- आई नेक्स्ट टीम ने सिटी के चार स्पॉट का किया लाइव ऑपरेशन

- हर जगह वसूली में मगन नजर आई पुलिस, पैसे लेकर नो इंट्री में भी करा दी इंट्री

GORAKHPUR: शहर में सरेराह वसूली की दुकान चलती है। नो इंट्री में घुसना हो या फिर माल ढोने वाली गाडि़यों को लेकर भीड़भाड़ वाले इलाकों, हर जगह दस्तूरी देकर प्रवेश पाना आसान है। नो इंट्री में वाहनों के घुसने से जाम की नौबत आ जाती है। दुर्घटनाओं की आशंका बढ़ जाती है। आई नेक्स्ट के रीडर्स लगातार इसकी शिकायत कर रहे थे। सोमवार को आई नेक्स्ट की टीम ने पूरे मामले के खुलासे के लिए स्टिंग किया। इस दौरान पता लगा कि दिन भर पुलिसिया अमला पैसा फेंक तमाशा देख की तर्ज पर काम करता है।

सीन एक: एक

स्थान: फलमंडी चौराहा

समय: दोपहर 12.50 बजे

आई नेक्स्ट टीम तैयारी के साथ फलमंडी चौराहे पर पहुंची। वहां कुछ देर खड़े होकर गुजरने वाले वाहनों से वसूली का खेल देखा। फिर सब्जी मंडी में जाकर एक मिनी ट्रक वाले को पूरी बात बताई। वह अपने साथ केबिन में बैठाकर ले चलने को तैयार हो गया। ड्राइवर श्यामू और खलासी दिनेश के बगल में बैठकर रिपोर्टर गाड़ी से निकला। टीम के दूसरे सदस्य बाइक से फोर व्हीलर के पीछे लग गए। मंडी के मेनगेट पर पुलिस चौकी का पिकेट है। गाड़ी देखते ही पुलिस चौकी के पिकेट पर खड़ा आदमी दौड़ पड़ा। गमछे से मुंह बांधे व्यक्ति को देखते ही ड्राइवर ने गाड़ी रोक दी। खिड़की से हाथ निकालकर ड्राइवर ने चौकी से आए आदमी को 20 रुपए का नोट थमाया। पैसा लेने के बाद वह दूसरी गाडि़यों की ओर बढ़ गया। मंडी से बाहर निकलने पर ड्राइवर ने रोटी के लिए ढाबे पर गाड़ी खड़ी कर दी। फिर रिपोर्टर ने केला लादे एक छोटे वाहन को रोका। ड्राइवर को पूरा मामला समझाया। उत्पीड़न से तंग ड्राइवर ने पुलिस वालों को देने के लिए फुटकर पैसे मांगे।

सीन दो

स्थान: टीपी नगर चौराहा

समय: दोपहर 01.10 बजे

गाड़ी लेकर ड्राइवर टीपी नगर चौकी के पास पहुंचा। वहां चौराहे पर खड़ा होमगार्ड ट्रैफिक रेग्यूलेट कर रहा था। वह वाहन के करीब आया, लेकिन फिर दूसरी गाडि़यां आने से हट गया। रिपोर्टर के इशारे पर गाड़ी लेकर ड्राइवर राजघाट पुल तक पहुंचा। वहां से गाड़ी बैक करके फिर टीपी नगर ओर की चले। टीपी नगर पुलिस चौकी से सटे पुलिस कर्मचारी, ट्रैफिक पुलिस के दरोगा और होमगार्ड चेकिंग कर रहे थे। पुलिस ने गाड़ी रोक ली। फिर पीछे जाकर सामान चेक किया। माल लदा देखकर उसने सवाल पूछा कि आखिर कहां जा रहे हों। होमगार्ड ने ड्राइवर को रुपए देने का इशारा किया। ड्राइवर ने 20 रुपए देने की कोशिश की। लेकिन होमगार्ड ने कई लोगों के खड़े होने की दुहाई दी। 10 रुपए ज्यादा देकर ड्राइवर ने मामला निपटाना चाहा। लेकिन दूर खड़े ट्रैफिक दरोगा ने मामला भांप लिया। ओवरलोडिंग में वाहन का चालान कर दिया। इससे नाराज ड्राइवर ने रिपोर्टर को गाड़ी से उतार दिया। थोड़ी देर तक टीम इधर-उधर भटकती रही। फिर टीपी नगर से मोहददीपुर की ओर जा रही वाहन को टारगेट किया। लेकिन रिपोर्टर को गाड़ी में बैठाने के लिए ड्राइवर तैयार नहीं हुआ। कुछ देर बाद माल लादकर खजांची चौक जा रहे डीसीएम को ड्राइवर ने रोका। उसको पूरी कहानी बताई तो वह सौ रुपए में साथ ले जाने को तैयार हो गया।

सीन तीन:

स्थान: मोहद्दीपुर चौक

समय: शाम पांच बजे

डीएमसी वाले के साथ आई नेक्स्ट टीम ने तीसरी यात्रा शुरू की। पैडलेगंज चौराहे पर उसको किसी ने नहीं रोका। लेकिन मोहद्दीपुर चौराहे पर पहुंचते ही ड्राइवर को ब्रेक लेना पड़ा गया। चौराहे पर पुलिस ट्रैफिक रेगुलेट करने में बिजी थी। ड्राइवर ने इधर-उधर देखा तो चोटी वाला एक आदमी पहुंचा। आसपास देखकर उसने हाथ बढ़ा दिया। डीसीएम वाले ने उसको 50 का नोट थमाया। मुस्कुराते हुए आगे की ओर बढ़ गया। इस बीच ड्राइवर ने कहा कि साहब, दिन भर ऐसा चलता रहता है। हर जगह पैसा देना पड़ता है। गाड़ी का लोड देखकर पुलिस वसूली करती है। बहस करने पर पुलिस वाले गाड़ी खड़ी करा लेते हैं। इसके बाद 50 के बजाय पांच सौ गल जाता है।

सीन चार:

स्थान: कौआबाग पुलिस चौकी

समय: शाम पांच बजकर 25 मिनट

मोहद्दीपुर ओवर ब्रिज के पास पहुंचकर ड्राइवर ने गाड़ी रोक दिया। वह नेचुरल कॉल करने चला गया। ड्राइवर के लौटने तक पूरी टीम वहां खड़ी रही। लौटने के बाद ड्राइवर गाड़ी लेकर आगे बढ़ा। कौआबाग पुलिस चौकी के पास पुलिस कर्मचारी मौजूद थे। गाड़ी आगे बढ़ाकर ड्राइवर ने रोक दी। कुछ देर तक इंतजार करता रहा कि कोई पैसा लेने आए। तभी एक पुलिस वाले ने इशारा किया। ड्राइवर खुद उतरकर चौकी तक गया। वहां मौजूद पुलिस वालों को पैसे देकर आगे बढ़ गया। जेल बाईपास मुड़कर वह पादरी बाजार की जाने लगा। जेल बाई पर उतरकर रिपोर्टर अपने साथियों के साथ ऑफिस लौट आया।

हर जगह चलता है खेल

एसएसपी पुलिस की छवि सुधारने की कवायद में लगे हैं। थाना से लेकर पुलिस ऑफिस को पाक-साफ बनाने की कोशिश में लगे हैं। लेकिन उनके दिशा-निर्देशों को धता बताते हुए पुलिस कर्मचारी अपनी मनमानी पर उतारू हैं। शहर के इंट्री प्वाइंट से लेकर मंडी तक वसूली होती है। सामान लादकर शहर में घुसने वाले हर वाहन से रूपए लिए जाते हैं। रुपए न देने पर पुलिसवाले वाहन खड़ा करा देते हैं। वसूली के लिए वाहनों के हिसाब से दर तय है। 10 रुपए से लेकर कम से कम दो सौ रुपए देने पड़ते हैं।

पीछा करके ले लेते हैं रुपए

थानों, चौकियों, चौराहों और पिकेट पर मौजूद पुलिस वाले वसूली करते हैं। ड्यूटी के हिसाब से सबकी जिम्मेदारी तय होती है। कुछ जगहों पर सिपाही और होमगार्ड तो कुछ जगहों उनकी ओर से नियुक्ति कर्मचारी रुपए लेते हैं। किसी वाहन के गुजरने पर ड्राइवर ने हाथ नहीं बढ़ाया तो पुलिसवाले पीछा कर लेते है। रुपए के लिए वाहन को किनारे खड़ा करा लिया जाता है। इसके बाद मनमानी वसूली की जाती है। ड्राइवर्स का कहना है कि उनकी आदत में शामिल हो गया है। वह लोग खुद ही रुपए थमा देते हैं ताकि कोई दूसरी समस्या न खड़ी हो। नो इंट्री वाले थानों और चौकियों पर ट्रांसपोर्टर का मासिक लेनदेन भी तय होता है। इस निर्धारण चक्कर के हिसाब से वाहन चालक या मालिक करते है। हर वाहन को 15 सौ से लेकर दो हजार तक का भुगतान कम से कम करना होता है।

हर जगह तय वाहनों का रेट

ढाला टेंपो 20 रुपए से 30 रुपए

ट्रैक्टर- ट्राली 50 रुपए से 100 रुपए

पिकअप 30 से 50 रुपए

मिनी ट्रक 50 से 100 रुपए

ट्रक दो सौ से अधिक

अन्य वाहन 10 रुपए से रेट शुरू