- पर्याप्त मात्र में नहीं हैं छोटे-मोटे अग्निकांडों से तत्काल निपटने के यंत्र
- जो हैं भी, उन्हें भी नहीं चला पाता कोई कर्मचारी
GORAKHPUR: जिन अधिकारियों पर जिले भर की विभिन्न व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी है, असलियत में उन्हीं के कार्यालय में बुनियादी व्यवस्थाओं का अभाव है। गुरुवार को कलेक्ट्रेट परिसर स्थित तीन दुकानों में शॉर्ट सर्किट के कारण आग लग गई थी। इसमें करीब 35 लाख रुपए के बीज सहित कीटनाशक जलकर राख हो गए। जहां आग लगी वहां से रजिस्ट्री विभाग महज दस कदम की दूरी पर ही स्थित है। अगर आग बढ़ती तो रजिस्ट्री विभाग सहित अभिलेखागार के महत्वपूर्ण पेपर और अभिलेख जलकर राख हो गए होते। नेशलन बिल्डिंग कोड ऑफ इंडिया 2005 के तहत सभी सरकारी और निजी भवनों में आग बुझाने के पर्याप्त बंदोबस्त होने चाहिए। इसके तहत सभी कार्यालयों में एबीसी फायर एक्सटिंग्यूशर, फायर बकेट, रेत और हाइड्रेंट होना अनिवार्य है। जब आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने कलेक्ट्रेट परिसर का जायजा लिया, तो वहां ये सभी चीजें पर्याप्त मात्रा में मौजूद नहीं है।
कैसे बुझेगी कलेक्ट्रेट की आग
होली के दिन कलेक्ट्रेट परिसर में आग से लाखों का नुकसान हुआ था। इसके बाद आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने कलेक्ट्रेट के विभिन्न कार्यालयों में आग बुझाने के जरूरी संसाधनों की पड़ताल की तो आइडियल ऑफिस की असलियत सामने आ गई। फायर डिपार्टमेंट किसी कार्यालय, फैक्ट्री या बिल्डिंग में जिन जरूरी संसाधनों को लगवाने का कार्य करता है, कलेक्ट्रेट में वे सभी आवश्यकता से काफी कम मिले। यहां अधिवक्ताओं के तख्तों के अलावा दर्जन भर से अधिक अधिकारियों के ऑफिस हैं। अभिलेखागार, रजिस्ट्री ऑफिस, डीएम ऑफिस में एबीसी फायर एक्सटिंग्यूशर तो मिले, लेकिन जब उन्हें इस्तेमाल करने के संबंध में पूछा गया तो सभी कर्मचारियों ने हाथ खड़े कर दिए।
रजिस्ट्री ऑफिस
आग लगने वाली जगह के सबसे करीब पड़ने वाले रजिस्ट्री ऑफिस का आई नेक्स्ट टीम ने रियलटी चेक किया तो ग्राउंड फ्लोर स्थित ऑफिस में एक फायर एक्सटिंग्यूशर लगा मिला। यहां कर्मचारियों से इसके इस्तेमाल के संबंध में पूछने पर सभी ने हाथ खड़े कर दिए। इस तीन मंजिल के ऑफिस में शॉर्ट सर्किट से लगी आग को बुझाने की कोई व्यवस्था नहीं थी।
स्टोर का हाल
कलेक्ट्रेट में राज्य कर्मचारी कल्याण निगम का स्टोर है। यहां कर्मचारियों के लिए सामान उचित मूल्य पर मिलता है। स्टोर में हमेशा लाखों रुपए का सामान रहता है। यहां भी आग से निपटने की व्यवस्था भगवान भरोसे ही थी।
प्रोबेशन ऑफिस
कलेक्ट्रेट के गेट नंबर दो से अंदर घुसते ही जिला प्रोबेशन अधिकारी का कार्यालय है। इस कार्यालय में विभिन्न योजनाओं के जरूरी पेपर होते हैं। यहां आग लगने की आपात स्थित से निपटने के कोई बंदोबस्त नहीं किए गए हैं। यहां ना तो एक्सटिंग्यूशर मिला, ना ही बाल्टी और बालू।
सेंट्रल ऑफिस
ऐतिहासिक सेंट्रल हॉल में डीएम ऑफिस के सभी बाबू बैठते हैं। इनके जरूरी पेपर भी यहीं होते हैं। इस हॉल सहित आसपास स्थित अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी कार्यालय, नजारत बाबू कार्यालय में भी आग से निपटने का कोई इंतजाम नहीं था।
ये होनी चाहिए व्यवस्थाएं
फायर विभाग के अधिकारियों के अनुसार सभी कार्यालयों में फायर एक्सटिंग्यूशर, बालू की रेत भरी बाल्टी और हाइड्रेंट की व्यवस्था होनी चाहिए।
जहां जरूरी पेपर हैं उन कार्यालयों में फायर एक्सटिंग्यूशर लगे हैं। अभिलेखागार, लाइब्रेरी में भी इन्हें लगाया गया है। बाल्टी, हाइड्रेंट आदि की व्यवस्था के लिए डीएम महोदय से बात करूंगा।
राजेंद्र सिंह, नजारत बाबू, डीएम ऑफिस