- बजट के साथ ही बच्चों का फ्यूचर हो सकता है खराब

- पड़ोसी के बच्चे के देखकर एडमिशन कराने से हो सकता है नुकसान

GORAKHPUR: मेरे पड़ोसी का लड़का फलां स्कूल में पढ़ रहा है, वह बता रहे थे कि स्कूल बहुत अच्छा है और उसमें सभी बुनियादी सुविधाएं मौजूद हैं। अगर आप भी कुछ इसी मिजाज के हैं और अपने लाडले का एडमिशन पड़ोसी के बच्चे को देखकर कराने की सोच रहे हैं, तो आपको सावधान रहने की जरूरत है। आपका पड़ोसी पर अंधा विश्वास आपके बच्चों के फ्यूचर पर भारी पड़ सकता है। इससे न सिर्फ आपका बजट बल्कि बच्चों का फ्यूचर भी खराब हो सकता है। इसलिए अगर बच्चों का एडमिशन कराना है, तो खुद पड़ताल करने के बाद ही अपने बजट को देखते हुए कोई कदम आगे बढ़ाने की जरूरत है।

सोच समझ कर कराएं एडमिशन

देखा-देखी एडमिशन कराना यहां का ट्रेंड बन गया है। ज्यादातर पेरेंट्स अपने बच्चे का एडमिशन पड़ोसी के बच्चे को देखकर कराने की सोच लेते हैं। साइकोलॉजिस्ट डॉ। अनुभूति दुबे की मानें तो ज्यादातर पेरेंट्स को यह कंफ्यूजन होता है कि वह अपने बच्चे का एडमिशन किस स्कूल में कराएं। कोई ऑप्शन न दिखाई पड़ने पर वह पड़ोसी के बच्चे जहां पढ़ते हैं, उस स्कूल को ही प्रिफर करते हैं। वह एडमिशन जैसे-तैसे करा भी लेते हैं। मगर दिक्कत तब पता चलती है जब बच्चा स्कूल जाने लगता है। फीस जमा करने और आधा सेशन निकल जाने के बाद उनके पास पछताने के सिवा कोई और चारा नहीं बचता है। वहीं मंहगी फीस होने की वजह से उसे छोड़ दूसरे स्कूल का सहारा भी नहीं ले सकते।

सभी चीजों का रखें ध्यान

सोश्योलॉजिस्ट डॉ। कीर्ति पांडेय बताती हैं कि दूसरे की कॉपी की हुई चीजें अक्सर धोखा दे जाती हैं। पेरेंट्स देखा-देखी एडमिशन करा लेते हैं, लेकिन इसमें इस बात का ध्यान नहीं देते कि उनकी पॉकेट क्या यह अलाऊ कर रही है। एडमिशन कराने की होड़ में वह कर्ज लेकर पैसों का इंतजाम करने को मजबूर हो जाते हैं, बाद में पछतावे के सिवा कोई चीज हाथ नहीं लगती।

बिगड़ सकता है बजट

एक बार की एक घटना है कि एक पेरेंट्स ने अपने बच्चे का एडमिशन पड़ोसी के बच्चे का देखा देखी एडमिशन करा लिया। करीब चार महीने तक उन्होंने किसी तरह से फीस का इंतजाम कर उसे जमा किया। मगर इसके बाद स्कूल में होने वाले तमाम एक्टिविटी के लिए एक्स्ट्रा फीस की डिमांड होने लगी, तो उनका बजट बिगड़ना शुरू हो गया। वहीं बच्चों का आईक्यू लेवल क्या है, यह जाने बगैर पेरेंट्स हाई-फाई स्कूल में एडमिशन करा देते हैं, लेकिन बच्चे के उपर ज्यादा बर्डन पड़ने से बच्चों को प्रॉब्लम फेस करनी पड़ती है और वह बेहतर परफॉर्म नहीं कर पाता।

फ‌र्स्ट ऑफ ऑल पैरेंट्स को पड़ोसी के बच्चे से कॉम्प्टीशन नहीं करना चाहिए। पेरेंट्स को इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि वह अपने बच्चे का एडमिशन कराते समय स्वयं डिसीजन लें, किसी के दिखावे के चक्कर में न आएं। वरना आगे चलकर पछताना ही पड़ेगा।

डॉ। मीना अधमी, एक्सपर्ट

अक्सर देखा जाता है कि पेरेंट्स देखादेखी में एडमिशन करा लेते हैं। लेकिन बाद में उन्हें बच्चे का नाम कटवाना पड़ जाता है। ऐसे में बच्चे के फ्यूचर डिस्टर्ब होता है और बच्चों का पूरा साल खराब हो जाता है। वहीं इससे पेरेंट्स का पैसा भी बर्बाद होता है।

कृष्ण कुमार मिश्रा, एक्सपर्ट

रखें ध्यान -

- जब भी अपने बच्चे का एडमिशन कराए, इसके लिए खुद से स्कूल जाएं और जांच-पड़ताल करें।

- अपने बजट और बच्चे के फ्यूचर को ध्यान में रखते हुए खुद डिसीजन लें।

- पड़ोसी या फिर किसी रिश्तेदार के कहने पर एडमिशन न कराएं।

- पहली बार एडमिशन के लिए बच्चे के फ्यूचर को ध्यान में रखते हुए एडमिशन अच्छे स्कूल में एडमिशन कराएं।