-मोहद्दीपुर की बडिंग इंजीनियर की एच1एन1 रिपोर्ट आई पॉजिटिव

-लखनऊ से कर रही है इंजीनियरिंग

-मार्केट में नहीं है स्वाइन फ्लू की वैक्सीन

-देवरिया की प्रीती की बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हो चुकी है स्वाइन फ्लू से मौत

GORAKHPUR: देश की राजधानी दिल्ली समेत कई बड़े शहरों में कहर बन कर टूट रहे स्वाइन फ्लू ने अब गोरखपुर में भी दस्तक दे दी है। मंडे को गोरखपुर में स्वाइन फ्लू का पहला केस मिला। दो दिन की मेडिकल जांच के बाद उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव पाई गई। रिपोर्ट पॉजिटिव मिलते ही हेल्थ डिपार्टमेंट के साथ डॉक्टर्स के होश उड़ गए, वहीं मरीज के परिजन परेशान हैं। जिले में न तो स्वाइन फ्लू का सही इलाज हो रहा है और न ही किसी मेडिकल स्टोर में इसकी वैक्सीन है। सरकार के बड़े-बड़े दावों की हकीकत लगातार खुलती जा रही है। डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल और बीआरडी मेडिकल कॉलेज में स्वाइन फ्लू का वार्ड तो बनाया गया है, मगर सुविधा के नाम पर कुछ नहीं है। हालांकि इस रिपोर्ट को सरकारी महकमा पूरी तरह नजरअंदाज करने में जुटा है। उसका मानना है कि सिर्फ केजीएमसी और पीजीआई की रिपोर्ट ही मान्य होगी।

बंडिंग इंजीनियर को हुआ स्वाइन फ्लू

मोहद्दीपुर में रहने वाले एक बैंक कर्मचारी की बेटी जस्सी श्रीवास्तव लखनऊ के एक इंजीनियरिंग कॉलेज से इंजीनियरिंग कर रही है। कुछ दिन पहले वह कॉलेज से छुट्टी लेकर घर आई। यहां उसकी तबीयत खराब हो गई। दवा लेने के बावजूद जब कंडीशन बिगड़ने लगी तो डॉक्टर ने स्वाइन फ्लू का शक जताया। डॉक्टर ने जस्सी को जांच के लिए बेतियाहाता स्थित लाइफ पैथालॉजी भेज दिया। वहां रिपोर्ट चौंकाने वाली आई। जस्सी की रिपोर्ट में स्वाइन फ्लू पॉजिटिव निकला। मामले की गंभीरता को देखते हुए दोबारा जांच कराई गई, मगर नतीजा वही निकला।

मेडिकल कॉलेज में हो चुकी है एक मौत

गोरखपुर में स्वाइन फ्लू का मरीज तो अभी मिला है, मगर उसकी दस्तक कुछ दिन पहले ही सुनाई पड़ गई थी। जब बीआरडी मेडिकल कॉलेज में दो मरीज स्वाइन फ्लू के शक में भर्ती किए गए थे। हालांकि एक मरीज अमरेंद्र की रिपोर्ट निगेटिव आई थी। मगर सलेमपुर, देवरिया की रहने वाली प्रीती की स्वाइन फ्लू से मौत हो गई थी। हालांकि गोरखपुर हेल्थ डिपार्टमेंट बहुत अधिक परेशान नजर नहीं आया था क्योंकि ये दोनों मरीज जिले के नहीं थे।

गिरगिट की तरह रंग बदलता है एच1एन1

स्वाइन फ्लू एक प्रकार का वायरल इंफेक्शन है। इसमें एच1एन1 वायरस होता है। यह बहुत ही खतरनाक होने के साथ जानलेवा है। क्योंकि एच1एन1 गिरगिट की तरह रंग बदलता है। मतलब हर साल इसकी क्षमता बदल जाती है। इसलिए इसकी अब तक कोई भी कंपलीट दवा नहीं बनी है। जो वैक्सीन मार्केट में आ रही है, वह भी सिर्फ एक साल तक असर करती है, क्योंकि हर साल वायरस चेंज हो जाता है। इसलिए मार्केट में स्वाइन फ्लू की वैक्सीन की भारी कमी है।

सिम्पटम्स

-फीवर

-खांसी आना

-गले में खराश और चुभन

-सिर दर्द

-शरीर दर्द

-कंपकंपी के साथ बुखार

-कमजोरी महसूस होना

-सीने में भारीपन होना

-आवाज में सांय-सांय होना

-बलगम में खून आना

-भूख लगना, दस्त आना और झटके आना।

बचाव

अच्छी नींद ले

भीड़भाड़ वाले इलाकों से बचें

सुअरों के संपर्क में आने से बचे

साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दे और हाथ धोकर ही खाएं

संदिग्ध पेशेंट के करीब जाने से पहले नाक पर रूमाल जरूर रखे

वर्जन

गोरखपुर में इस साल पहली स्वाइन फ्लू की जांच की जा रही है। अब तक डॉक्टर की एडवाइस पर सैकड़ों मरीजों की जांच हुई होगी। मगर मंडे को स्वाइन फ्लू का पहला मरीज डिटेक्ट हुआ है। मरीज का नाम जस्सी श्रीवास्तव है।

डॉ। अमित गोयल, पैथालॉजिस्ट लाइफ डायग्नोस्टिक सेंटर

मार्केट में स्वाइन फ्लू की वैक्सीन नहीं है। वैक्सीन महंगी होने के साथ हर साल चेंज होती है, इसलिए इसकी कमी हमेशा रहती है। स्वाइन फ्लू के प्रकोप को देखते हुए वैक्सीन मंगाई गई है। जल्द मार्केट में अवलेबल हो जाएगी।

अवनीश चन्द्र श्रीवास्तव, दवा व्यापारी

अभी गोरखपुर में स्वाइन फ्लू का मरीज नहीं मिला है। किसी प्राइवेट पैथालॉजी की रिपोर्ट मान्य नहीं है। स्वाइन फ्लू की रिपोर्ट सिर्फ केजीएमसी या पीजीआई की मान्य होगी। अभी तक यहां की रिपोर्ट के आधार पर गोरखपुर में एक भी स्वाइन फ्लू का मरीज नहीं मिला है।

डॉ। पीके मिश्रा, सीएमओ