-संस्था की ओर से जांच की डिमांड के बाद शासन से आई जांच

-डीडीयूजीयू, एमएमएमयूटी के बाद अब शहर में होगी दीप नारायण यूनिवर्सिटी

- प्राइवेट संस्था के हाथों में होगी कमान, सिद्धार्थ यूनिवर्सिटी के वीसी की अध्यक्षता में बनी 6 सदस्यीय कमेटी

GORAKHPUR: एजुकेशन की फील्ड में गोरखपुराइट्स लगातार जलवा बिखेर रहे हैं। शहर में दो यूनिवर्सिटीज हजारों स्टूडेंट्स के सपनों को पूरा करने के लिए अहम रोल अदा कर रही हैं। इसमें गोरखपुर यूनिवर्सिटी में जहां जनरल स्टडीज के सभी स्टूडेंट्स एजुकेशन हासिल करने के लिए पहुंच रहे हैं, वहीं दूसरी ओर टेक्निकल फील्ड में मदन मोहन मालवीय यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी स्टूडेंट्स को नए आयाम दे रही हैं। अब जल्द एजुकेशन फील्ड में गोरखपुर को और मजबूती मिलने वाली है। शहर में तीसरी यूनिवर्सिटी के लिए कवायद शुरू हो चुकी है। सब कुछ ठीक रहा तो जल्द शहरवासियों को तीसरी यूनिवर्सिटी की सौगात मिल जाएगी, जिससे कई और स्टूडेंट्स को बाहर पैसा खर्च कर अपनी स्टडी पूरी नहीं करनी पड़ेगी।

प्राइवेट यूनिवर्सिटी का है प्रपोजल

गोरखपुर यूनिवर्सिटी और एमएमएमयूटी के बाद शहर में दीप नारायण यादव यूनिवर्सिटी बनाने की कवायद शुरू हो चुकी है। शासन स्तर से कागजी कार्रवाई पूरी कर मानवीर एजुकेशनल वेलफेयर टेस्ट ने शासन के पास प्रपोजल भेजा था, जिसके बाद इस यूनिवर्सिटी के सपनों को पंख लगने लग गए हैं। इस मामले में शासन ने शहर के जिम्मेदारों को इसका स्थलीय निरीक्षण कर रिपोर्ट शासन भेजने के निर्देश दिए हैं। अगर रिपोर्ट पॉजिटिव होती है तो नए साल में गोरखपुराइट्स को तीसरी यूनिवर्सिटी का तोहफा मिल जाएगा।

2008 से चल रही फाइल

गोरखपुर में तीसरी यूनिवर्सिटी बनाने के लिए 2008 से ही कोशिश चल रही है। तब यह सिर्फ एक डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी ही मौजूद थी। 6 फरवरी 2008 को इसके लिए शासन को लेटर भेजा गया। पहले फेज में शासन स्तर पर 4 जून 2015 में गोरखपुर यूनिवर्सिटी के वीसी की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई। यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन ने 7 जुलाई 2015 को जांच के बाद अपनी रिपोर्ट शासन को भेज दी। 12 अगस्त 2015 को शासन से स्पांसर यूनिवर्सिटी से प्रति शपथपत्र की डिमांड की।

अगस्त में सौंपा एफिडेविट

इस मामले में संस्था ने 8 अगस्त 2016, 24 अक्टूबर 2016 और 28 नवंबर 2016 को लेटर भेजकर सभी शर्तो को पूरा करने की बात कही गई। साथ ही उन्होंने शासन से शर्तो का सत्यापन कराने के लिए अनुराध किया है। संस्था से मिले लेटर के बाद शासन ने सिद्धार्थ यूनिवर्सिटी के वीसी डॉ। रजनीकांत पांडेय की अध्यक्षता में एक कमेटी फॉर्म की है, जिसमें संयुक्त सचिव उच्च शिक्षा, एफओ गोरखपुर यूनिवर्सिटी, डीएम की ओर से नामित एक एडीएम, डीएम का नामित एक पीडब्ल्यूडी का इंजीनियर मेंबर हैं। वहीं, क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी सदस्य सचिव हैं।

शुरू हो चुकी है कार्रवाई

यूनिवर्सिटी बनाने के लिए कार्रवाई काफी तेजी से चल रही है। इस संबंध में यूनिवर्सिटी के स्थलीय निरीक्षण के लिए एडीएम सिटी को जिम्मेदारी सौंप दी गई है। एडीएम की जांच में अगर सब कुछ ठीक मिलता है, तो गोरखपुराइट्स को जल्द ही नई यूनिवर्सिटी की सौगात मिल जाएगी।