- मेन मार्केट गोलघर व बाल विहार एरिया में स्थित जीडीए टॉवर में आवंटित दुकानें खुलती ही नहीं
- अधिकारी भी समझ नहीं पा रहे कि आवंटी अपनी दुकानें क्यों नहीं खोलते
- 2015 में ही सीएम ने कर दिया था टॉवर का लोकार्पण
GORAKHPUR: शहर के खास मार्केट गोलघर और भीड़भाड़ वाले एरिया बाल विहार में स्थित शहर के सबसे बड़े कॉमर्शियल कांप्लेक्स जीडीए टावर में आखिर रौनक क्यों नहीं है? यह सवाल का जवाब शहर के लोग ही नहीं बल्कि जीडीए के अधिकारी भी ढूंढ रहे हैं। 2015 में ही जीडीए टॉवर का सीएम ने लोकार्पण कर दिया। इसकी अधिकतर दुकानें आवंटित भी हो गई हैं लेकिन इसके बाद भी इसकी कोई दुकान खुली नजर नहीं आती। वहीं पास में ही बाल विहार में दुकानें रात 9 से 11 बजे तक खुली रहती हैं। लोग समझ नहीं पा रहे कि आखिर इस टॉवर में ऐसा क्या है कि आवंटी पैसा खर्च करने के बाद भी अपनी दुकान नहीं खोल रहे।
12 करोड़ की लागत
शहर के सबसे बड़े इस कॉमर्शियल कांप्लेक्स को तैयार करने में लगभग 12 करोड़ रुपए खर्च हुए। टॉवर में 152 आवंटियों के करीब 9 करोड़ रुपए फंसे हुए हैं। 17 दिसंबर 2015 में सीएम ने टॉवर का लोकार्पण किया लेकिन टॉवर की दुकानें नहीं खुली। उसके बाद से बीच-बीच में टॉवर के शुरू होने की बात चर्चा में आती है लेकिन कभी टॉवर की सारी दुकानें नहीं खुलीं।
बॉक्स
चालू कर दिया गया है टॉवर
जीडीए सचिव महेंद्र नाथ मिश्रा का कहना है कि जब तक टॉवर नहीं खुला था तब तक लोग पूछने आते थे कि यह कब शुरू होगा। अब जबकि इसे सबके लिए खोल दिया गया है, लोग अपनी दुकानें ही नहीं खोलते। वे बताते हैं कि वे खुद नहीं जानते कि आखिर लाखों रुपए खर्च कर टॉवर में दुकानें आवंटित कराने वाले व्यापारी अपनी दुकानें खोल क्यों नहीं रहे। जीडीए तो सभी आवंटियों को कब्जा दे चुका है और उनसे दुकानें खोलने के लिए आग्रह भी किया गया है।
तो मिल जाए एक और रास्ता
जीडीए का कहना है कि कॉमर्शियल टॉवर में इन-आउट के लिए दो ही रास्ते हैं। यदि नगर निगम मान जाता है तो इसे एक और रास्ता मिल जाएगा। इसके लिए नगर निगम से बातचीत चल रही है कि वह अपना ट्यूबवेल हटा ले। जैसे ही वह ट्यूबवेल हटा लेगा, जीडीए टॉवर में आने-जाने के लिए लोगों को एक और रास्ता मिल जाएगा। हो सकता है कि इसके बाद टॉवर की रौनक बढ़ जाए।
Yes, this is GDA tower
- टॉवर में ग्राउंड फ्लोर के साथ छह मंजिल है।
- टॉवर की पांचवीं व छठवीं मंजिल के ब्लॉकों की ब्रिकी के लिए अभी आवेदन आमंत्रित किया जाना है।
- योजना पर अभी तक 12 करोड़ से अधिक का राशि जीडीए खर्च कर चुका है।
- गोरखपुर विकास प्राधिकरण ने वर्ष 2003 में गोलघर में शहर के सबसे पहले
व्यावसायिक काम्पलेक्स की नींव पड़ी।
- वर्ष 2005 में तय बजट से अधिक खर्च के चलते जांच बैठी और करीब डेढ़ दर्जन अभियंताओं व जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई हुई।
- जांच के बाद शासन के निर्देश पर वर्ष 2010 में कार्य एक बार फिर कार्य शुरू हुआ।
- टॉवर में ग्राउंड फ्लोर समेत पहली व दूसरी मंजिल पर 152 से अधिक दुकानें
हैं। तीसरे से छठवें मंजिल तक कार्यालयों के लिए ब्लॉक आवंटित होने हैं।
- जीडीए टॉवर में करीब 20 हजार वर्ग फुट में फैले पार्किंग स्पेस में एक साथ 70 से अधिक चारपहिया वाहन खड़े हो सकते हैं।
वर्जन
जीडीए टॉवर को दिसंबर 2015 में ही सीएम ने लोकार्पण कर दिया। उसके बाद से टॉवर को पब्लिक के लिए खोल दिया गया। सभी आवंटित दुकानों पर आवंटियों को कब्जा दे दिया गया है। न जाने क्यों वे दुकानें नहीं खोल रहे।
- महेंद्र नाथ मिश्रा, सचिव, जीडीए