- कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय चरगांवा में 70 छात्राओं ने सीखा निशानेबाजी का हुनर

- अचूक निशाना लगाकर फर्रूखाबाद प्री-स्टेट के टूर्नामेंट के लिए चयनित हुई सात छात्राएं

GORAKHPUR: कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय चरगांवा ब्लॉक में 7 मई से शुरू निशानेबाजी प्रशिक्षण शिविर संपन्न हो गया। आखिरी दिन महिला शूटरों ने जमकर निशानेबाजी की। छात्राओं में रिंजू, विनीता, खुशबू, किरण, कविता, कंचन व प्रियंका का निशाना सबसे अचूक रहा। इनका सेलेक्शन फर्रूखाबाद प्री-स्टेट के टूर्नामेंट के लिए हुआ है। प्रशिक्षण शिविर में छात्राओं ने 10 मीटर पिस्टल स्पर्धा में उमंग, रोमांच व उत्साह से लबरेज होकर एयर पिस्टल से निशाने लगाए। किसी का निशाना अचूक रहा तो कोई चूक गया लेकिन हर किसी के चेहरे पर जबर्दस्त उत्साह रहा।

पहली बार लगा था कैम्प

पहली बार कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में बागपत से आए डॉ। राजपाल सिंह, सुभाष शाही, डॉली व रूबी ने सात दिवसीय शिविर के दौरान आवासीय छात्राओं को प्रशिक्षण दिया। विनीता, रिंजू, किरन कन्नौजिया, कंचन, खुशबू ने तीन, दुर्गावती, कविता, कृति एयर पिस्टल से निशानेबाजी की कला सीखी। प्रशिक्षण शिविर का शुभारंभ 7 मई को बेसिक शिक्षा अधिकारी ओमप्रकाश यादव ने किया था।

सात का हुआ सेलेक्शन

बागपत से आए ट्रेनर डॉ। राजपाल सिंह बताते हैं कि इन छात्राओं को एयर पिस्टल की प्रशिक्षण के लिए डॉली और रूबी ने विभिन्न प्रकार के शॉट्स की ट्रेनिंग दी। उन्होंने बताया कि कुल 77 छात्राओं को ट्रेनिंग दी गई है। रविवार को इन्हीं छात्राओं में सात का सेलेक्शन प्री-स्टेट चैंपियनशिप के लिए किया गया। ये लड़कियां फर्रुखाबाद प्री-स्टेट में शामिल होंगी। वहां से क्वालिफाई के बाद वह 23 से 27 अगस्त तक लखनऊ स्थित मिलेनियम स्कूल में स्टेट लेवल पर चैंपियनशिप में शामिल होंगी।

-----------

इसकी ली ट्रेनिंग

1- शॉट्स

2- पोजीशन लेना

3- ग्रिप पकड़ना

4- राइफल पकड़ना

5- पूरा ध्यान साइट पर रखना

6- धीरे-धीरे ट्रिगर दबाना

7- चैंबर में लोड करना

8- चैंबर को ऊपर करना

9- गन उठाना

10 - शूट करना

बाक्स में

आठ साल की डॉली थी कोच

कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में सात दिवसीय प्रशिक्षण में बागपत से आई आठ साल की डॉली ने कोच की भूमिका अदा किया। डॉली एयर पिस्टल से गजब का निशाना लगाती है। उसने आवासीय विद्यालय की 77 छात्राओं को सात दिन तक एयर पिस्टल से निशानेबाजी सिखाई। मूलरूप से जोड़ी गांव की रहने वाली डॉली जाटव बागपत के ईंट-भट्टे पर काम करती थी। डॉली की मम्मी सुनीता और पापा संजय ने बाबा डॉ। राजपाल सिंह के दिशा निर्देश में एयर पिस्टल शूटिंग की कला सीखने के लिए भेजा। करीब छह महीने तक डॉली ने ईंट भट्ठे पर शूटिंग का प्रशिक्षण लिया था।

वर्जन

सात दिन का प्रशिक्षण शिविर लगाया गया था। इस दौरान कुल 77 छात्राओं ने एयर पिस्टल से निशानेबाजी की कला सीखी। इनमें से सेलेक्ट हुई छात्राएं फर्रूखाबाद प्री-स्टेट चैंपियनशिप के लिए जाएंगी।

विभा सिंह, वार्डेन, कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय