- जाड़े में सड़क किनारे तड़प रहे मानसिक रोगी
- डीएम दफ्तर के सामने दिन भर तड़पती रही बुजुर्ग
GORAKHPUR: शहर में लावारिस हाल भटकने वाले मानसिक रोगी मदद के अभाव में तड़प रहे हैं। जाड़ा बढ़ने के साथ ही मानसिक रोगियों की प्रॉब्लम बढ़ने लगी है। मंगलवार को कलक्ट्रेट के दो नंबर गेट पर लावारिस हाल बुजुर्ग महिला दर्द से कराहती रही। लेकिन कलेक्ट्रेट में आने जाने वाले किसी ने उसकी सुधि नहीं ली। उधर जिला अस्पताल में एडमिट बुजुर्ग महिला की मदद के लिए समाजवादी एंबुलेंस नहीं पहुंची। लोगों ने उसे किसी तरह से रेलवे स्टेशन पर पहुंचाया लेकिन रेलवे के जिम्मेदार बुजुर्ग की मदद के लिए व्हील चेयर तक नहीं दे सके।
कलेक्ट्रेट गेट पर तड़पती रही
मंगलवार को छुट्टी होने के बावजूद कलेक्ट्रेट कैंपस में चहल पहल बनी रही। अफसरों की गाडि़यां गेट से फर्राटा भरते हुए आ जा रही थीं। दो नंबर गेट के पास ही नाली निर्माण के लिए गिट्टियों का ढेर लगा हुआ है। उसी ढेर पर करीब 70 साल की एक बुजुर्ग महिला लेटी थी। उसके पैरों में घाव के चलते अगल-बगल मक्खियां भिनभिना रही थी। दर्द के चलते वह कराह रही थी। उसकी हालत देखकर कुछ लोग स्मैकिया बताते तो कुछ लोग सिस्टम को कोसते हुए आगे बढ़ जा रहे थे लेकिन कलेक्ट्रेट गेट के सामने बुजुर्ग महिला को तड़पते देखकर किसी ने अस्पताल पहुंचाने की जहमत नहीं उठाई।
न एबुलेंस मिली, न व्हील चेयर
रेलवे स्टेशन पर लावारिस हाल मिली बुजुर्ग महिला को उसकी बेटी मंगलवार को अपने साथ ले गई। स्माइल रोटी बैंक के लोगों ने उसे ट्रेन में बैठाकर विदा किया। लेकिन जिला अस्पताल में भर्ती बुजुर्ग को रेलवे स्टेशन तक पहुंचाने के लिए समाजवादी एंबुलेंस नहीं आई। नियम-कानून का हवाला देकर एंबुलेंस ने मदद से मना कर दिया। किसी तरह से रेलवे स्टेशन पहुंची बुजुर्ग को ट्रेन में बैठाने के लिए जिम्मेदारों ने व्हीलचेयर तक नहीं दी। राजस्थान के कोटा का एक कपूत अपनी बुजुर्ग मां को रेलवे स्टेशन पर छोड़ गया था। पैरों में चोट से परेशान बुजुर्ग को स्माइल रोटी बैंक के लोगों ने जिला अस्पताल में भर्ती कराया। स्माइल बैंक के लोगों ने बुजुर्ग की बेटी की तलाश करके मां के हालत की जानकारी दी। मंगलवार को गोरखपुर पहुंची बेटी अपनी मां को साथ लेकर राजस्थान लौटी।
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