- तीन दिनों तक चलने वाले 10वें गोरखपुर फिल्म फेस्टिवल का अरुंधती रॉय ने किया इनॉगरेशन
GORAKHPUR : गोरखपुर के क्0वें फिल्म फेस्टिवल का आगाज कॉन्ट्रोवर्सी के बीच हुआ। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायधीश मारकंडेय काटजू, वीएचपी की फायर ब्रांड नेता साध्वी प्राची के बाद अब बुकर अवार्डी अरुंधती रॉय ने भी महात्मा गांधी को लेकर विवादित बयान दे डाला। उन्होंने कहा कि मोहनदास करमचंद गांधी पहले कॉर्पोरेट एनजीओ थे। उन्होंने कहा कि साउथ अफ्रीका में रहने के दौरान दलितों, महिलाओं और अदर बैकवर्ड कास्ट के लिए काफी बुरी बातें लिखीं हैं। जब वह इंडिया आए तो उनके लेखों में काफी कुछ ऐसा देखने को मिला, जो कॉर्पोरेट्स को फायदा पहुंचाने वाला था।
खूब हुए क्रॉस क्वेश्चन
अरुंधती की गांधी को लेकर दिए गए बयान पर काफी डिस्कशन और क्रॉस क्वेश्चनिंग भी हुई। उनकी स्पीच के बाद क्वेश्चन-आंसर राउंड में उन्होंने अपनी बातों को क्लैरिफाई भी किया। उन्होंने बताया कि यह बातें मैने अपने मन से नहीं बल्कि गांधी के राइटअप और वक्तव्यों को कोट, उसके बेसिस कर अपनी किताब में लिखा है। कुछ सवालों पर उन्होंने कहा कि मैं यह कतई नहीं कह रही हूं कि गांधी ने जो लिखा वह सभी कुछ गलत है। उन्होंने इसके कई एग्जापल भी शेयर किए।
कारपोरेट्स कंपनियां चला रही हैं देश
अरुंधती ने लोगों से रूबरू होते हुए कहा कि अंबानी, वेदांता, जिंदल और टाटा जैसी कंपनियां आज देश चला रही हैं। पेट्रोलियम, गैस, कोयला, टूरिज्म और सूचना की फील्ड उनके कब्जे में हैं। वह ही उन्हें नियंत्रित करते हैं। पूंजीवाद के साथ ही जाति व्यवस्था का भी इस देश में गहरा गठजोड़ है, इसने हमारे समाज को बांट रखा है। उसके खिलाफ हमें प्रतिरोध करना होगा। उन्होंने कहा कि कारपोरेट कंपनीज की ओर से स्पांसर जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में रुश्दी की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बहुत फेस्टिवल होते हैं, लेकिन जिंदगी के बुनियादी अधिकारों के लिए लड़ रहे छत्तीसगढ़ के आदिवासियों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के सवाल पर चुप्पी बनी रहती है। उन्होंने कहा कि यह कारपोरेट ताकतें यूनिवर्सिटी के सिलेबस, बुद्धिजीवियों और आंदोलनों को इस तरह से अनुकूलित कर रही हैं कि प्रतिरोध का पहलू उनके अंदर से गायब होता जा रहा है। इस दौरान फेमस फिल्म मेकर संजय काक, जन संस्कृतिमंच के राष्ट्रीय महासचिव प्रणय कृष्ण, प्रतिरोध का सिनेमा अभियान के राष्ट्रीय संयोजक संजय जोशी ने भी अपनी बातें रखीं।
श्रमजीवी एक्सप्रेस से हुई शुरुआत
फिल्म फेस्टिवल की ओपनिंग सेरेमनी के बाद पहली फिल्म श्रमजीवी एक्सप्रेस दिखाई गई। सस्ते मजदूर और सस्ते उत्पादन के पीछे की सच्चाई दिखाई गई है। वहीं दलित की निगाह से भारतीय राष्ट्रवाद पर सवाल उठाते हुए फ्रंडी भी लोगों के दिलों को छू गई। इस दौरान गोरखपुर फिल्म सोसाइटी और गार्गी प्रकाशन की ओर से किताबों का स्टॉल भी लगाया गया। फिल्म फेस्टिवल कमेटी मेंबर फरहान अहमद ने बताया कि संडे की शुरुआत बच्चों के सेशन से होगी। प्रो। बीरेन दास शर्मा बच्चों को कहानी बताएंगे, वहीं संजय मट्टू के साथ बच्चे कहानियों का आनंद लेंगे। इस दौरान कई डॉक्युमेंट्री भी दिखाई जाएगी।