- टोटल रकम का दस परसेंट लेकर फैला रहे हैं नोटों का मायाजाल

- कई बार पकड़े गए हैं शातिर, लेकिन नेक्सस नहीं हो सका बेनकाब

- रूरल एरियाज में फीमेल्स की हेल्प से चल रहा है नेक्सस

GORAKHPUR : सौ रुपए के बदले अगर किसी को दस हजार रुपए मिलें, तो भला कोई क्यूं पीछे रहेगा। चंद मिनट में बगैर मेहनत किए होने वाले कई गुना मुनाफे के लालच ने लोगों को अंधा बना दिया है। लोगों की इस कमजोर नब्ज पर अब शातिरों की निगाह पड़ चुकी है। पलक झपकते लाखों कमाने की चाह रखने वाले लोगों को निशाना बनाया है जाली नोट के कारोबारियों ने, जो टोटल नकली रकम का महज 10 फीसद असली फीस लेकर मार्केट में जाली नोटों का जाल फैला रहे हैं। लालच के समंदर में गोता लगाने वाले अपनी जेबें भरने की चाह में देश की अर्थव्यवस्था पर लगातार चोट किए जा रहे हैं, जिन्हें पकड़ने में न तो अब तक इंटेलिजेंस एजेंसीज ही कामयाब हो सकी हैं और न ही पुलिस।

मीडिएटर्स के तौर पर करते हैं वर्क

गोरखपुर में नकली नोट सप्लाई कर अर्थव्यवस्था को बिगाड़ने वाले कोई और नहीं, बल्कि इंडिया के पड़ोसी मुल्क ही हैं। इंटेलिजेंस से जुड़े लोगों की मानें तो यहां की इकोनॉमिक कंडीशन को कमजोर करने के लिए वह इंडिया में बैठे लालची लोगों को बतौर मीडिएटर यूज कर रहे हैं। इनसे 10 परसेंट पर सौदा कर, वह बड़ी तादाद में नकली नोटों को इंडिया में एंटर करा रहे हैं, जहां से यह मीडिएटर्स 30 से 40 परसेंट मुनाफे पर देश में फैले अपने नेटवर्क तक इन्हें पहुंचा देते हैं। जिनसे होकर नोट मार्केट में पहुंचता है।

यहां से आसान है एंट्री की राह

नेपाल के करीब का जिला होने की वजह से गोरखपुर, सिद्धार्थनगर, महराजगंज, बस्ती, कुशीनगर और देवरिया में नकली नोटों का कारोबार पांव पसार चुका है। कई दशकों से यहां नकली नोटों की लेन-देन का सिलसिला चल रहा है। इसमें कई गिरफ्तारियां भी हुई, लेकिन बावजूद इसके अब तक असली खिलाड़ी आजाद हवा में सांस ले रहे हैं। जानकारों की मानें तो नेपाल की खुली सीमा होने के कारण, इस नेक्सस को वर्क करने में ज्यादा परेशानी नहीं होती। वह आसानी से नकली नोटों की खेप इंडिया में पहुंचा देते हैं।

महिलाओं का ले रहे सहारा

शातिरों को पकड़ने में लगी इंटेलिजेंस को अब तक कोई बड़ी कामयाबी नहीं मिल सकी है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि यह फीमेल्स को कैरियर के तौर पर यूज करते हैं क्योंकि उनके हाथों से आने वाली फेक करेंसी पर लोगों की निगाहें कम जाती है। वहीं उनपर सिक्योरिटी फोर्सेज को शक भी नहीं होता। इसका जीता-जागता एग्जामपल हाल के दिनों में चौरी-चौरा में एक हजार और पांच सौ की फेक करेंसी के साथ पकड़ी गई महिला है, जिसे गिरफ्तार कर लिया गया था।

रूरल एरिया से चल रहा नेक्सस

फील्ड में काम करने वाले बैंककर्मियों के अनुमानों और नेपाल सीमा से जुड़े सोर्सेज की मानें तो पाकिस्तान से नकली नोटों की खेप नेपाल में आती है, उसे नेपाल-इंडिया बॉर्डर पर तैनात कुछ विभागों के लोग इसे इंडिया में पहुंचाते हैं। यहां सिटी और रूरल एरियाज के कुछ अपराधी युवकों को 50 से 70 परसेंट मुनाफे पर बाजार में नोट चलाने के लिए दे दिए जाते हैं, लेकिन एक-एक नोट के चलाए जाने के कारण कोई गुप्तचर एजेंसी अब तक इनके नेक्सस को तोड़ नहीं पाई।

इंटेलिजेंस एजेंसीज की लापरवाही से चल रहा नेक्सस

बॉर्डर एरियाज पर बड़ी संख्या में पिछले दस सालों में रईसजादों की तादाद काफी बढ़ गई है। जानकारों की मानें तो इंटेलिजेंस एसेंसियां अगर ठीक ढंग से उनके पीछे काम करती तो नकली नोटों के नेक्सस अब तक शिकंजे में होता। भारत-नेपाल सीमा पर कुछ ऐसे रईस हैं, जिन्होंने न सिर्फ इंडिया में बल्कि नेपाल में भी कई मकान बना लिए हैं।

केस - 1

2004 में सिद्धार्थनगर के डुमरियागंज की स्टेट बैंक ब्रांच में चार करोड़ रुपये के नकली नोट बरामद हुए थे। जांच करने आई सीबीआई टीम को नकली नोट छांटने में आठ दिन लग गए थे। इस मामले में बैंक का कैशियर सुधाकर त्रिपाठी और एक स्थानीय नागरिक आबिद शेख पकड़ा गया था। इसके बाद भी सीबीआई नकली नोटों के नेक्सस को पकड़ पाने में सफल नहीं हो पाई थी।

केस - 2

कुछ दिनों नेपाल के रोल्पा जिला स्थित प्रभुधाम में सिद्धार्थनगर के इटवा तहसील निवासी मायाराम 25 हजार रुपए के नकली नोटों के साथ पकड़ा गया था। बताया जा रहा है कि उसने इस कारोबार के सहारे बॉर्डर एरिए में काफी प्रापर्टी बना ली थी। इसके बाद भी पुलिस और सिक्योरिटी एजेंसीज अभी तक खाली हाथ हैं।