- नगर निगम आज तक इस एरिया में नहीं बना पाया पार्किंग
- इसके चलते मंडल के सबसे बड़े मार्केट लोगों को हो रही प्रॉब्लम
GORAKHPUR: मैं घंटाघर हूं। गोरखपुर शहर के सबसे व्यस्त एरिया में से एक। मेरे यहां डेली सैकड़ों की संख्या में लोग खरीदारी करने आते हैं। शहर से ही नहीं बल्कि पूरे मंडल के लोग यहीं से थोक और फुटकर सामान खरीदते हैं। मेरे यहां कॉस्मेटिक, गोल्ड, क्लॉथ सहित कई अन्य सामानों का थोक मार्केट है। लेकिन जो लोग यहां आते हैं वह जाम के झाम में ऐसा फंस जाते हैं कि उनको रोना आ जाता है। मैं आए दिन लोगों को परेशान होते देखता हूं, लेकिन बेबस हो जाता हूं। मेरी यह दुर्दशा किसी और ने नहीं, बल्कि उन्होंने ही की जिनके ऊपर मुझे संवारने की जिम्मेदारी थी। मेरी बदहाली की दास्तान सुनिए लोगों की जुबानी
सम्मान न संसाधन
जाम की झाम में फंसे घंटाघर के साथ नगर निगम अजब-गजब मजाक कर रहा है। हाल्सीगंज में यहां के शहीद बंधु सिंह को फांसी दी गई थी। सीएंडएस में ठेकेदार शमसेर अली का कहना है कि शहीद के सम्मान में नगर निगम ने 2010 में पार्क निर्माण की स्वीकृत दी। पहले यह जमीन खाली थी तो यहां पर पार्किंग का भी इस्तेमाल होता था। पार्क का शिलान्यास हो जाने के बाद यहां गाडि़यां भी नहीं खड़ी हो पातीं। अब हालत यह है कि पार्क के लिए चिन्हित आधी जगह कूड़ादान बनी हुई है तो आधे में ठेले-खोमचे वाले दुकान खोल लिए हैं। जाम की भयावहता का अंदाजा सिर्फ इससे लगाया जा सकता है कि घंटाघर चौराहे से दुर्गा चौक और रेती चौक की दूरी 100 मीटर से 200 मीटर की दूरी पर है। लेकिन इस दूरी को तय करने में लोगों को 30 मिनट से अधिक का समय लग जाता है।
ऐसे हो सॉल्यूशन
- नगर निगम को हर माह इस एरिया से अतिक्रमण हटाने का काम करना चाहिए।
- जाम की हालत पैदा करने वालों पर कार्रवाई करनी चाहिए।
- भीड़भाड़ वाले इलाकों में वन-वे ट्रैफिक किया जाए।
- नाले, नालियों का निर्माण करने के साथ ही साथ सफाई की भी व्यवस्था हो।
- सड़कों के किनारे लगी होर्डिग्स और पोल को हटा दिया जाए।
जाम के कारण घंटाघर आने के पहले दस बार सोचना पड़ता है। 100 मीटर की दूरी तय करने में एक घंटे लग जाते हैं। जिम्मेदारों की लापरवाही के कारण यह हालत बनी हुई है।
-रईस अहमद, राहगीर
मैं तो कहूंगा कि अगर किसी को घंटाघर आना है तो पैदल आए। कब कौन कहां गाड़ी यहां जाम लगा दे, कहा नहीं जा सकता। इसके बाद तो यह जाम कुछ देर ही नहीं, बल्कि घंटों तक लगा रहता है।
-सुजीत कुमार, राहगीर
जाम का झाम राहगीरों को परेशान करने के साथ हम दुकानदारों के लिए भी महंगा साबित होता है। एक बार जाम लगने के बाद पूरा रास्ता घंटों के लिए बंद हो जाता है।
-दुर्गेश निगम, सर्राफा व्यापारी
सबसे अधिक परेशानी हम लोगों को होती है, इस एरिया में अपना घर होने के बाद भी एक बार घर से जाने और घर वापस आने के लिए सोचना पड़ता है।
-मैनुदीन, रहवासी
जाम यहां के व्यापारियों को भी प्रभावित करने लगा है। कई बार जाम लगे होने के कारण ग्राहक ही नहीं आते। नगर निगम की लापरवाही की देन है कि आज घंटाघर मार्केट का व्यापार लगातार चौपट होता जा रहा है।
-मदन जी वर्मा, उपाध्यक्ष सर्राफा मंडल
दिन में घर से निकलना मुश्किल हो जाता है। पहले घंटाघर में यह हालत नहीं थी, लोग हाल्सीगंज मार्केट में अपनी गाडि़यां सही तरीके से खड़ी करते थे, लेकिन अब तो एक भी गाड़ी सही तरीके से खड़ी नहीं की जाती है।
- रईसा खातून, बुजुर्ग महिला
सबसे अधिक परेशानी स्कूली बच्चों को घर आने में होती है। कई बार तो स्कूल से वह दो बजे छुट्टी हो जाती है, लेकिन घर वह शाम चार बजे के बाद ही आते हैं। पता चलता है कि जाम में उनकी गाड़ी और रिक्शा फंसा हुआ है।
- रेशमा, हाउसवाइफ