गोरखपुर (ब्यूरो)।बीत रहे 2022 में हर घर तिरंगा, ड्रोन शो और शहरों का हैप्पी बर्थ डे मनाने का संकल्प इसका उदाहरण हैं। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आकर पूरे गोरखपुर को गौरवांवित किया। 'गीताÓ के कदम पड़े तो चिडिय़ाघर में पर्यटक भी प्रफुल्लित हो उठे। बैडमिंटन खिलाड़ी आदित्या यादव की मौन मेहनत ने गोरखपुर का वैश्विक शोर मचाया। बड़े औद्योगिक निवेश ने गोरक्षनगरी का गर्व बढ़ाया, तो कारोबार जगत पूरे साल गोरखपुर के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहा। सर्वार्थसिद्ध योग में नए साल के प्रवेश के साथ हम सब गोरखपुर को ब्रैंड गोरखपुर बनाएंगे। उससे पहले आज 2022 की बड़ी बातें, और अफसरशाही के प्रयोगों के खट्टे-मीठे अनुभव जो गोरखपुर और हम सबको आगे बढऩे की प्रेरणा और संबल देंगी। इसी के साथ 2022 को गोरखपुर की ओर से बाय-बाय।
1. गोरखपुर को मिली बीएसएल थ्री लैब
आईसीएमआर ने रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर (आरएमआरसी) गोरखपुर को मोबाइल बायोसेफ्टी लेवल-थ्री (बीएसएल-थ्री) लैब दी है। इसके आने से पूर्वांचल में होने वाली बैक्टेरियल और वायरल इंफेक्शन वाली बीमारियों की सैैंपलिंग स्पॉट पर हो सकेगी। इस आधुनिक लैब को देश के किसी भी हिस्से में ले जाकर सैैंपलिंग कर बीमारियों का पता लगाया जा सकेगा। खास बात यह है कि बस में बनाई गई इस लैब में जांच और शोध संक्रमित क्षेत्रों में जाकर हो सकेंगे। लैब में टीबी, जापानी इंसेफेलाइटिस, कैंसर, कोरोना जैसी गंभीर बीमारियों की जांच भी मौके पर हो सकेगी।
2. पेशेंट के ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन शुरू
घर बैठकर आप आभा एप के माध्यम से क्यूआर कोड स्कैन करके अस्पतालों में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करा सकेंगे। यह सुविधा मेडिकल कॉलेज के बाद अब जिला अस्पताल और गोरखपुर एम्स में शुरू कर दी गई है। इससे गोरखपुर जिला अस्पताल में आने वाले मरीजों को घंटों लाइन में नहीं लगना पड़ रहा है। एसआईसी राजेंद्र कुमार ठाकुर ने बताया, इसके लिए गूगल प्ले स्टोर से आभा एप (आयुष्मान भारत डिजीटल मिशन) अपने मोबाइल फोन में डाउनलोड करके इसका लाभ ले सकते हैैं।
3. ट्रॉमा सेंटर के लिए जद्दोजहद
एक्सीडेंट में घायल होने वाले राहगीरों के लिए व गंभीर मरीजों के लिए बनाए जाने वाले ट्रॉमा सेंटर का निर्माण कार्य प्रारंभ हो गया है। जबकि पूरे साल भर इसके लिए हेल्थ डिपार्टमेंट और फॉरेस्ट डिपार्टमेंट में तनातनी चलती रही, लेकिन जिला प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की तरफ से पेड़ कटवाए गए और उसके बाद निर्माण कार्य शुरू हो सका।
60 करोड़ रुपए से 100 बेड का ट्रॉमा सेंटर बनेगा।
4. लाइट मेट्रो के लिए लंबा होता इंतजार
गोरखपुर में लाइट मेट्रो चलाने की कवायद जारी है। 4600 करोड़ रुपए के अनुमानित प्रोजेक्ट में जर्मन बैंक 55 परसेंट यानी 2500 करोड़ रुपए निवेश करेगी। इसमें 20 परसेंट धनराशि केंद्र सरकार देगी। ये प्रोजेक्ट शुरू होने के साथ ही गोरखपुर भी मेट्रो सिटी वाले महानगरों की श्रेणी में शुमार हो जाएगा। गोरखपुर में मेट्रोलाइट रेल परियोजना के तहत शहर में तीन बोगियों वाली मेट्रो चलेगी। मेट्रो के दोनो मार्ग एलीवेटेड यानी खंभों पर बनाए जाएंगे। बताया गया है कि कैबिनेट की अप्रूवल के बाद इसके केंद्र की अनुमति के लिए भेजा गया है। फाइल अभी सेंट्रल लेवल पर है।
4600 करोड़ रुपए खर्च होंगे लाइट मेट्रो में
5. नहीं शुरू हो सका कलेक्ट्रेट का निर्माण कार्य
कलेक्ट्रट परिसर में बनाई जाने वाली नई बिल्डिंग के लिए शासन-प्रशासन की तरफ से कवायद जारी है, लेकिन 2022 में निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका। जबकि कलेक्ट्रेट की नई इमारत की डिजाइन में बदलाव कर दिया गया है। इसके लिए नए सिरे से डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार कर शासन को भेजी गई है। नई इमारत पहले तीन मंजिल की प्रस्तावित थी, जिसे अब छह मंजिल बनाया जाएगा। डीएम कृष्णा करुणेश कलेक्ट्रेट की नई इमारत की डिजाइन प्रस्तुत कर चुके हैैं। इसे देखने के बाद सीएम ने नई इमारत में ही बीएसए और डीआईओएस जैसे अन्य जिलास्तरीय महत्वपूर्ण विभागों का कार्यालय भी शिफ्ट करने का निर्देश दिया है।
2022 में नहीं शुरू हो सका कलेक्ट्रेट का निर्माण
6. ट्विटर कंप्लेन में फेल
बिजली विभाग की तरफ से ऑनलाइन कंप्लेंट की शुरुआत जोर-शोर से हुई, लेकिन धीरे-धीरे दम तोडऩे लगी। ट्विटर पर आने वाली शिकायतों के निस्तारण में गोरखपुर का बिजली विभाग सफल नहीं साबित हुआ। जबकि कंज्यूमर्स की सुविधा के लिए ऑनलाइन व्यवस्था दी गई, ताकि उर्जा मंत्री, यूपीपीसीएल के एमडी और चीफ इंजीनियर गोरखपुर आदि अधिकारियों ट्विटर पर टैग कर समस्या का समाधान पाया जा सके। लेकिन यह सुविधा पब्लिक को लाभ नहीं दे सकी।
7. चुनाव से शुरू, चुनावी चर्चा से हो रहा खत्म
साल 2022 की शुरुआत में विधानसभा चुनाव पूरे जोर-शोर पर था। कुछ लोग पहली बार जीतकर विधानसभा पहुंचे। साल खत्म होने को फिर नगरीय चुनाव के बीच चर्चा का माहौल गर्म है। ओबीसी आरक्षण के कारण मामला हाईकोर्ट में चले जाने और शासन द्वारा निर्णय लेने के इंतजार में भावी प्रत्यासी भी राजनीतिक समीकरण में उलझते रहे। इस प्रकार राजनीति के क्षेत्र में साल के प्रारंभ और अंत में चुनावी माहौल बना रहा। बीजेपी के क्षेत्रीय महामंत्री प्रदीप शुक्ल ने सहजनवां विधानसभा से चुनाव जीता। इसी तरह क्षेत्रीय अध्यक्ष डॉ। धर्मेंद्र सिंह एमएलसी बनाए गए।
2 नेतागण पहली बार सदन पहुंचे
8. कियाकिंग की सौगात
गोरखपुराइट्स की पसंदीदा जगह रामगढ़ताल में सुविधाएं बढ़ती जा रही हैैं। साल 2022 में पब्लिक का खास ख्याल रखते हुए कियाकिंग का संचालन शुरू किया गया। राष्ट्रीय स्तर केतैराकों के समूह को संचालन की जिम्मेदारी दी गई। तैराकों ने अपनी देखरेख में लोगों को 15 मिनट तक ताल की सैर कराना शुरू कराया। जीडीए ने पांच कयाक (एक प्रकार की नाव, जिसमें एक या दो लोग बैठकर चप्पू के सहारे उसे चलाते हैं) मंगाई हैं। राष्ट्रीय स्तर के तैराकों का समूह डाल्फिन रोविंग क्लब बनाकर इसका संचालन कर रहे हैं। 15 मिनट के लिए 100 रुपए शुल्क निर्धारित है।
5 कयाक जीडीए ने मंगाई हैं
9. इलेक्ट्रिक बस दौड़ रहीं, टूरिस्ट बस खड़ीं
सिटी में पब्लिक को सस्ता और सुरक्षित सफर कराने के लिए विभिन्न रूटों पर 25 इलेक्ट्रिक बसों का संचालन कराया जा रहा है। बसों के चलने से लोगों को काफी सहूलियत मिली है, लेकिन पर्यटकों के लिए मंगाई गई दो विशेष इलेक्ट्रिक बस अभी तक नहीं चलाई जा सकी हैं। 12 मीटर लंबी इस बस में एक साथ 54 लोग सफर कर सकते हैं। साथ ही कई आधुनिक सुविधाओं से ये बस लैस हैं। 15 दिसंबर को महेसरा बस डिपो में दो टूरिस्ट बसों का ट्रायल किया गया। खिचड़ी मेले में इन बसों का संचालन किया जाएगा। इस बसों को एयरपोर्ट से रामगढ़ताल, नौकायन होते हुए चिडिय़ाघर तक चलाने की योजना है।
25 इलेक्ट्रिक बसों का संचालन विभिन्न रूट पर हो रहा।
10. गोरखपुर-काठमांडू बस को हरी झंडी का इंतजार
गोरखपुर-काठमांडू बस संचालन के लिए सिर्फ तारीख पर तारीख मिल रही थी। परिवहन निगम की ओर से दशहरा और दीपावली पर बस चलाने के लिए तारीख फिक्स की गई, लेकिन फाइनल डेट नहीं मिल सकी। इसी का नतीजा रहा कि 2022 में इंटरनेशन बस सेवा का शुभारंभ नहीं किया जा सका। परिवहन निगम के तमाम कवायद के बाद अब नये साल में गोरखपुर-काठमांडू बस सेवा को चलाने की उम्मीद जगी है। बताया जा रहा है कि 4 जनवरी को सीएम योगी आदित्यनाथ बस को हरी झंडी दिखाकर रवाना कर सकते हैं।
4 जनवरी को सीएम योगी बस को दिखा सकते हैं हरी झंडी
11. नहीं रास आ रहा पीपीपी मॉडल
पीपीपी मॉडल पर बस स्टेशन के निर्माण की तैयारी छह वर्ष से हो रही है, लेकिन अभी तक किसी कंपनी या फर्म ने रुचि नहीं दिखाई। स्टेशन के नवनिर्माण पर करोड़ों खर्च किए जाने हैं। मुख्यालय के इंजीनियर्स की टीम ने गोरखपुर बस स्टेशन का सर्वे भी किया था, लेकिन टेंडर में किसी ने रुचि नहीं दिखाई। हालांकि अब अफसरों ने हाटेक बस स्टेशन बनाने की कवायद शुरू कर दी है। इसके लिए लगभग 92 करोड़ का टेंडर निकाला है। उम्मीद है कि जल्द टेंडर फाइनल होने के बाद बस स्टेशन का कायाकल्प किया जा सकेगा।
92 करोड़ रुपए का टेंडर पुन: निकाला गया है
12. स्वच्छता रैंकिंग के जोर आजमाइश
सेंट्रल गवर्नमेंट के वार्षिक स्वच्छ सर्वेक्षण 2022 में गोरखपुर नगर निगम स्टेट में सातवें पायदान पर रहा। देश में गोरखपुर को 74वीं रैंक मिली है। कुल 60000 मार्क में गोरखपुर में 4454 मार्क मिले। जनवरी से मार्च के बीच हुए स्वच्छता सर्वेक्षण में कूड़ा निस्तारण पर सर्वाधिक जोर रहा। नगर निगम के अफसरों का कहना था कि डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन पर विशेष जोर रहा। इस वजह से सड़कों कम कूड़ा आता है और शहर स्वच्छ दिखता है। हालांकि 2023 की तैयारियों को देखकर रैंकिंग में सुधार मुश्किल नजर आता है। नगर निगम की ओर से चार जगह पिंक टॉयलेट बनवाए गए हैं। जबकि छह जगह और प्रस्तावित हैं। इसमें दो निर्माणाधीन हैं और चार जगह काम शुरू नहीं हो सका है।
(7वीं रैंक 2022 के स्वच्छ सर्वेक्षण में आई थी)
13. नैक में ए ग्रेड और प्लेसमेंट में एमएमएमयूटी ने बनाया रिकॉर्ड
मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के लिए 2022 उपलब्धियों भरा रहा। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एमएमएमयूटी को एक बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। विश्वविद्यालय को नैक (नेशनल एसेसमेंट एंड एक्रीडेशन काउंसिल) ने मूल्यांकन के बाद 'एÓ ग्रेड दिया। इसके साथ ही यह विश्वविद्यालय प्रदेश का पहला ऐसा राज्य विश्वविद्यालय बन गया है, जिसे 'एÓ ग्रेड हासिल करने में सफलता मिली है। इसी तरह 2022 बैच के बीटेक, एमटेक, बीबीए, एमसीए, एमबीए समेत सभी फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स को कैंपस प्लेसमेंट के जरिए जॉब दिलाने में भी एमएमएमयूटी सबसे आगे रहा है। यहां 1000 से अधिक स्टूडेंट्स का कैंपस प्लेसमेंट के जरिए बड़ी-बड़ी कंपनियों में अच्छे पैकेज पर सेलेक्शन हुआ है।
(1000 से अधिक स्टूडेंट्स का कैंपस प्लेसमेंट के जरिए बड़ी कंपनियों में सेलेक्शन हुआ)
14. ऑपरेशन त्रिनेत्र से सुरक्षित होता शहर
गोरखपुर में ऑपरेशन त्रिनेत्र अभियान की शुरुआत एडीजी अखिल कुमार ने की है। इस अभियान के अंतर्गत शहर के साथ ही रूरल एरियाज में भी सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं। गोरखपुर को सुरक्षित करने के लिए एडीजी की इस पहल की शहरवासी भी सराहना कर रहे हैं। घर-घर भी लोग खुशी-खुशी सीसीटीवी कैमरे लगवा रहे हैं। जिले में अब तक 6690 घरों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जा चुके हैं। वहीं इधर कई आपराधिक घटनाओं को खोलने में भी तीसरी आंख का रोल अहम रहा है।
(6690 कैमरे ऑपरेशन त्रिनेत्र के तहत लगवाए गए हैं.)
15. पब्लिक अप्रूवल सिस्टम से सुधरी पुलिस
गोरखपुर पुलिस ने जिले के सभी थानों की कार्यप्रणाली जानने के लिए पब्लिक अप्रुवल सिस्टम शुरू किया। इसमे पब्लिक से पांच पिलर्स पर फीडबैक लिया जा रहा है। हर माह सभी थानों की रैंकिग जारी होती है। इसमे खराब परफॉर्मेंस करने वाले थानों को वार्निंग भी दी जाती है, ताकि वे अगली बार पब्लिक को संतुष्ट करेें, जिससे उनकी रैंकिग अच्छी हो सके। इस अभियान का रिजल्ट ये रहा कि पुलिस थानों पर एफआईआर लिखने लगी।
(2022 अप्रैल से पब्लिक अप्रूवल सिस्टम की शुरुआत हुई है.)
16. इमरजेंसी में संजीवनी बना ग्रीन कॉरिडोर
गोरखपुर में एक कॉल पर शहरवासी एक जगह ठहर जाते हैं। यहां सड़क पर ग्रीन कारिडोर बनाकर इमरजेंसी में मरीजों की जान बचाई जा रही है। पब्लिक के सपोर्ट से ही यह पॉसिबल हो पा रहा है। पहले सड़क पर एंबुलेंस फंसने की वजह से कई लोगों की जान चली जाती थी। अब तक ग्रीन कारिडोर के जरिए कई जिंदगियां बचाई जा चुकी हैं। ये सुविधा केवल गंभीर मरीजों को मिलती है, जिनकी जरा भी लेट होने पर जान जा सकती है। इसके अलावा नार्मल मरीजों के लिए ये सुविधा नहीं है।
(20 से अधिक बार ग्रीन कॉरिडोर बने हैं.)
17. पर्ची सिस्टम से न्याय देने की कवायद
गोरखपुर एसएसपी डॉ। गौरव ग्रोवर ने पर्ची सिस्टम की शुरुआत की। इसके अंतर्गत पुलिस ऑफिस में कोई भी फरियादी आता है तो सबसे पहले उसकी फोटो खींची जाती है। इसके बाद फरियादी फोटोयुक्त पर्ची लेकर अधिकारी से मिलता है। इससे फर्जी कंप्लेन कम हो गई। वहीं जो फरियादी आ रहे हैं, उनका एक रिकॉर्ड रहता है। एसएसपी खुद फरियादियों को कॉल करके ये पूछते हैं कि उनका मामला निस्तारित हुआ या नहीं। इससे पुलिस ऑफिस में अब फरियादियों की भीड़ भी घटी है।
(8551 फरियादियों को पर्ची के जरिए सूचीबद्ध किया गया है.)
18. डिजिटल हुए गोरखपुर के स्कूल
गोरखपुर के अधिकतर स्कूल अब पूरी तरह डिजिटल हो चुके हैं। यहां सीबीएसई और आईसीएससीई स्कूल कोरोना काल झेलने के बाद खुद को डिजिटल रूप से भी मजबूत किया है। अब स्कूलों में क्लास चलती है। साथ ही बच्चों का वाट्सएप ग्रुप हमेशा आपातकाल के लिए तैयार रहता है। कभी भी कोई आपातकाल स्थिति में स्कूल बंद रखकर भी पढ़ाई जारी रख सकते हैं। इतना स्कूलों ने खुद को हाइटेक बना लिया है।
(2700 से अधिक स्कूल विभिन्न बोर्ड के गोरखपुर में हैं.)
19. ड्राइविंग लाइसेंस में दगा देता रहा सर्वर
ड्राइविंग और लर्निंग लाइसेंस बनाने की सहूलियत के लिए परिवहन विभाग की ओर से ऑनलाइन सुविधा तो शुरू हुई, लेकिन हर बार सर्वर दगा दे रहा है। सर्वर धीमा चलने से ड्राइविंग लाइसेंस के आवेदकों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वहीं, विभाग के जिम्मेदारों को काम निपटाने के लिए देर शाम तक काम करना पड़ता है। आरटीओ के आरआई राघव कुशवाहा ने बताया कि सर्वर की प्रॉब्लम आए दिन बनी रहती है। सर्वर बहुत धीमा चल है तो कभी-कभी सर्वर चलते-चलते बंद हो जाता है। वहीं ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने आ रहे लाइसेंस के आवेदकों को दिक्कतें उठानी पड़ती है। टेस्ट और दस्तावेज के सत्यापन के लिए उन्हें घंटों इंतजार करना पड़ता है।
(35 लर्निंग और 55 परमानेंट डीएल डेली बनाने का दावा है)
20. धुरियापार तक होगा गीडा का विस्तार
गोरखपुर के इंडस्ट्रियल एरिया का विस्तार धुरियापार तक होगा। गीडा धुरियापार में न्यू इंडस्ट्रियल टाउनशिप बनाएगा। 5754 एकड़ में बनने वाली इस न्यू इंडस्ट्रियल टाउनशिप में रेजिडेंशियल, कॉमर्शियल, इंडस्ट्रियल, ट्रांसपोर्टेशन की सुविधाएं मिलेंगी। गोला तहसील के अंतर्गत आने वाले धुरियापार के 18 ग्राम में इंडस्ट्रियल एरिया डेवलप किया जाएगा। 5754 एकड़ में न्यू इंडस्ट्रियल टाउनशिप का मास्टर प्लान तैयार कर लिया गया है। इस टाउनशिप में विभिन्न भूमि का उपयोग किया जाएगा। इसमें इंडस्ट्री, व्यावसायिक, आवासीय, संस्थागत, पब्लिक-सेमी पब्लिक एवं ट्रांसपोर्टेशन, लॉजिस्टिक हब बनाए जाएंगे। इंडस्ट्रियल टाउनशिप में करीब 1843 एकड़ में उद्योग लगेंगे और इनके जरिए 10,000 से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा।
1843 एकड़ में बनने वाली इंडस्ट्रियल टाउनशिप में उद्योग लगेंगे
21. कारोबार जगत में रही हलचल
2022 में कस्टमर्स को कारोबार जगत से बड़े ऑफर मिले। सबसे बड़ा तोहफा ऐश्प्रा समूह की ओर से दिया गया। एक अक्टूबर से 21 अक्टूृबर तक चले ज्वेलरी फेस्टिवल में गोरखपुर, बस्ती, पडरौना, देवरिया, आजमगढ़ और बलिया के कस्टमर्स ने सात बलेनो कार जीतीं। डायरेक्टर अतुल सराफ ने कहा, यह पूर्वांचल का सबसे बड़ा सेलिब्रेशन था। इसके बाद राज्य कर विभाग की ओर से जीएसटी की छापेमारी शुरू हुई तो प्रतिष्ठानों के शटर गिर गए और टैक्स ऑफिसर्स को भी अलग-अलग स्थानों पर विरोध का सामना करना पड़ा।
7 बलेनो कार जीतकर कस्टमर्स ने धूमधाम से मनाई दिवाली