- आम बजट को लेकर आई नेक्स्ट ऑफिस में ऑर्गेनाइज हुआ ग्रुप डिस्कशन

- डिफरेंट फील्ड और कैटेगरीज के रिप्रजेंटेटिव्स ने बजट पर दिए अपने रिएक्शंस

GORAKHPUR : 'भरोसे की डोर टूटेगी यह तो जानते थे हम, लेकिन इतनी जल्दी यह सोचा न था' रेल बजट में निराशा हाथ लगने के बाद आम बजट से उम्मीदें लगाए गोरखपुराइट्स का हाल ये लाइनें बयां करती हैं। इस बजट से कॉमन मैन को तो कोई रिलीफ नहीं मिली, अलबत्ता सर्विस टैक्स के नाम पर जेब जरूर ढीली करवा दी गई। आम बजट को लेकर आई नेक्स्ट ने गोरखपुराइट्स के दिल को टटोलने के लिए 'फाइनेंस मिनिस्टर वर्सेज होम मिनिस्टर' थीम पर बेस्ड ग्रुप डिस्कशन ऑर्गेनाइज किया। इसमें डिफरेंट कैटेगरीज को रिप्रजेंट करने के लिए सिटी के प्रॉमिनेंट पर्सनालिटीज को इनवाइट करने के साथ ही इकॉनॉमिक एक्सपर्ट को भी इस डिस्कशन में शामिल किया गया। इसमें सीनियर सिटीजन को रिप्रजेंट करने के लिए राजेश्वर प्रसाद विश्वकर्मा मौजूद रहे, वहीं प्रो। केएन सिंह गवर्नमेंट सैलरीड पर्सन और डॉ। अनिल कुमार पांडेय प्राइवेट सैलरीड पर्सन के तौर पर मौजूद रहे। प्रोफेशनल्स के रिप्रजेंटेटिव की जिम्मेदारी डॉ। रणविजय दुबे ने निभाई, वहीं बिजनेसमेन को संदीप टेकड़ीवाल ने रिप्रजेंट किया। हाउस वाइफ के तौर पर नीलिमा वासनीवाल और इकोनॉमिक एक्सपर्ट के तौर पर डॉ। सतीश द्विवेदी मौजूद रहे। इन सभी ने माना कि इस बजट से फिलहाल आम आदमी को कोई राहत नहीं मिलने वाली, लेकिन फ्यूचर में उन्हें इससे कई फायदे मिलेंगे।

टैक्स टॉक

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बजट में टैक्स का सेगमेंट आम आदमी के लिए स्लो प्वाइजन का काम करेगा। इसमें सर्विस टैक्स बढ़ने की वजह से दाम बढ़ने तय हैं। ज्यादातर चीजों पर पब्लिक को सर्विस टैक्स अदा करना पड़ेगा। यह थोड़ा-थोड़ा करके इतना ज्यादा हो जाएगा कि कॉमन मैन की जेब पर भारी बोझ पड़ना तय है। वहीं इनकम टैक्स में भी कोई रिलैक्सेशन न मिलने की वजह से दूसरी तरफ से भी जेब ढीली होनी तय है। इस तरह से आम आदमी को टैक्स की दोहरी मार झेलनी पड़ेगी। डिस्कशन के दौरान कुछ ने यह भी माना कि अगर हम कमा रहे हैं, तो जनता और देश की भलाई के लिए टैक्स देना ही चाहिए, इसलिए इनकम टैक्स स्लैब में कोई चेंज न करना गलत नहीं है।

घर का सपना

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घर का सपना तो इस बार भी हकीकत में नहीं बदल सकेगा। डिस्कशन के दौरान एक्सप‌र्ट्स ने माना कि होम लोन में कोई रिलैक्सेशन न मिलने की वजह से घर बनाने का सपना देखने वालों को कोई राहत नहीं मिलने वाली है। हां, आवास और शहरी विकास के लिए ख्ख् हजार ब्07 करोड़ रुपए मिले हैं, इससे फ्यूचर में कुछ राहत मिल सकती है। इस बजट में आम आदमी की यह उम्मीद थी कि ब्याज दरों में कटौती होती। एक्सपर्ट की मानें तो इससे सरकार की यह मंशा लगती है कि सरकार रियल स्टेट प्रोजेक्ट्स को बढ़ावा देगी और उनके लिए स्पेशल रियायती पैकेज भी लेकर आएगी। इसमें पर्सनल होम लोन लेने वालों के लिए कोई राहत नहीं है।

पढ़ाई-लिखाई

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इस बजट में सबसे ज्यादा जिसे नजरअंदाज किया गया वह है एजुकेशन सेक्टर। हाउस वाइफ का रिप्रजेंटेशन कर रही नीलिमा की मानें तो एजुकेशन लोन सस्ता होने की उम्मीद सबसे ज्यादा थी, लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं। सभी ने माना कि बच्चे को अगर एमबीबीएस या कोई प्रोफेशनल स्टडीज करानी हो तो बगैर लोन के मुमकिन नहीं है, मगर इस बजट में राहत नहीं मिली। वहीं गोरखपुर और पूर्वाचल के लिए एजुकेशन सेक्टर में कुछ भी नहीं मिला, जिससे स्टूडेंट राहत महसूस करे। इस मामले में इकोनॉमिक एक्सपर्ट ने बताया कि एजुकेशन लोन पर निगेटिव फीडबैक मिलने की वजह से कोई चेंज नहीं किया गया है। इसके मिसयूज को निकालने के लिए कोई पहल करनी चाहिए, वहीं बाकी लोन की तरह एजुकेशन लोन की राह भी आसान करनी चाहिए थी, जैसा इस बजट में नहीं किया गया।

किचन की बात

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रेल बजट ने जहां किचन पर बोझ डालने का काम किया था, वहीं इस बजट ने सर्विस टैक्स बढ़ाकर रही-सही कसर पूरी कर दी। एक्सप‌र्ट्स का मानना है कि इसका इफेक्ट यकीनन किचन पर पड़ेगा। टैक्स बढ़ने से सभी चीजों के दाम बढ़ेंगे, जिसका असर जेब पर भी पड़ेगा। वहीं पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स के रेट जब बढ़ते हैं, तो रेट फौरन ही बढ़ा दिए जाते हैं, मगर इनके घटने के बाद इसे कम करने में काफी ढिलाई बरती जाती है। इसका असर भी किचन पर पड़ता है। गैस की सब्सिडी के लिए अपनाई गई तकनीकों से यकीनन फायदा होगा, लेकिन पहले इसे ठीक तरह से लागू करने की जरूरत है।

लाइफ स्टाइल

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इंडियन गवर्नमेंट डिजिटल इंडिया पर वर्क कर रही है। रेल बजट के बाद आम बजट में भी इसका असर देखने को मिला है। लाइफ स्टाइल और गैजेट्स के मामले में यह बजट कॉन्ट्राडिक्टरी दिख रहा है। एक तरफ सरकार जहां डिजिटल वर्क को बढ़ावा देने की बात कर रही है। वहीं सर्विस टैक्स बढ़ने की वजह से गैजेट्स, मोबाइल, लैपटॉप के साथ ही इंटरनेट पैक तक सभी महंगे होंगे। इसमें सरकार की मंशा समझ से परे है। कुछ गैजेट्स अब लग्जरी कैटेगरी में नहीं आते हैं, इसमें मोबाइल और लैपटॉप भी शामिल हैं। इनको टैक्स में छूट मिलनी चाहिए थी।

ऑटोमोबाइल्स

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ऑटोमोबाइल कॉम्पलीमेंट्री गुड्स में आता है। ऑटोमोबाइल सेक्टर को भी टैक्स से कोई राहत नहीं मिली। अपनी गाड़ी का सपना संजोए गोरखपुराइट्स को झटका ही लगा है। एक्सप‌र्ट्स की मानें तो जिन्हें सामान खरीदना होता है, पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स का रेट कम होते ही उनका इंटरेस्ट बढ़ जाता है और वह उसे परचेज कर लेते हैं। इसको ध्यान में रखते हुए इस बार बजट में ऐसे लोगों को कोई रिलीफ नहीं दी गई।