-रेलवे में स्पोर्ट्स कोटा होने के बाद भी नहीं है गर्ल्स क्रिकेट टीम
-वहीं अपनी फील्ड के बाद भी रेलवे के मानकों पर खरा नहीं उतर पाते हैं खिलाड़ी
GORAKHPUR: गर्ल्स क्रिकेट का हाल बेहाल है। बुनियादी फैसिलिटी न मिलने की वजह से वह न सिर्फ क्रिकेट से दूर जा रही है, बल्कि जो क्रिकेट से जुड़ी हैं, उनको भी अपना फ्यूचर संवारने में काफी जद्दोजहद करनी पड़ रही है। हालत यह है कि स्पोर्ट्स कोटे से सबसे ज्यादा जॉब देने वाला रेलवे भी अब तक टैलेंट के अभाव में एक टीम नहीं बना सका। इसकी वजह से गर्ल्स क्रिकेट का रिप्रेजेंटेशन और भी कमजोर पड़ता जा रहा है। हालत यह है कि अब तक क्रिकेट के लिए किसी भी गर्ल्स का सेलेक्शन नहीं हुआ है या यूं कहें कि कोई इस काबिल ही नहीं साबित हुआ है कि वह रेलवे में अपनी जगह बना सके।
16 गेम्स में है गर्ल्स का रिप्रेजेंटेशन
गोरखपुर नार्थ ईस्टर्न रेलवे का हेडक्वार्टर है। यहां स्पोर्ट्स कोटे से भी काफी तादाद में एंप्लाईज वर्क करते हैं। इस वक्त करीब 16 गेम्स ऐसे हैं, जिसमें गर्ल्स को लेकर एनई रेलवे ने टीम बना रखी है और खिलाड़ी भी लगातार रेलवेज के लिए मेडल लेकर आ रहे हैं। मगर गोरखपुर ही नहीं पूरे पूर्वाचल में गर्ल्स क्रिकेट पिछड़ा होने की वजह से यहां की लड़कियां क्रिकेट को लेकर रेलवे में कोई जगह नहीं बना सकी हैं, जिसकी वजह से अब तक रेलवे के पास गर्ल्स की कोई टीम नहीं है।
टैलेंट तोड़ देता है दम
स्पोर्ट्स कोटे के तहत रेलवे में नौकरी करने के लिए खिलाडि़यों को टेस्ट पास करना होता है। इसमें टेस्ट के साथ ही उनकी प्रोफेशनल क्वालिफिकेशन भी मायने रखती है। स्टेट लेवल पर मेडल के साथ ही कुछ जरूर मानक होते हैं, जिन्हें पूरा करना होता है। मगर गोरखपुर के साथ ही आसपास से भी रेलवे को अब तक कोई ऐसा टैलेंट नहीं मिल सका है, जिसकी वजह से उनकी टीम बन सके। जबकि, ब्वाएज कैटेगरी में रेलवे की टीम मौजूद है, जो काफी कमाल भी दिखाते रहे हैं।
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एसोसिएशन एक्टिव नहीं
इस मामले में रेलवे के जिम्मेदारों का कहना है कि गोरखपुर क्या, पूर्वाचल में जो भी क्रिकेट एसोसिएशन है, वह स्टूडेंट्स को बुनियादी सुविधाएं मुहैया नहीं कराते। जिसकी वजह से आगे बढ़ने के बाद भी वह रेलवे के मानक के मुताबिक तैयार नहीं हो पाती। वह भी तब जब बीसीसीआई एसोसिएशन को यूपीसीए के जरिए फंड भी एलॉट करता है। इसमें वह जो भी पैसा खर्च करने हैं, वह सिर्फ ब्वाएज क्रिकेट के मद में ही खर्च कर डालते हैं, जबकि गर्ल्स के नाम पर उनसे एक पैसा भी नहीं निकलता। इसकी वजह से गर्ल्स क्रिकेट की हालत लगातार खराब होती जा रही है।
एनई रेलवे हमेशा ही खिलाडि़यों को प्रमोट करता है। इस वक्त 16 गेम्स में एनईआर की टीम एक्टिवली पार्टिसिपेट कर रही है। गर्ल्स क्रिकेट में कोई खिलाड़ी ऐसा नहीं है, जो रेलवे के मानकों को पूरा कर पाता है। इसकी वजह से किसी का भी सेलेक्शन नहीं हो पाता।
- प्रेम माया, स्पोर्ट्स ऑफिसर, एनई रेलवे