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फैक्ट फाइल

- 40 कुल पेट्रोल पंप हैं शहर में

- 18 पंप हैं भारत पेट्रोलियम के

- 11 पंप हैं इंडियन आयल के

- 9 पंप हैं हिन्दुस्तान पेट्रोलियम के

- 2 पंप हैं निजी कंपनियों के

- 10 हजार लीटर पेट्रोल रोज लेते हैं शहरवासी

- 15 हजार लीटर डीजल की है खपत

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- सिटी के कई पेट्रोल पंप पर होती है घटतौली, विरोध पर हो जाती है नोक-झोंक

- पेट्रोल पंप पर मशीन में लगे 'पल्सर' की स्पीड को कंट्रोल कर होता है सारा खेल

- एक्सपर्ट बोले, पंप पर लगे चिप को पकड़ना आम पब्लिक के लिए नामुमकिन है

GORAKHPUR: दो दिन पहले लखनऊ में कई पेट्रोल पंप पर चिप लगाकर घटतौली किए जाने की बात सामने आने के बाद दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने सिटी के पेट्रोल पंप की भी हकीकत जानने की कोशिश की। शनिवार को कई पेट्रोल पंपों पर बारीकी से कर्मचारियों की हरकत व मशीन को देखने के बाद पब्लिक व एक्सप‌र्ट्स से बात भी की। जहां पब्लिक ने घटतौली की कंप्लेंट की वहीं पेट्रोल पंप ऑनर्स का दावा रहा कि सिटी के पंप पर घटतौली नहीं होती। वहीं एक्सपर्ट की मानें तो जिस चिप के जरिए यह सब होता है, उसे आम पब्लिक के लिए पकड़ना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है।

इस तरह होता है खेल

एक्सपर्ट के अनुसार, पेट्रोल पंप के मशीन में एक चकरी लगी होता है। इसे तकनीकी भाषा में पल्सर कहा जाता है। पल्सर के घूमने से ही मशीन से तेल निकलता है और रीडिंग बढ़ती है। पल्सर की स्पीड को तेज या स्लो करके ही घटतौली का पूरा खेल होता है। जो भी डिवाइस लगाई जाती है वह इसी पल्सर को कंट्रोल करने के लिए लगाई जाती है। इस पल्सर पर कंट्रोल कर लिया जाए तो घटतौली आराम से की जा सकती है।

ब्लूटूथ, इन्फ्रारेड से करते हैं कंट्रोल

एक्सपर्ट का कहना है कि यदि किसी पेट्रोल पंप पर चिप लगा है तो उसे आम आदमी के लिए पकड़ पाना नामुमकिन सा है। जिस भी पेट्रोल पंप पर इस तरह का डिवाइस लगा होता है, वे उसे वहीं से संचालित नहीं करते बल्कि ब्लूटुथ, शेयरइट या इन्फ्रारेड से हैंडिल करते हैं। यदि आप पेट्रोल दे रहे आदमी की हर हरकत पर नजर रखें तब भी आप चिप को नहीं पकड़ सकते क्योंकि उसे किसी और जगह से भी कंट्रोल किया जा रहा हो सकता है।

इस तरह पकड़ सकते चिप

यूं तो मशीन में लगे चिप को पकड़ना पब्लिक के लिए मुश्किल है लेकिन इलेक्ट्रॉनिक्स का एक्सपर्ट इसे जान सकता है। सबसे पहले तो यह सुनिश्चित करना होगा कि उस पंप पर घटतौली हो रही है। यदि घटतौली हो रही है और मशीन सही तो उसमें डिवाइस की संभावना है। इसके बाद जिस डिवाइस से मशीन कंट्रोल की जा रही है, उस डिवाइस को जानना होगा। इसके लिए मशीन के पास अलग-अलग डिवाइस का यूज कर चेक करना होगा कि कौन सा डिवाइस यूज हो रहा है। लेकिन इसके बाद भी इसको पकड़ पाना इतना आसान नहीं होता क्योंकि पेट्रोल पंप पर लगे डिवाइस की क्षमता बहुत अधिक होती है। हाई क्षमता के इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का उपयाग कर जाना जा सकता है कि कौन-सा डिवाइस लगा है।

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कॉलिंग

पेट्रोल पंप पर पूरी तरह से मनमानी होती है। शहर के कई ऐसे पेट्रोल पंप हैं, जहां घटतौली तो होती ही है, तेल में पानी भी मिला होता है, जिससे गाड़ी की हालत खराब हो जाती है।

मनोज यादव, टीचर

पेट्रोल पंप वालों की मनमानी के कारण गाड़ी खराब हो जाती है। कई बार तो गाड़ी में तेल होता है लेकिन वह बंद हो जाती है। टंकी खोली जाती है तो पता चलता है कि उसमें केवल पानी बचा होता है।

मंजू सिंह, हाउस वाइफ

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वर्जन

गोरखपुर में पेट्रोल की कहीं घटतौली नहीं होती है। अगर कोई इसकी शिकायत करता है तो यह पूरी तरह से गलत है। कुछ लोगों के कहने पर सभी को बदनाम नहीं किया जा सकता है।

चंद्रमौलि पांडेय, जिला सचिव, पेट्रोलियम एसोसिएशन

किसी पेट्रोल पंप पर डिवाइस लगा है कि नहीं इसको जानना बहुत ही मुश्किल है। प्रशासन को सभी पेट्रोल पंप की जांच कराए जाने की जरूरत है। जिन पर डिवाइस लगा हो उन पर कार्रवाई करे।

- रूपरंजन, एक्सपर्ट, आईटीएम, गीडा

गोरखपुर में कुछ ऐसा मामला नहीं है। हालांकि कई बार छोटी-छोटी शिकायतें आती हैं, उनकी जांच करके कार्रवाई होती है।

चेतन पटवारी, एरिया मैनेजर, आईओसी