गोरखपुर (ब्यूरो)। अगर आप लिखकर कोई फेस बनाने को कहें तो यह उसे भी बना देगा। एआई बस एक क्लिक में किसी सैड फेस को स्माइल करता हुआ दिखा सकता है। वहीं दूसरी तरफ इसका इस्तेमाल बड़ी संख्या में गलत कामों में भी किया जा रहा है। एआई टेक्नोलॉजी का यूज़ करके मीडिया फाइल जैसे फोटो, ऑडियो और वीडियो को कन्वर्ट करके डीपफेक बना दिया जाता है, इसमें असली और नकली की पहचान बेहद मुश्किल होती है। यह बिल्कुल रीयल की तरह ही दिखती है।
कई एप्स खतरा
सिंथेसिया, विदनोज़ और हुडेम जैसी कई एप हैं जिनकी मदद से डीपफेक बनाया जा सकता है। वैसे यह लोगों के लिए मुफ्त नहीं है और इसके लिए सब्सक्रिप्शन लेना पड़ता है। इसके सबसे सस्ते 100 क्रेडिट पैक की कीमत 30 अमेरिकन डॉलर होती है। कई बार इन एप्स का यूज़ करके लोग दूसरों की फ़ोटोज़ को एडिट करके न्यूड फोटो या वीडियो बनाने में भी कर रहे है और सबसे ज्यादा इसकी शिकार होती हैं महिलाएं खास बात है कि ऐसी वीडियो बहुत तेजी से वायरल भी हो जाती है। ये एप्स अब कई लोगों के लिए चिंता का विषय बन गई हैं।
यहां से चुराते हैं फोटोज
ऐसे में सोशल मीडिया पर अपनी तस्वीर पोस्ट करने वाली महिलाओं के लिए यह काफी खतरनाक साबित हो सकता है, क्योंकि कोई भी शख्स आपकी फोटो झट से चुराकर उसका गलत इस्तेमाल कर सकता है।
वीडियो से ब्लैकमेल
साइबर क्रिमिनल्स एआई की मदद से लोगों की डीपफेक न्यूड फोटो और वीडियो बनाते हैं। फिर वॉट्सऐप के जरिए उन्हें ब्लैकमेल करते हैं। आए दिन किसी ना किसी बॉलीवुड स्टार या राजनेता का डीपफेक वीडियो वायरल होता रहता है। सिर्फ सेलिब्रिटीज ही नहीं बल्कि आम लोग भी डीपफेक टेक्नोलॉजी का शिकार बनते हैं। साइबर अपराधी एआई एप की मदद से बनाई गई डीपफेक तस्वीरें और वीडियो को वॉट्सएप पर भेजकर ब्लैकमेल करते हैं। साइबर क्रिमिनल्स मासूम लोगों को न्यूड वीडियो वायरल करने की धमकी देते हैं और उन्हें डिलीट करने के बदले पैसे मांगते हैं।