइन है कारण

गोरखपुर को नगर निगम की श्रेणी में शामिल होने के बाद 1990 से शहर में पानी सप्लाई के लिए पाइप लाइन बिछाने का काम शुरू हुआ। उस समय लगभग 600 किमी लंबी पाइप लाइन बिछाई गई। आज भी पानी सप्लाई इन्हीं पाइप लाइनों से हो रही है। इसमें 400 किमी पाइप लाइन आज भी लोगों के घरों में पानी सप्लाई किया जा रहा है। सालों पुरानी लगी यह 400 किमी लंबी पाइप लाइन होने के कारण अक्सर फट जाती है, जिसके कारण पानी लीकेज होने लगता है। इससे सबसे अधिक पानी की बर्बादी होती है। पहले ही गंदा पानी रोड या नाले में बहता है और वहीं अगर सप्लाई चालू नहीं रहती है तो नाले का गंदा पानी पाइप में चला जाता है और जब यह पानी लोगों के घरों में पहुंचता है तो उसको साफ करने के लिए लोग कई मिनट तक टोटी को खुला छोड़ देते हैं।

शुद्ध पानी की भीषण कमी

शहर में शुद्ध पानी की किल्लत शुरू हो गई है। जलकल विभाग के आंकड़ों पर नजर डाले तो औसत मानक प्रति व्यक्ति को प्रति दिन 3.50 लीटर पानी की आवश्यकता पड़ती है। इस तरह देखें तो शहर की 13 लाख की आबादी को प्रतिदिन 45.5 लाख लीटर शुद्ध पानी की आवश्यकता पड़ेगी, जबकि जलकल विभाग डेली 30 लाख लीटर पानी की सप्लाई कर रहा है। इस तरह शहर में डेली 15 लाख लीटर पानी की कमी हो रही है। इसकी पूर्ति लोग खरीदकर या अशुद्ध पानी से पूरा कर रहे हैं। जलकल विभाग का यह भी कहना है कि हम लोगों के 30 प्रतिशत पाइप लाइन 1990 के लगभग बिछाई गई है। जो अक्सर टूट जाती है। जिसके प्रति दिन 25 से 30 प्रतिशत पानी सड़कों और नालियों में बहकर बरबाद हो जाता है।

पानी बरबादी के कारण

- पाइप लीकेज

- टैंकर में ओवरफ्लो पानी भरकर ले जाना

- सार्वजनिक स्थानों पर टूटी हुई टोटियां

- सार्वजनिक स्थानों पर टोटियों का बंद न होना

- जलकल के पानी टंकियों के ओवरफ्लो होना

- पाइप लाइनों में गंदे पानी की सप्लाई हो जाना

- घरों में टोटियों को खुला छोड़ देना

- घरों की टंकियां का ओवरफ्लो होना

- घरों की टोटियों का खराब हो जाना

यह है पानी सप्लाई का ढांचा

ट्यूबवेल संख्या (बडे़ और छोटे नलकूप) - 132

पेयजल उत्पादन (बडे़ और छोटे नलकूप)- 103 एमएलडी

मानक के अनुसार- (135 एलपीसीडी)

कुल पेयजल की आवश्यकता (मांग)- 145 एलपीसीडी

मांग की कमी(शार्ट फाल)- 42 एलपीसीडी

पेयजल की उपलब्धता प्रति व्यक्ति प्रतिदिन- 93.70 एलपीसीडी

ओवरहेड टैंक- 25

भूमिगत जलाशय- 1

स्टोरेज कैपेसिटी- 19460 किलोलीटर

पाइप लाइन- 1086 किमी

जलापूर्ति का कुल निर्धारित समय-12 घंटा

कुल कनेक्शनधारी- 49582

घरेलू- 47291

अघरेलू(होटल, धर्मशाला व अन्य सामाजिक स्थानों पर कनेक्शन)- 2291

शहर में डेली कम से कम 25 प्रतिशत पानी बर्बाद हो जाता है। इसमें सबसे अधिक पानी की बर्बादी पाइप के लीकेज और घरों में लापरवाही बरतने के कारण होती है।

पीके मिश्रा, एसई जलकल