- पिपराइच में दबंगों ने छात्रा के पिता की कर दी पिटाई

- छात्रा को भी आई चोटें, रोज मिल रही जान से मारने की धमकी

GORAKHPUR : छेड़खानी की घटना किस तरह किसी लड़की के मन-मस्तिष्क को हिला कर रख देती है, इसका सबूत है पिपराइच एरिया के एक गांव की दलित नाबालिग की ओर से राष्ट्रपति को भेजी गई एक चिट्ठी। किशोरी ने छेड़खानी और जान-माल की धमकी से तंग आकर राष्ट्रपति को चिट्ठी भेज इच्छा मृत्यु की गुहार लगाई है। उसका आरोप है कि पिपराइच पुलिस मुकदमा दर्ज करने की जगह सुलह पर मजबूर कर रही है। कानून के दर पर ठोकर खाने के बाद किशोरी को दया मृत्यु के अलावा कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा।

अश्लील गाने बजाकर करता है तंग

आरोप है कि पिपराइच एरिया के एक गांव में रहने वाली हाईस्कूल की छात्रा नीता (काल्पनिक नाम) के साथ गांव का ही विजयी पासवान छेड़खानी करता है। कॉलेज आने-जाने के दौरान अश्लील गाने बजाकर तंग करता है। शुरू में तो लोकलाज के डर से किशोरी ने किसी को कुछ नहीं बताया, लेकिन बात जब हद से आगे बढ़ गई तो उसने पिता को सारी बात बताई। बेटी के साथ ऐसी हरकत के बारे में सुनकर पिता ने विजयी को डांट दिया।

घर पर चढ़कर की मारपीट

नीता के पिता से डांट खाने के बाद विजयी ने अपनी बेइज्जती का बदला लेने का प्लान बनाया। चार जून को विजयी, उसके दो भाइयों और पिता गंगा पासवान ने नीता के घर पर चढ़कर नीता और उसके पिता के साथ मारपीट की। जिसमें नीता और उसके पिता को गंभीर चोटें आई। जब घायल पिता अपनी बेटी के साथ पिपराइच थाने पर छेड़छाड़ और मारपीट का मुकदमा लिखवाने पहुंचे तो पुलिस ने बेहद हल्की धाराओं में मारपीट का मामला दर्ज किया। आरोप है पुलिसकर्मियों ने नीता और उसके पिता पर सुलह करने का दबाव बनाया।

राष्ट्रपति से मांगी इच्छा मृत्यु

पुलिस की ओर से कार्रवाई न किये जाने से विजयी और उसके भाइयों को मानों खुली छूट मिल गई। पीडि़ता का आरोप है कि घटना के बाद से लगातार उसे और उसके परिवार को जान से मारने की धमकी दी जा रही है। इसलिए पीडि़ता ने दबंगों से जान का खतरा होने के चलते राष्ट्रपति को चिट्ठी लिख खुद के लिए मौत मांगी है। इस चिट्ठी की एक कॉपी प्रधानमंत्री, महिला मानवाधिकार, मुख्य न्यायाधीश, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, एससीएसटी आयोग को भेजकर नीता ने न्याय की मांग की है।

मामला संज्ञान में है। पूछताछ जारी है। जल्द ही आरोपी को अरेस्ट कर लिया जाएगा।

बृजेश तिवारी, पिपराइच एसओ

पीडि़ता ने अभी तक हमारे पास कोई भी लिखित शिकायत नहीं दी है। जैसे ही शिकायत प्राप्त होती है, मामले की जांच-पड़ताल शुरू कर दी जाएगी।

ब्रजेश सिंह, एसपीआरए

क्या है इच्छा मृत्यु?

इच्छा मृत्यु के मामले दो तरह के होते हैं, एक निष्क्रिय इच्छा मृत्यु और दूसरी सक्रिय इच्छा मृत्यु। निष्क्रिय इच्छा मृत्यु के मामले में ऐसे व्यक्ति को उसके परिजनों की इजाजत से मरने की छूट दी जाती है, जो जीवनरक्षक प्रणाली पर अचेत अवस्था में रहता है, लेकिन तकनीकी तौर पर वो जीवित होता है। परिजनों के न होने पर डॉक्टर भी ये फैसला कर सकते हैं। सक्रिय इच्छा मृत्यु के मामले में ठीक न हो सकने वाले बीमारी की हालत में किसी मरीज को उसकी इच्छा से मृत्यु दी जाती है।

इन देशों में इच्छा मृत्यु पर ये है प्रावधान

अमेरिका- यहां सक्रिय इच्छा मृत्यु गैरकानूनी है, लेकिन ओरेगन, वॉशिंगटन और मोंटाना राज्यों में डॉक्टर की सलाह और उसकी मदद से मरने की इजाजत है।

स्विट्जरलैंड: खुद से जहरीली सुई लेकर आत्महत्या करने की इजाजत है, हालांकि इच्छा मृत्यु गैरकानूनी है।

नीदरलैंड- डॉक्टरों के हाथों सक्रिय इच्छामृत्यु और मरीज की मर्जी से दी जाने वाली मृत्यु दंडनीय अपराध नहीं है।

बेल्जियम- सितंबर 2002 से यहां इच्छा मृत्यु को लीगल स्टेटस मिल चुका है।

ब्रिटेन, स्पेन, फ्रांस और इटली जैसे यूरोपीय देशों सहित दुनिया के ज्यादातर देशों में इच्छा मृत्यु गैरकानूनी है।

भारत - भारत में इच्छा-मृत्यु और दया मृत्यु दोनों ही गैरकानूनी है। क्योंकि क्योंकि मृत्यु का प्रयास, जो इच्छा के बाद ही होगा, को आईपीसी की धारा 309 के तहत सुसाइड का अपराध है। इसी प्रकार दया मृत्यु, जो भले ही मानवीय भावना से प्रेरित हो एवं पीडि़त व्यक्ति की असहनीय पीड़ा को कम करने के लिए की जानी हो, वह भी आईपीसी की धारा 304 के अंतर्गत कैपेबल होमिसाइड का अपराध माना जाता है।

भारत में यूथेनेसिया की मांग से जुड़े कुछ मामले

- बिहार पटना के निवासी तारकेश्वर सिन्हा ने 2005 में राज्यपाल को यह याचिका दी कि उनकी पत्‍‌नी कंचनदेवी, जो सन 2000 से बेहोश हैं, को दया मृत्यु दी जाए।

- बहुचर्चित व्यंकटेश का प्रकरण अधिक पुराना नहीं है। हैदराबाद के इस 25 वर्षीय शख्स ने इच्छा जताई थी कि वह मृत्यु के पहले अपने सारे अंग दान करना चाहता है। इसकी मंज़ूरी अदालत ने नहीं दी।

- इसी प्रकार केरल हाईकोर्ट द्वारा दिसम्बर 2001 में बीके पिल्लई जो असाध्य रोग से पीडि़त था, को इच्छा मृत्यु की अनुमति इसलिए नहीं दी गई क्योंकि भारत में ऐसा कोई कानून नहीं है।

- 2005 में काशीपुर उड़ीसा के निवासी मोहम्मद युनूस अंसारी ने राष्ट्रपति से अपील की थी कि उसके चार बच्चे असाध्य बीमारी से पीडि़त हैं। उनके इलाज के लिए पैसा नहीं है। लिहाजा उन्हें दया मृत्यु की इजाजत दी जाए। किंतु अपील नामंज़ूर कर दी गई।