- राज्य सरकार के संक्रमण विभाग का ऐसा है मानना
- इंसेफेलाइटिस के बुखार का होता है लक्षण
GORAKHPUR: पूर्वाचल में इंसेफेलाइटिस चिल्लर या जूं से हो रहा है। यह कहना है राज्य सरकार के संक्रामक रोग विभाग का। विभाग के निदेशक ने सूबे के सभी सीएमओ को निर्देश दे दिया है कि एईएस मरीजों को अनिवार्य रूप से डॉक्सीसाइक्लिन एंटीबायोटिक दिया जाए। सूबे के 24 जिलों में इस समय इंसेफेलाइटिस फैला है। इसमें सबसे ज्यादा प्रभावित गोरखपुर, देवरिया, महराजगंज, कुशीनगर, बस्ती, सिद्धार्थनगर और संतकबीर नगर हैं। सिर्फ
चल रहा शोध
इंसेफेलाइटिस के कारणों की तलाश के लिए पूर्वी यूपी में सीडीसी, अटलांटा की निमहंस, बेंगलुरु और एनआईवी पुणे के वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं। एईएस मरीजों की सीरम जांच के दौरान स्क्रब टायफस के भी लक्षण मिले हैं। स्क्रब टायफस के इलाज में डॉक्सीसाइक्लिन एंटीबायोटिक या एजिथ्रोमाईसीन सबसे कारगर दवा है। ऐसे में निदेशक संक्रामक रोग ने एईएस के सभी मरीजों को अनिवार्य रूप से दोनों में से एक दवा देने का निर्देश दिया।
बैक्टीरिया से होती है बीमारी
बीमारी का कारण तलाश रही सरकार ने जानलेवा बुखार की एक वजह स्क्रब टायफस माना है। निदेशक संक्रामक रोग ने इस संबंध में सूबे के सभी सीएमओ व एसआईसी को एडवाईजरी जारी किया है। स्क्रब टायफस एक बैक्टीरिया से होने वाली बीमारी है। यह बैक्टीरिया एक खास प्रकार के कीड़े का लार्वा होता है। यह कीड़ा बड़ी घास के मैदान, चूहों या गिलहरियों के शरीर में रहता है। इसे चिल्लर भी कहते हैं। यह कीड़ा जब छोटे बच्चों को काटता है तो बैक्टीरिया कीड़े के लार के जरिए बच्चों के खून में मिल जाता है। मनुष्य के खून में यह बैक्टीरिया तेजी से पनपता है।
बीआरडी में हाल बेहाल
750 मासूम भर्ती
192 की मौत
34 मरीजों में जेई के लक्षण
वर्जन अभी बाकी है।