- जहरीली शराब से हुई पति विरेंद्र की मौत के बाद पत्‍‌नी ममता का रो-रोकर बुरा हाल

- सात माह पहले ही हुई थी शादी, प्रेग्नेंट है ममता

GORAKHPUR: ऐसा कैसा हो सकता है कि किसी बच्चे का बाप उसके दुनिया में आने से पहले ही उसे छोड़ कर चला जाए। नहीं यह गलत है। ऐसा नहीं हो सकता। सच बताओं मेरा पति कहां है? यह हाल जंगल छत्रधारी के बिचऊपुर में अपने होशो-हवास खो चुकी उस लाचार पत्‍‌नी का है, जिसका अपने पति विरेंद्र के दुनिया से गुजर जाने के बाद रो-रोकर बुरा हाल है। ऐसी स्थिति तब आई है, जबकि उसकी कोख में विरेंद्र का अंश इस दुनिया में बाहर आने की तैयारी कर रहा है। सात माह पहले विवाह के अटूट बंधन से बंधने वाले विरेंद्र की बीते दिनों जहरीली शराब पीने से मौत हो गई थी।

बात मान लेते तो

परिजनों के मुताबिक विरेंद्र की शादी बीते सात महीने पहले पिपराइच के एक गांव में ममता से हुई थी। शादी के बाद से ही ममता अपने पति को शराब की लत छोड़ने को लेकर हमेशा समझती रही, लेकिन विरेंद्र ने यह लत नहीं छोड़ी। ममता के मुंह से बार-बार यही आवाज आ रही थी कि 'एक बार मेरी बात मान लिए होते तो ऐसा नहीं होता'। इस दौरान कभी वह होश में भी बड़बड़ाती रहती और कभी होश खो बैठती। वह इस बात का यकीन ही नहीं कर पा रही थी कि उसका पति अब इस दुनियां में नहीं है।

कई लोगों का चल रहा है इलाज

शुक्रवार को मृतक विरेंद्र के घर और पड़ोस में रहने वाले विरेंद्र के चाचा अंतलाल के घर परिजन व रिश्तेदार रोते-बिलखते रहे। गौरतलब है कि बीते बुधवार को प्रधान प्रत्याशियों की ओर से बटवाई गई जहरीली शराब पीकर विरेंद्र सहित इस गांव के चार लोगों की मौत हो गई। जबकि दर्जन भर से अधिक लोग अभी भी मेडिकल कॉलेज और प्राइवेट नर्सिग होम में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं। इसमें मृतक विरेंद्र सहित एक ही परिवार के शंभूलाल निषाद, नंदलाल निषाद, अंतलाल निषाद और ज्यूत निषाद शामिल हैं।

तीर लिए बैठा रहा बच्चा

इस घटना में हुई चार मौतों में इसी गांव का राम ललित भी शामिल है। उसका परिवार तो इस कदर बिखर गया है कि यहां मौत के बाद परिवार में कोई तीर लेने वाला नहीं बचा। उसकी पत्‍‌नी की पहले ही मौत हो चुकी है। परिजनों के मुताबिक इस घटना में रामललित की मौत हो गई और उसका बड़ा बेटा राजू अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रहा है। दूसरा बेटा राजेश अस्पताल में राजू की देखरेख में लगा है। मृतक मुन्नू की पत्‍‌नी रेखा दरवाजे पर बैठी रोती-बिलखती रही। उसे संभालने के लिए यहां उसकी सास मलावती के आलावा और कोई भी नहीं रहा। डेढ़ साल का इकलौता बेटा मां को रोता देख यही पूछ रहा था कि अम्मा बबुआ के का भईल बाउसके मासूम बच्चे के इस सवाल पर यहां खड़ा हर कोई रो पड़ा।

हरेंद्र के ब्रम्हभोज की तैयारी

इस बीच जहां पूरा गांव चुनावी समीकरण बनाने में जुटा रहा, वहीं मृतक हरेंद्र के घर उसके ब्रम्भोज की तैयारी होती रही। पत्‍‌नी हेवांती और बच्चे जमीन पर रोते-बिलखते रहे। परिवार के अन्य लोग और रिश्तेदार चावल बिनकर उसके ब्रम्हभोज की तैयारी में जुटे रहे। सीने में गम का पहाड़ लिए बैठी हरेंद्र की मां उतमी अपनी बहू और पोतो को सांतवना देती रही।