- दिवाली के आसपास किया गया था सुनील का अपहरण, कच्ची दारू के कारोबारी पर पिता ने लगाया अपहरण का आरोप

- भुखमरी की कगार पर पहुंच चुका है सुनील का परिवार, डीएम से मिलकर सुनील को वापस लाने की लगाई गुहार

GORAKHPUR : आंसू से डबडबाई हुई आंखें, मायूस चेहरे पर किसी के आने का इंतजार, नन्हें हाथों में तख्तियां लिए मासूम, आखों में दर्द लिए लाचार मां। यह दर्द भरा नजारा कलेक्ट्रेट कैंपस की भीड़ में खुद अकेला पाने वाले उस परिवार का था, जिन्होंने अपने इकलौते सहारे को डेढ़ माह पहले खो दिया था। परिवार में दो जून की रोटी भी जुटाना मुश्किल हो गया। जिंदगी की आस खोने के बाद खाली पेट रहने की आदत डाल चुके मासूमों के साथ पूरा परिवार अपने पालनहार की तलाश में दर-दर ठोकरें खाने के बाद शहर के मुखिया के दरवाजे पर जा पहुंचा। जहां मासूमों ने अपने पिता और दुखियारी मां ने अपने बेटे को वापस लाने की गुहार लगाई। उन्होंने कच्ची के कारोबारियों पर अपने बेटे के अपहरण का अरोप लगाते हुए उसे वापस लाने की मांग की है।

12 घंटे भी नहीं रहते थे दूर

कलेक्ट्रेट कैंपस में डीएम के दरवाजे पर बैठा यह परिवार तिवारीपुर थाना क्षेत्र के बहरामपुर निवासी सुनील कुमार का था। दाने-दाने को मोहताज हो चुके इस परिवार ने जिंदगी की आस ही छोड़ दी। अब अपने इकलौते सहारे को वापस लाने के लिए वह आमरण अनशन पर बैठ गया है। नन्हें मासूमों ने बताया कि उनके बाबूजी का पिछले डेढ़ माह से पता नहीं चल सका। वे उनसे 12 घंटे भी दूर नहीं रहते थे। घर आते तो कुछ न कुछ साथ जरूर लेकर आते। मगर पिछले डेढ़ माह से घर के हालात कुछ अलग हैं। गुमशुदगी की शिकायत तिवारीपुर पुलिस से की गई, मुकदमा भी दर्ज हुआ। लेकिन पुलिस के पास भला गरीबों की समस्या सुनने का वक्त कहां है। आमरण अनशन पर बैठी आठ वर्षीय रंजनी, सात साल की रितु, पांच साल की काजल और तीन साल की लक्ष्मी के सिर से मां का साया पहले ही उठ सका है। बरसों से बिन का की बेटियां अब अपने बाप को तलाशने के लिए दर-दर की ठोकरें खा रही हैं।

मुर्दा ही लौटा दो

एक तरफ जहां नन्हें मासूम अपने बाप को वापस लाने की गुहार लगा रहे थे, वहीं इन सबके साथ बैठी दुखियारी मां की आंखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। दिल में बेटे की जुदाई का दर्द लिए दुखियारी मां ने तो यहां तक लिख दिया कि अगर बेटे का जिंदा वापस नहीं ला सकते तो कम से कम उसकी लाश ही सौंप दो, ताकि कम से कम यह आस तो न रहे कि अभी भी हमारा कोई सहारा बचा हुआ है। मां लालमती का कहना है कि जबतक उनका बेटा सुनील जिंदा या मुर्दा घर वापस नहीं लौटता, तब तक उनका आमरण अनशन जारी रहेगा।

कच्ची कारोबारियों पर आरोप

लालमती ने बताया कि मोहल्ले में कच्ची दारू का कारोबार करने वाला जवाहिर दिवाली के दो दिन पहले उसके बेटे को बुलाकर ले गया था। दो घंटे बाद वह घर लौट आया, लेकिन उसका बेटे सुनील का अब तक कोई पता नहीं है। मां का कहना था कि मैं बुजुर्ग हो चुकी हूं। मेरी पोतियां अपने पिता के लिए दिन भर परेशान रहती हैं। उन्होंने बताया कि तिवारीपुर पुलिस हमारी फरियाद बिल्कुल नजरअंदाज किए हुए है। अगर थानेदार चाहें तो उनका बेटा वापस आ सकता है। उन्होंने डीएम से गुहार लगाते हुए कहा कि अगर दूसरे थाने की पुलिस को जांच और ढूंढने की जिम्मेदारी दे दी जाए, तो मेरा बेटा मिल जाएगा। 14 नवंबर को तिवारीपुर थाने में मुकदमा दर्ज हुआ था, लेकिन अब तक पुलिस ने कुछ नहीं किया।