- जिले में औसत से कम बारिश का असर पड़ सकता है गेहूं की खेती पर

- जिले की खेतों में नमी की कमी से कृषि विभाग का छूटा पसीना

- आधी प्रभावित हो सकती है गेहूं की खेती

GORAKHPUR: इस साल मानसून ने बेरुखी कर डाली। इसका असर अब पूरे साल नजर आना तय है। खरीफ की फसल बर्बाद करने के बाद मानसून का असर अब आगे की फसलों पर पड़ना तय है। कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो इसका पहला असर रबी पर पड़ सकता है। बारिश की कमी के कारण खेतों से नमी की कमी हो गई है, जिससे गेहूं की फसल पर भी इफेक्ट पड़ना तय है। खेतों में नमी की कमी से किसानो के साथ ही साथ कृषि विभाग के अधिकारियों के भी पसीने छूटने लगे हैं। जिला कृषि विभाग से जुड़े लोगों की मानें तो बुआई के समय जो नमी होनी चाहिए, वह जमीन में मौजूद नहीं है।

अधिक पड़ सकता है भार

जिला कृषि अधिकारी अरविंद चौधरी का कहना है कि अभी तक धान की फसल काटने के बाद खेत जोता जाता है। इसके 10 से 15 दिन के बाद गेहूं की बुआई कर दी जाती है। खेतों में नमी न होने के कारण इस बार ऐसा नहीं हो पाएगा। इस बार किसानों को गेहूं बोने से पहले खेतों की सिंचाई करनी पड़ेगी। उसके बाद ही बुआई हो सकेगी। इस तरह से देखें तो प्रति हेक्टेयर किसान को दो हजार रुपए का भार पड़ने वाला है।

वैज्ञानिकों के भी छूटे पसीने

मानसून की कमजोर विदाई को लेकर सभी परेशान हो गए हैं। किसान बादल और जमीन को टकटकी निगाह से देखे रहे हैं, तो खेती में नमी न होने से कृषि वैज्ञानिकों की टीम परेशान होने लगी है। कृषि वैज्ञानिक एसएन सिंह का कहना है कि मानसून की कमजोर विदाई के कारण जमीन में पर्याप्त नमी नहीं है, जो किसानों के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती है। गोरखपुर में औसत से कम बारिश होने के कारण स्थानीय कृषि अधिकारियों के चेहरे पर पसीना छूटने लगा है। जिला कृषि ऑफिस के लोगों का कहना है कि किसान को बीज लेने के लिए कहा जा रहा है, तो वह खेतों में नमी की कमी का हवाला देकर इसे लेने से कतरा रहे हैं।

बारिश न होने से पूरा खेत सूख गया है। अगर इस समय किसी भी खेत में बीज डाल दिया जाए तो वह अंकुरित नहीं होगी। इसलिए गेहूं की पहली बुआई करने से पहले ही खेत की सिंचाई का अतिरिक्त भार हम लोगों पर पड़ रहा है।

अविनाश पांडेय, किसान

खेतों की हालत यह है कि बारिश न होने के कारण जोताई नहीं हो पा रही है। खेत में नमी के लिए सिंचाई करनी पड़ रही है। अब डर यह सता रहा है कि अगर आगे भी बारिश नहीं हुई और सिंचाई से ही पूरा गेहूं पैदा करना पड़ गया तो किसानों की कमर टूट जाएगी।

चिंता मणि, किसान

खेतों में नमी के कारण गेहूं की बुआई प्रभावित हो सकती है। जिले के खेतों में पर्याप्त नमी नहीं है। जिससे किसानों के उपर और अधिक भार पड़ने वाला है।

अरविंद कुमार चौधरी, जिला कृषि अधिकारी गोरखपुर