- पिछले 21 दिनों में हो चुकी हैं गोलीबारी की 11 घटनाएं

- चार लोगों की हत्या तो गोली लगने से हो चुकी है एक की मौत

-असलहा पास होने पर भी घटनाओं के वक्त खुद को रखें कूल

GORAKHPUR:

21 दिसंबर, समय: 2 बजे के करीब

यूनिवर्सिटी में किसी बात पर विवाद हुआ तो एक छात्रनेता ने असलहा निकालकर गोली चला दी।

21 दिसंबर, समय: 11.30 बजे के करीब

गिरधरगंज, आवास-विकास कॉलोनी में महज 275 रुपए के लिए एक शख्स ने असलहा निकालकर गोलियां तड़तड़ा दीं।

20 दिसंबर, समय: दोपहर 12 बजे के करीब

खोराबार के जंगल अयोध्या प्रसाद गांव में पति अमरजीत यादव ने अपनी पत्नी की गोली मारकर हत्या

19 दिसंबर, समय: दो बजे करीब

गगहा एरिया में ईट-भट्ठा मालिक रामकेवल की दिन दहाड़े गोली मारकर हत्या

यह तो महज चार घटनाएं हैं। पिछले 21 दिनों में करीब एक दर्जन ऐसे मामले आए हैं, जब या तो कहीं गोली चली है या किसी की हत्या हुई। यह दिखा रहा है कि गोरखपुरियों का माथा जरूरत से ज्यादा गरम होने लगा है। लोगों में पेशेंस कम होने लगा है और बात-बात पर बंदूक निकलने लगी है। इस बारे में आई नेक्स्ट ने एक्सप‌र्ट्स से बात की कि आखिर क्यों लोग धैर्य खोने लगे हैं। आइए जानते हैं क्या कहते हैं एक्सप‌र्ट्स

कम हो गई है टॉलरेट करने की क्षमता

लोगों में इनटॉलरेंस काफी ज्यादा बढ़ गया है। चीजों को टॉलरेट करने की क्षमता कम हो गई है। बच्चे हों या फिर बड़े हों, सबके साथ ऐसा हो रहा है। साथ ही लोगों में ईगो भी बढ़ गया है। किसी भी इवेंट पर इमिडिएट रिएक्शन हो जा रहा है। लोग नहीं सोचते कि आगे क्या होगा। बाद में अगर वह घटना पर एनालिसिस करें तो उन्हें मिलेगा कि इसमें उन्हें नुकसान ही उठाना ही पड़ा है। अगर वह ठंडे दिमाग से सोचकर आगे बढ़ें तो ऐसी घटनाएं होंगी ही नहीं।

- डॉ। पीएसएन तिवारी, साइकोलॉजिस्ट

हथियार करवा रहा वार

यह चीजें सिचुएशनल होती हैं। मौके पर अगर हथियार पास में है, तो डर कम हो जाता है और उकसावा मिलता है। हथियारों की आसानी से उपलब्धता इसका सबसे अहम कारण है। अग्रेसिव बिहेवियर को लेकर हुई रिसर्च में यह बात सामने आई है कि हथियारों की ईजली अवेलिबिल्टी होने पर ह्यूमन नेचर में काफी तेजी से एग्रेशन आ जाता है। अगर पास में हथियार हो तो वह बगैर गलत-सही सोचे कुछ भी कर गुजरते हैं। इसमें वैध और अवैध हथियार मायने नहीं रखते हैं।

- डॉ। धनंजय कुमार, साइकोलॉजिस्ट

हो रहा है सोशल डिसऑर्गनाइजेशन

आज समाज में सोशल डिसऑर्गनाइजेशन हो चुका है। ज्वॉइंट फैमिली रह ही नहीं गई है। आज बच्चों को बताने वाला कोई नहीं है कि क्या अच्छा है? क्या खराब है? क्या करें, क्या नहीं करें? यह समझाने वाला ही कोई नहीं है। घर में किसी को किसी से कोई मतलब नहीं है। बच्चे भी मशीन होकर रह गए हैं, स्कूल, ट्यूशन और पढ़ाई के अलावा सामाजिक मूल्यों की शिक्षा ही उन्हें नहीं दी जाती। स्कूल में भी इस तरह की कोई पहल नहीं होती। इसकी वजह से छोटे-छोटे बच्चों में एरोगेंस बढ़ गया है।

डॉ। प्रमोद शुक्ला, सोश्योलॉजिस्ट

ये घटनाएं बताती हैं कितना सीरियस है सीन

-20 दिसंबर को खोराबार एरिया के वनसप्ती पूर्व अपर निदेशक की सफारी गाड़ी पर फायरिंग

-20 दिसंबर को खोराबार के जंगल अयोध्या प्रसाद गांव में पति अमरजीत यादव ने पत्नी की गोली मारकर हत्या

-19 दिसंबर को गगहा एरिया में ईट भट्ठा मालिक रामकेवल की दिन दहाड़े गोली मारकर हत्या

-19 दिसंबर को चौरीचौरा एरिया के एसबीआई सरदारनगर ब्रांच में गार्ड की बंदूक से गोली चलने का मामला, दहशत

-17 दिसंबर को खोराबार के रानीडीहा में रेस्टोरेंट में युवकों ने फायरिंग की

-13 दिसंबर को खजनी एरिया के जरलही गांव में तमंचा सटाकर दंपत्ति से लूट

-12 दिसंबर को कैंट एरिया के गिरधरगंज में रिसेप्शन के दौरान हर्ष फायरिंग में गोली लगने से मासूम श्रेयांश की मौत

-7 दिसंबर को झंगहा एरिया में हत्यारोपी के भाई व मां पर हमला, फायरिंग

-2 दिसंबर को चिलुआताल के प्रतापुर सिहोंरवा में नकाबपोश बदमाशों ने दिनदहाड़े दिव्यांग की गोली मार कर हत्या

-30 नवंबर को तिवारीपुर के बुलाकीपुर में संपत्ति के बटवारे को लेकर भाई की गोली मारकर हत्या