-शहर में बिक रहे मास्क स्वाइन फ्लू से बचने में कारगर नहीं
-सिर्फ अपने फायदे के लिए मास्क बेच रहे व्यापारी
-एक माह में पार कर गया पांच साल के रिकार्ड को
GORAKHPUR: किराने का बिजनेस। कपड़े का बिजनेस। इलेक्ट्रानिक गुड्स का बिजनेस। मोबाइल का बिजनेस। ऐसे कई बिजनेस के नाम अपने सुने होंगे। मगर गोरखपुर में इस समय एक नए तरह का व्यापार का चलन है। यह व्यापार है डर का। सुनकर थोड़ा अजीब लग रहा होगा। मगर चौंकिए मत। ये हकीकत है। इसी डर ने मास्क के बिजनेस को एक माह में करोड़ों रुपए तक पहुंचा दिया है। जो आंकड़ा पिछले पांच सालों को मिलाकर नहींपहुंचा, वह एक माह में पार हो गया। जबकि हकीकत में इस मास्क के यूज से भी स्वाइन फ्लू से बचना मुश्किल नहीं बल्कि नामुमकिन है। क्योंकि इस मास्क से डस्ट को रोका जा सकता है न कि स्वाइन फ्लू के एचक्एनक् वायरस को।
डर का फायदा उठाकर कमा रहे मुनाफा
स्वाइन फ्लू से पूरे देश में क्9ख्म् लोगों की जान जा चुकी है। फ्ख्,ब्8भ् लोग इस बीमारी से पीडि़त हैं। ये हम नहीं बल्कि यूनियन हेल्थ मिनिस्ट्री के मार्च मंथ के आंकड़े बयां कर रहे हैं। इससे यह साफ है कि स्वाइन फ्लू मौत का दूसरा रूप बन चुका है। इसके चलते इस बीमारी का टेरर हर शख्स के दिलों-दिमाग मेंसमा गया है। इस टेरर का फायदा बिजनेसमाइंडेड लोग जमकर उठा रहे हैं। गोरखपुर में मास्क का बिजनेस धड़ल्ले से चल रहा है। डॉक्टर इस बीमारी से बचने के लिए मुंह को कवर करने की सलाह देते हैं। डॉक्टर की इस सलाह को बिजनेसमैन ने अपना हथियार बना लिया है। मेडिकल स्टोर पर सभी दवाओं के साथ विभिन्न तरह के मास्क की डिमांड भी बढ़ गई है। पैरेंट्स जहां अपने बच्चों को मास्क पहनने की सलाह टेरर के मारे दे रहे हैं, वहीं बच्चे इसे शौक में पहन रहे हैं। सड़कों पर यूथ बीमारी से कम शौक के चलते अधिक मास्क पहन रहे हैं।
करोड़ों में पहुंचा बिजनेस
स्वाइन फ्लू ने मास्क के बिजनेस को अचानक धरती से आसमान पर पहुंचा दिया। बीमारी के टेरर से मास्क ही पूरे मार्केट से गायब हो गया। सबसे पहले ओटी मास्क की डिमांड बढ़ी। मार्केट से गायब होता देख व्यापारियों ने नए-नए मास्क उतार दिए। थोक मार्केट में क्भ् से क्00 रुपए कीमत के मास्क उपलब्ध हैं तो फुटकर में 80 से ब्00 रुपए के। मास्क की वैरायटी भी कई हैं। कई लेयर के साथ डिजाइनर मास्क से भी व्यापारी लोगों को लुभा रहे हैं। दवा व्यापारियों के मुताबिक मास्क का बिजनेस लास्ट मंथ में करीब भ् करोड़ के पार पहुंच चुका है। स्वाइन फ्लू के टेरर ने सिर्फ मास्क की बिक्री नहीं बढ़ाई बल्कि एंटी वैक्सीन भी कई गुना अधिक दाम में बिकी।
हकीकत नहीं, सिर्फ टेरर
गोरखपुर में स्वाइन फ्लू का सिर्फ टेरर है। यह हम नहीं बल्कि आंकड़े बयां कर रहे हैं। गोरखपुर में अब तक स्वाइन फ्लू के सिर्फ सात मरीज मिले हैं। जिसमें एक मरीज की मौत हो गई थी। ये सभी मरीज रहने वाले तो गोरखपुर या आसपास इलाके के थे, मगर इन्हें बीमारी गोरखपुर में नहीं हुई थी। कोई लखनऊ में रह कर पढ़ाई कर रहा था तो वहां स्वाइन फ्लू हुआ तो कोई मुंबई में रह कर कमा रहा था, उसे स्वाइन फ्लू हुआ। मतलब गोरखपुर में स्वाइन फ्लू हकीकत में नहीं फैला है, सिर्फ उसका टेरर है।
ये मास्क नहीं बचाता स्वाइन फ्लू से
सीनियर फिजीशियन डॉ। सुधांशु शंकर ने बताया कि गोरखपुर में स्वाइन फ्लू नहीं फैला है। हालांकि अवेयरनेस जरूरी है। मगर मार्केट में मिल रहे मास्क से पूरी तरह स्वाइन फ्लू से नहीं बचा जा सकता। जो भी मास्क मार्केट में बिक रहे है, वह डस्ट से पूरी तरह बचा सकते हैं, मगर स्वाइन फ्लू से बचना मुश्किल है। ऐसे में आप स्वाइन फ्लू के टेरर में एलर्जी से पूरी तरह सेफ हो जाएंगे।
चाइनीज मास्क की अधिक डिमांड
मार्केट में सबसे अधिक मास्क चाइनीज बिक रहे हैं। दवा व्यापारियों ने बताया कि चाइनीज मास्क नेपाल के रास्ते गोरखपुर आ रहे हैं। जो यहां से लेकर वाराणसी, लखनऊ और दिल्ली तक बिकने के लिए जा रहे हैं। ये मास्क स्वाइन फ्लू से तो नहीं बचाएगा, मगर यूथ को बहुत अधिक पसंद आ रहा है। क्योंकि चाइनीज मास्क स्वाइन फ्लू को देख कर नहीं बल्कि फैशन को देख कर बनाया गया है।
मार्केट में मिल रहे मास्क उस लेवल के नहीं है कि उसे लगाकर स्वाइन फ्लू से पूरी तरह बचा जा सके। शहर में स्वाइन फ्लू नहीं है। बस उसकी लोगों में टेरर फैला है।
डॉ। संजीव गुप्ता, फिजीशियन
स्वाइन फ्लू से हो रही लगातार मौत के बाद मास्क का बिजनेस अचानक कई गुना बढ़ गया है। एक समय था कि मार्केट से मास्क गायब हो गया था। मास्क का बिजनेस पिछले एक माह में करोड़ों तक पहुंच गया है।
अवनीश चंद्र श्रीवास्तव, दवा व्यापारी