- समर्थन मांगने गए डिप्लोमा इंजीनियर्स और जीडीए ठेकेदारों के बीच हुई मारपीट
- पहले अभियंताओं ने लोहिया इंक्लेव का बंद कराया काम
GORAKHPUR: बिना जेई के जीडीए में हो रहे निर्माण कार्य को रुकवाने पहुंचे डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ और जीडीए के ठेकेदारों ने जीडीए दफ्तर को अखाड़ा बना दिया। दोनों पक्षों के बीच लगभग 30 मिनट तक जमकर मारपीट हुई। सूचना मिलते ही एडीएम सिटी और एसएसपी मौके पर पहुंचे तब जाकर मामला शांत हुआ। डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ से आरोप लगाया कि बिना जेई हो रहे कार्य गुणवत्ताविहीन होंगे, जिसकी जिम्मेदारी कोई नहीं लेगा, वहीं जीडीए का कहना है कि यहां के केवल जेई धरने पर हैं अन्य लोग कार्य कर रहे हैं, ऐसे में गुणवत्ता के साथ कोई खिलवाड़ नहीं करेगा।
पहले रुकवाया कार्य
डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ के समर्थन में सभी जेई के आ जाने के बाद भी कई सरकारी विभागों में निर्माण कार्य चल रहा है। शुक्रवार को धरना स्थल पर इसी तरह की सूचना मिली कि जीडीए के जेई धरने पर हैं, लेकिन लोहिया इंक्लेव में निर्माण कार्य चल रहा है। इसकी सूचना मिलते ही धरना स्थल से उठकर दोपहर करीब दो बजे संघ के सदस्य लोहिया इंक्लेव पहुंचे, जहां कार्य कर रहे मजदूरों को दौड़ाकर पीटा और कार्य बंद करा दिया।
वार्ता के दौरान मारपीट
वहां से संघ के सदस्य जीडीए परिसर पहुंचे और चीफ इंजीनियर से वार्ता करने लगे। संघ के बृजेश दूबे का कहना है कि हम लोग जीडीए परिसर में वार्ता के लिए पहुंचे, उसी समय जीडीए की सरकारी गाड़ी से कुछ लोग आए, जिसमें बांस-बल्ली भरा हुआ था। वह संघ के सदस्यों को मारने लगे। वहीं जीडीए चीफ इंजीनियर संजय सिंह का कहना है मैं अपने ऑफिस में बैठा था, उसी समय कुछ लोग आए और कहने लगे कि बिना जेई कार्य हो रहा आप चलकर कार्य रुकवा दीजिए, अभी मैं कुछ बोलता इसके पहले ही लोग हंगामा शुरू कर दिया। परिसर में किससे-किससे मारपीट हुई इसके बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है।
हमारे चीफ इंजीनियर का इस आंदोलन से कुछ लेना-देना नहीं है। जीडीए परिसर में क्या हुआ, इसके बारे में वह लोग ही बता सकते हैं।
शिवश्याम मिश्र, उपाध्यक्ष, जीडीए
हम लोगाें को जानकारी हुई कि बिना जेई के जीडीए के लोहिया इंक्लेव में कार्य हो रहा है, हम लोग इस कार्य को बंद कराया और उसके बाद वहां से जीडीए आफिस गए जहां चीफ इंजीनियर से वार्ता कर रहे थे, उसी समय जीडीए के सरकारी गाड़ी में लोग आए और हम लोगों को पर हमला कर दिया।
बृजेश कुमार दूबे, डिप्लोमा इंजीनियर संघ