- साल दर साल बड़ रहे हैं सिजेरियन केसेज के आंकड़े

- इसमें गांव का आंकड़ा कम, जबकि शहर में ज्यादा है लोगों की तादाद

- गवर्नमेंट हो या प्राइवेट सभी हॉस्पिलटल्स में शहरी सिजेरियन को देते हैं प्रिफरेंस

GORAKHPUR: मां, बनने का सपना संजोने वाली फीमेल्स प्रेग्नेंसी पीरियड कंप्लीट होने के बाद जब बात डिलेवरी की आती है, तो वह नॉर्मल डिलेवरी को नकार देती हैं। ऐसी फीमेल्स की तादाद एक्का-दुक्का नहीं, बल्कि 30 से 40 फीसद हैं। इसमें भी शहरी इलाकों में रहने वाली फीमेल्स की तादाद सबसे ज्यादा है। यह हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि नेशनल हेल्थ सर्वे के डाटा इस बात को साफ बयां कर रहे हैं। जारी आंकड़ों पर नजर डालें तो गवर्नमेंट और प्राइवेट दोनों तरह के हॉस्पिटल में डिलेवरी कराने वाली फीमेल्स में से एक बड़ा धड़ा सिजेरियन डिलेवरी को ही प्रिफरेंस देता है, इसमें भी अर्बन एरियाज में रहने वाली फीमेल्स का आंकड़ा सबसे ज्यादा है। साल दर साल यह आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है।

गवर्नमेंट हॉस्पिटल में 13 फीसद

हेल्थ सर्वे के लेटेस्ट डाटा पर नजर डाली जाए तो प्रेग्नेंट लेडी अगर गवर्नमेंट हॉस्पिटल में एडमिट कराई गई है, तो इसमें करीब 13 फीसद ऐसी फीमेल्स हैं, जिनकी सिजेरियन डिलेवरी हुई है। डॉक्टर्स की मानें तो इसमें ज्यादातर फीमेल्स खुद सिजेरियल डिलेवरी के लिए अप्रोच करती हैं, वहीं कुछ क्रिटिकल केसेज में यह मजबूरी हो जाती है, जिसमें फीमेल्स की सिजेरियन डिलेवरी ही करानी पड़ती है। इस 13 परसेंट में भी करीब 10 फीसद ऐसी फीमेल्स हैं, जो रूरल एरियाज में रहती हैं, वहीं 27 फीसद फीमेल्स ऐसी हैं जोकि प्योर अर्बन एरियाज से बिलांग करती हैं।

प्राइवेट हॉस्पिटल्स में ज्यादा

प्राइवेट हॉस्पिटल की बात की जाए तो यहां पर सिजेरियन डिलेवरी का आंकड़ा काफी ऊपर है। रूरल एरियाज हो या फिर अर्बन, दोनों ही जगह से बिलांग करने वाली फीमेल्स को सिजेरियन ऑपरेशन ही कराना पड़ा है। आंकड़ों की बात की जाए तो प्राइवेट हॉस्पिटल में यह आंकड़ा करीब 40 फीसद है। इसमें भी अर्बन एरियाज से करीब 47.2 परसेंट फीमेल्स की सिजेरियन डिलेवरी की गई है, जबकि रूरल एरियाज में 33.7 फीमेल्स का ऑपरेशन किया गया है।

गोरखपुर का रिकॉर्ड

गवर्नमेंट हॉस्पिटल में डिलेवरी -

साल टोटल रूरल एरियाज अर्बन एरियाज

2010-11 12.9 9.8 27.0

2011-12 8.1 4.6 23.2

2012-13 8.5 5.0 24.2

प्राइवेट हॉस्पिटल में डिलेवरी - 201-11

साल टोटल रूरल एरियाज अर्बन एरियाज

2010-11 39.5 33.7 47.2

2011-12 34.3 24.3 50.8

2012-13 38.9 30.5 50.8

इन तरीकों से बढ़ेंगे नॉर्मल डिलीवरी के चांस:

- हेल्दी और फिट रहें। खून की कमी नहीं होनी चाहिए।

- बैलेंस और सही आहार लेना है बहुत जरूरी। प्रेग्नेंसी में आयरन और कैल्शियम लेना बहुत जरूरी है।

- पानी की कमी न होने दें। गर्भ में बच्चा एक थैली में रहता है। इस थैली को एमनियोटिक फ्लूड कहते हैं। इसी से बच्चे को एनर्जी मिलती है। ऐसे में मां के लिए ये जरूरी है कि वो हर रोज आठ से दस गिलास पानी पिए।

- भारी काम करना या सामान उठाना आपको नुकसान पहुंचा सकता है लेकिन हिलना-डुलना बंद कर देना सही नहीं है। इसलिए टहलना जरूरी है।

- एक्सरसाइज करें और टेंशन फ्री रहें। मां की मानसिक स्थिति का सीधा असर बच्चे के जन्म और डिलीवरी पर पड़ता है।

क्यों करानी पड़ती है सिजेरियन डिलेवरी

- असहनीय दर्द से बचने के लिए मां कई बार नॉर्मल डिलेवरी को छोड़कर सिजेरियन को ही चुनती हैं। शहरी इलाकों में यह तादाद गांव के मुकाबले ज्यादा होती है।

- प्रेग्नेंट लेडी का ब्लड प्रेशर बढ़ने या दौरा पड़ने की स्थिति में सिजेरियन ऑपरेशन किया जाता है। ऐसा न करने पर दिमाग की नसें फट सकती हैं, जिससे लिवर व किडनी खराब हो सकती है।

- छोटे कद वाली फीमेल्स् की कूल्हे की हड्डी छोटी होती है, इससे बच्चा नॉर्मल वे में नहीं हो पाता है।

- कई बार दवाओं से बच्चेदानी का मुंह नहीं खुल पाता, इस केस में सर्जरी करनी पड़ती है।

- ज्यादा खून बहने पर भी सिजेरियन ऑपरेशन किया जाता है।

- बच्चे की धड़कन कम होने या गले में गर्भनाल लिपटी होने, बच्चे का आड़ा या उल्टा होना, कमजोरी या खून का दौरा कम होने पर भी ऑपरेशन होता है।

- बच्चा जब पेट में ही गंदा पानी छोड़ देता है, जिसे मिकोनियम कहते हैं, इस स्थिति में तुरंत ऑपरेशन कर बच्चे की जान बचाई जाती है।