- मेडिकल कॉलेज के इंसेफेलाइटिस वार्ड का मामला

- तड़पता रहा पेशेंट, नहीं था वार्ड में कोई डॉक्टर

GORAKHPUR: बीआरडी मेडिकल कॉलेज स्थित इंसेफेलाइटिस वार्ड में जूनियर डॉक्टर्स की लापरवाही का मामला सामने आया है। रविवार की देर रात इंसेफेलाइटिस पीडि़त मासूम की हालत बिगड़ गई। उस समय वार्ड में कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था। परिवारीजनों का आरोप है कि इलाज नहीं होने के कारण मासूम की मौत हो गई। इसके बाद परिवारीजनों ने वार्ड में जमकर हंगामा किया। पुलिस व गा‌र्ड्स के हस्तक्षेप के बाद तीमारदार शांत हुए।

सीरम जांच में एईएस की पुष्टि

कुशीनगर निवासी रिंकू के छह महीने के पुत्र आफताब को तेज बुखार के साथ झटका आ रहा था। शनिवार को परिवारीजनों ने उसे बीआरडी में भर्ती कराया। पहले डॉक्टर्स ने उसे वार्ड छह में भर्ती किया। सीरम जांच में एईएस की पुष्टि होने के बाद रविवार को 100 बेड वाले वार्ड के एम केबिन में शिफ्ट कर दिया गया। रविवार की रात दो बजे मासूम की हालत बिगड़ने लगी। उसे तेजी से झटका आने लगा। उस समय वार्ड से डॉक्टर नदारद थे। एम व एन केबिन में नसर्ें ही थी। एक नर्स डॉक्टर की तलाश में निकली और दूसरी नर्स मासूम को बचाने में जुट गई।

पुलिस ने मामला कराया शांत

15 मिनट बाद ही मासूम ने दम तोड़ दिया। तब तक वार्ड में डॉक्टर नहीं पहुंचे। मासूम की मौत के बाद तीमारदारों ने आपा खो दिया। रिंकू, उसकी पत्‍‌नी व भाई वार्ड में हंगामा करने लगे। तीमारदारों के समर्थन में दूसरे मरीजों के तीमारदार भी आ गए। विवाद को देखकर वार्ड में तैनात नसर्ें व वार्ड ब्वाय सहम गए। किसी ने इसकी सूचना पुलिस को दी। पुलिसकर्मियों व गाडरें के समझाने पर तीमारदार शांत हुए। इसके बाद वह मासूम का शव लेकर वार्ड से चले गए। तीमारदारों के जाने के बाद ही वार्ड में डॉक्टर आए।

वर्जन

फैमिली मेंबर्स की तरफ से किसी प्रकार की शिकायत नहीं मिली हैं। शिकायत मिलने के बाद जांच कराई जाएगी। अगर कोई भी दोषी पाया गया तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

- डॉ। एके श्रीवास्तव, एसआईसी, नेहरू चिकित्सालय