गोरखपुर (ब्यूरो)। महिला उत्पीडऩ से संबंधित मामलों को तुरंत दर्ज करने के लिए 181 व 1090 पर कॉल कर सकते हैैं। इसे लेकर पुलिस भी कैंपेन चला रही है।
केस-1: तिवारीपुर के माधोपुर न्यू कॉलोनी निवासी 22 वर्षीय विवाहिता की फंदे से लटकती बॉडी मिली। मायके वालों ने ससुरालियों पर दहेज उत्पीडऩ का आरोप लगाया। बताया जा रहा है विवाहिता के बच्चे भी थे। फॉरेसिंक जांच के बाद पुलिस ने बॉडी को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
केस-2: सुबा बाजार निवासी एक महिला का आरोप था कि उसका पति शराबी है। उसके दो बच्चे हैैं, लेकिन वह बच्चों के पढ़ाई लिखाई पर ध्यान नहीं देता है और ना ही घर के किसी काम में आर्थिक रूप से सहयोग करता है। इसकी शिकायत के बाद भी खोराबार पुलिस की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई।
4 साल में 1174 केस दर्ज
यह दो केस बिखरते रिश्तों की बानगी भर हैं। जैसे-जैसे हमारा समाज पढ़ा लिखा और टेक्नोलॉजी से लैस होता जा रहा है। वैसे-वैसे पारिवारिक ताना-बाना बिखर भी रहा है। छोटी-छोटी बातों पर घरेलू हिंसा के तमाम मामले थाने व कचहरी तक पहुंच रहे हैैं। चार साल में 1774 मामले दर्ज किए गए हैैं। यह सभी मामले घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 के तहत दर्ज किए गए हैं। 2022-23 के जनवरी से 22 जून तक कुल 206 मामले दर्ज किए गए हैैं। इनमें 190 मामले न्यायालय में पेश किए गए। लेकिन 16 केस लंबित हैैं, जिन पर न्याय होना बाकी है।
फैक्ट फीगर
सन महिला उत्पीडऩ के मामले
2019 - 996
2020 - 340
2021 - 232
2022 - 206
(नोट: 2022 में आंकड़े 22 जून तक के हैं.)
इस तरह के आते हैैं मामले
- पत्नी की शिकायत रहती है कि पति घरेलू काम में हाथ नहीं बंटाता है।
- बच्चों की केयर नहीं करता है और ना ही बच्चों को स्कूल छोड़ता है।
- सास-ससुर की देखभाल नहीं करने और न्यूक्लियर फैमिली बनाने का बनाती हैैं प्रेशर।
घरेलू हिंसा में महिला की आवश्यकता के अनुसार मेडिकल सुविधा, अल्प आवास सुविधा व पुलिस सहायता और विधिक सहायता उपलब्ध कराए जाने की व्यवस्था है। महिला उत्पीडऩ के मामले में त्वरित कार्रवाई की जाती है।
सरबजीत सिंह, डीपीओ गोरखपुर