- पैसेंजर्स को सेफ डेस्टिनेशन तक पहुंचाने के लिए ट्रेंस की रफ्तार कम करना रेलवे की मजबूरी
- घने कोहरे में तेज रफ्तार से हो सकता है बड़ा हादसा
- सेफ्टी डिवाइस लगने भर से नहीं बढ़ सकेगी रफ्तार
GORAKHPUR : रेल की रफ्तार पर इन दिनों कोहरे का ब्रेक लगा हुआ है। भारी कोहरे में रेल की रफ्तार बढ़ाना पैसेंजर्स की जान को जोखिम में डालने जैसा है। ट्रेंस की रफ्तार को बेहतर करने के लिए फॉग सेफ्टी डिवाइस इंट्रोड्यूस की गई। इसे लेकर सबके जहन में सिर्फ एक ही बात आने लगी कि अब रफ्तार पर कंट्रोल रहेगा, ट्रेंस घने कोहरे में भी अपने डेंस्टिनेशन पर टाइमली पहुंच जाएंगी। इन सबको किनारे करते हुए अगर हकीकत परखी जाए, तो मामला कुछ और ही है। फॉग सेफ्टी डिवाइस कोई जादू की छड़ी नहीं है, जिसे यूज करने पर रेल की रफ्तार अपने आप ही बढ़ जाएगी, बल्कि यह सिर्फ ड्राइवर्स के लिए एक हेल्पिंग हैंड है और यह सिर्फ एलर्ट करने का वर्क करता है। इसके यूज से रफ्तार तो नहीं बढ़ेगी, लेकिन इसका यूज करके दुर्घटना की संभावनाओं को कम किया जा सकता है।
रफ्तार कम करना रेलवे की मजबूरी
घने कोहरे में लगातार ट्रेंस की रफ्तार मंद पड़ती जा रही है, जिसकी वजह से ट्रेंस लेट हो जा रही हैं। ऐसा नहीं कि रेलवे ऐसा जानबूझकर कर रहा है, बल्कि रफ्तार को कम करना रेलवे की मजबूरी है। घना कोहरा होने की वजह से विजिबिल्टी जीरो हो जाती है और बगल की चीजें भी दिखाई नहीं देती हैं, ऐसे में ट्रेंस काफी करीब पहुंचने के बाद ही सिग्नल दिखाई दे पाते हैं। ऐसे में अगर ट्रेंस स्पीड में रहेंगी और सिग्नल नहीं दिख पाया तो किसी बड़े हादसे से इनकार नहीं किया जा सकता है। यही वजह है कि रेलवेज ट्रेंस की रफ्तार को कंट्रोल करने के साथ ही बाकी सेफ्टी मेजर्स अपना रहा है।
देर से सही चल तो रही हैं ट्रेंस
मौसम की मार का असर सिर्फ ट्रेंस पर नहीं बल्कि बाकी ट्रांसपोर्ट पर भी पड़ा है। घने कोहरे की वजह से फ्लाइट्स जहां कैंसिल हो चुकी हैं। वहीं रोड पर दौड़ने वाली बसें भी कैंसिल कर दी गई है। गोरखपुर के सभी रूट्स पर सिर्फ चुनिंदा बसें ही चलाई जा रही हैं। इसके अलावा रात में चलने वाली बसेज की तादाद भी काफी कम हो गई हैं। मगर ट्रेंस की बात करें तो इनके टाइमिंग में भले ही फर्क आया है, लेकिन यह ट्रैक पर अब भी दौड़ रही हैं। ट्रेंस लेट होने की वजह से ट्रैक पर लोड बढ़ गया है, जिसकी वजह से कुछ पैसेंजर्स ट्रेंस को कैंसिल करना पड़ा है।
क्या है फॉग सेफ्टी डिवाइस
फॉग सेफ्टी डिवाइस की बात करें तो यह ड्राइवर्स का हेल्पिंग हैंड है। सीपीआरओ आलोक कुमार सिंह ने बताया कि अगर लखनऊ तक की कोई ट्रेन है, तो ड्राइवर्स को दिए गए सेफ्टी डिवाइस में किलोमीटर वाइज सभी डीटेल्स फीड कर दी गई हैं। एग्जामपल के तौर पर स्टार्टिग के कितनी दूर बाद सिग्नल है, कितनी दूर पर क्रॉसिंग है, कितनी दूर पर स्टेशन है। जैसे ही ट्रेंस इस लोकेशन से भ्00 मीटर पहले पहुंचती है, यह डिवाइस ड्राइवर को अलर्ट कर देता है। वहीं प्वाइंट क्रॉस होने के बाद भी यह उसके बारे में इंफॉर्मेशन देता है। इससे ड्राइवर एक्टिव हो जाते हैं और घने कोहरे के बाद भी सभी सिग्नल्स और क्रॉसिंग्स को आसानी से जान लेते हैं।