- विभाग दबा लेते हैं सूचना, क्या करे जनसूचना कार्यालय
- कर्मचारियों और पार्षदों के चलते ज्यादातर काम हुए ठप
GORAKHPUR : नगर निगम में इन दिनों पार्षदों और कर्मचारियों के बीच छत्तीस का आंकड़ा है। कर्मचारियों की तालाबंदी की वजह से कई महत्वपूर्ण कार्य ठप हो गए हैं। पहले पार्षदों ने आरटीआई के तहत जानकारी न देने का आरोप लगाते हुए तालाबंदी की, फिर कर्मचारियों ने पार्षदों पर अभद्रता का आरोप लगाते हुए ताला जड़ दिया। जनसूचना कार्यालय के कर्मचारियों की मानें तो जो सूचना मांगी जाती है, उसकी जानकारी हम संबंधित विभाग को देते हैं, लेकिन वहां से कोई रिस्पांस न आने के कारण हम आरटीआई आवेदक को कोई जवाब नहीं दे पाते। आई नेक्स्ट ने इस मामले में इनवेस्टिगेट किया तो पता चला कि नवंबर ख्0क्ब् से लेकर अब तक करीब ब्00 आरटीआई एप्लीकेशन आई हैं, लेकिन ज्यादातर से जुड़ी जानकारी विभागों ने दबा रखी है।
सबसे अधिक आरटीआई कंस्ट्रक्शन डिपार्टमेंट में
जीएमसी का सबसे सक्रिय और सीधे जनता से जुड़ा हुआ डिपार्टमेंट कंस्ट्रक्शन डिपार्टमेंट है। जीएमसी सूचना विभाग की मानें तो नवंबर ख्0क्ब् से अभी तक इसी विभाग से जुड़ी लगभग क्भ्0 सूचनाएं मांगी गई हैं। निर्माण विभाग के एक जेई ने बताया कि अक्सर वार्ड बनने से लेकर अब तक कितने कार्य हुए हैं। वार्ड में निर्माण कार्य के नाम पर कितना पैसा खर्च हुआ और कितना काम हुआ, इस तरह की सूचनाएं मांगी जाती हैं।
रेंट डिपार्टमेंट भी कम नहीं
आरटीआई के तहत मांगी गई सूचना दबाने में जीएमसी का रेंट डिपार्टमेंट भी पीछे नहीं है। नवंबर ख्0क्ब् से लेकर अभी तक रेंट डिपार्टमेंट से जानकारी के लिए लगभग क्00 आरटीआई लगी है। रेंट विभाग से दुकानों से संबंधित जानकारी मांगी जाती है। जैसे दुकान किसके नाम से है और यह कब उनको आवंटित की गई है। जीएमसी सूचना विभाग की मांने तो अभी तक रेट डिपार्टमेंट ने मात्र भ्0 के लगभग सूचना दी हैं, बाकी भ्0 सूचनाएं अभी नहीं मिली हैं।
व्यक्तिगत जानकारी हो जाती है मैनेज
कई बार आरटीआई के जरिए किसी अफसर या ठेकेदार की व्यक्तिगत जानकारी तक मांगी जाती है। ऐसे में सूचना मांगने वाले और जीएमसी के बीच मैनेज गेम चलता है। जीएमसी के एक अफसर का कहना है कि ऐसी आरटीआई केवल परेशान करने के लिए लगायी जाती है। ऐसी आरटीआई से हमेशा बचने की कोशिश की जाती है।
अफसरों और कर्मचारियों के कारण कई बार जवाब देने में विलंब हो जाता है। इस बार जो जानकारी मांगी गई है, उस बारे में पता कर लेता हूं।
एसके केसरी, चीफ इंजीनियर, निर्माण विभाग