- मार्च में हुए एक्सईएन और जेई के विवाद को लेकर फिर गरमाने लगा माहौल
- अभियंता संघ हड़ताल करने के लिए बना रहा रणनीति
GORAKHPUR: बिजली विभाग में हुए विवाद के बाद समझौते के बिंदुओं पर अभी तक अमल नहीं हो सका। इसकी वजह से कंज्यूमर्स के साथ विभाग के लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। अभियंता संघ ने मुद्दे पर अमल कराने को लेकर हड़ताल की रणनीति बनानी शुरू कर दी है। अभियंता संघ केवल केंद्रीय नेतृत्व के आदेश का इंतजार कर रहा है। वहीं केंद्रीय नेतृत्व ने भी एमडी ऑफिस बनारस में आंदोलन करने की रणनीति तैयार कर ली है।
पांच मार्च को हुआ विवाद
महानगर विद्युत वितरण निगम के डिविजन फर्स्ट के एक्सईएन एके श्रीवास्तव और नार्मल के जेई अशोक आचार्य के बीच पांच मार्च को टेलीफोन को लेकर विवाद हो गया था। इस बात की जानकारी अन्य जेई को हुई तो वह शास्त्री चौक स्थिति एके श्रीवास्तव के ऑफिस पहुंच गए। इस बीच चीफ इंजीनियर डीके सिंह ने एक्सईएन और जेई के बीच अपने ऑफिस में समझौता करा दिया। उसके बाद पांच मार्च को ही जब एक्सईएन दोपहर 3 बजे अपने ऑफिस में पहुंचे तो वहां मौजूद अभियंता संघ के सदस्यों ने उन्हें मारने के लिए दौड़ा लिया।
16 मार्च को फिर समझौता
घटना के दूसरे दिन एक्सईएन ने जेई संघ के सदस्य एसडीओ पुनीत निगम, जेई विपिन सिंह, एसएन सिंह, केएल यादव, बलवीर यादव, अशोक आचार्य के खिलाफ जान से मारने की तहरीर दी और मुकदमा दर्ज कराया। इसके बाद जेई संघ कार्य बहिष्कार कर धरना शुरू कर दिया। 13 मार्च को अभियंता संघ ने भी कार्य बहिष्कार की घोषणा कर दी। इसके बाद विभाग के उच्चाधिकारी गंभीर हुए और 16 मार्च को समझौता हुआ कि इस मामले में छह जेई संघ के और एक अभियंता संघ के सदस्य पर कार्रवाई की जाएगी। दो माह होने जा रहा है, लेकिन अभी तक इन सदस्यों पर कार्रवाई नहीं हुई है।
पब्लिक को हो सकती है दिक्कत
अभियंता संघ के हड़ताल का जितना असर विभाग पर पड़ेगा, उससे कहीं अधिक परेशानी कंज्यूमर्स को होगी। बिजली विभाग में जितने भी अहम काम हैं, इसमें अधिकांश कार्य अभियंता संघ के सदस्यों ही करते हैं। ऐसे में अगर अभियंता संघ हड़ताल पर चले गए, तो पब्लिक को सबसे अधिक परेशानी होगी। कई एसडीओ अभियंता संघ के सदस्य हैं, ऐसे में उन इलाकों के कंज्यूमर्स को ज्यादा परेशानी फेस करनी पड़ेगी।
यह काम होंगे प्रभावित
- पब्लिक का बिल सही नहीं होगा
- नया बिल नहीं बनेगा
- 10 किलोवाट के कनेक्शन नहीं मिलेंगे
- नए विकास कार्य ठप हो जाएंगे
- पुराने कार्यो की नई स्वीकृत नहीं मिल पाएगी