- सड़क हादसे में पिता के साथ हुई बेटी की मौत, मां-बाप की इकलौती बेटी थी भव्या

- 23 फरवरी को मिलने वाली थी एमबीबीएस की डिग्री

- एमबीबीएस और इंटर्नशिप कंप्लीट करने के बाद एमसीआई में रजिस्ट्रेशन की कर रही थी तैयारी

GORAKHPUR : सड़क पर दबी-कुचली गाड़ी। जिंदगी बचाने की जद्दोजहद करती उसमें फंसी चार जिंदगियां और चाह कर भी मदद न कर पाने की बेबसी। रोड एक्सीडेंट में बैंक मैनेजर और उसकी बिटिया की मौत से पहले का नजारा कुछ ऐसा ही था। मगर लाख कोशिशों के बाद भी हादसे में घायल दो लोग जिंदगी की जंग हार गए। जब तक मदद के लिए वहां लोगों के हाथ पहुंचते, इससे पहले ही उनकी सांसे थम चुकीं थी। दूसरों की जिंदगी को बचाने का सपना संजोने वाली बेटी भव्या को डॉक्टर का ट्रीटमेंट तक नहीं नसीब हो सका और उसने गाड़ी में ही तड़प-तड़पकर दम तोड़ दिया।

सामने ही थम गई सांसे

जिला अस्पताल के इमरजेंसी आर्थो वार्ड में बेड नंबर एक पर भर्ती अनमोल के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने हादसे के बारे में पूछा तो नम आखों से उसने दर्द बयां करते हुए बताया कि एक्सीडेंट के बाद सामने ही कार में भव्या तड़प रही थी, कार में दूसरी तरफ मैं इतनी बुरी तरह से फंसा था कि हिलना भी मुश्किल था। मेरी आंखों के सामने ही भव्या मुझे उम्मीद भरी निगाहों से देख रही थी, लेकिन मैं बेबस था। देखते ही देखते भव्या की सांसे थम गई और मैं चाहकर भी कुछ न कर सका। सबसे ज्यादा दुख इस बात का है कि उधर से आने-जाने वाले लोगों ने भी मदद करने की जहमत नहीं उठाई। वहीं दूसरी ओर सड़क हादसे की सूचना पाकर मध्य प्रदेश से अनमोल के पिता और माता जिला अस्पताल के आर्थो वार्ड पहुंच गए। उन्हें देखकर अनमोल रो पड़ा और दुर्घटना की कहानी सिलसिले वार अपने परिजनों को बताई।

बीएचयू से किया एमबीबीएस

मृतक भव्या अपने कुनबे का इकलौती थी। शुरू से ही पढ़ाई में होनहार थी। गोरखपुर से ग्रेजुएशन की पढ़ाई कंप्लीट करने के बाद उसने डॉक्टर बनने के लिए एमबीबीए प्रवेश परीक्षा क्वालिफाई की और बीएचयू में एडमिशन लिया। घर में सभी उसे पारुल कहकर पुकारते थे। बेटी के सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने किसी तरह की परेशानी को आड़े नहीं आने दिया। पिता मृतक हरि शंकर अपनी बेटी को लेने के लिए बनारस चले गए। पत्‍‌नी रेनू शुक्ला भी साथ जाने वाली थीं, लेकिन किसी कारणवश वह नहीं जा सकीं। मंगलवार की रात बेटी की राह तक रही मां का इंतजार पूरा न हो सका और सड़क हादसे ने उसे अकेला कर दिया।

पीएम के हाथों मिलनी थी डिग्री

23 तारीख को बीएचयू में दीक्षांत समारोह का आयोजन होने वाला है। इसमें सभी एमबीबीएस के स्टूडेंट की डिग्री मिलने वाली है। भव्या भी इस लिस्ट में शामिल थी। 23 फरवरी को पीएम के हाथों डिग्री पाने का सपना संजोए मृतक भव्या हंसी खुशी पिता के साथ घर वापस लौट रही थी। उनके साथ उसका रिश्तेदार अनमोल भी था। दोनों को एमसीआई लखनऊ में रजिस्ट्रेशन करवाना था। गोरखपुर आने के बाद वह रजिस्ट्रेशन के लिए लखनऊ जाने वाले थे। लेकिन हादसे ने भव्या की जान ले ली।

राजघाट पर हुआ दाह संस्कार

राजघाट पर बुधवार की देर शाम पिता और बेटी का दाह संस्कार किया गया। इस दौरान सभी के आंखे नम थी। उधर रेनू शुक्ला भी मौके पर थी। बार-बार चिता की ओर दौड़ लगा रही थी। लोगों ने कई बार उन्हें चिता के पास से वापस खींचा।