- बीआरडी के पर्ची काउंटर पर खत्म हुआ कागज, सप्लाई देने वाली कंपनी ने अब तक नहीं की सप्लाई

- कम्प्यूटर छोड़, हाथ से काटे जा रहे पर्चे

- मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने आठ लाख नहीं किया भुगतान

<- बीआरडी के पर्ची काउंटर पर खत्म हुआ कागज, सप्लाई देने वाली कंपनी ने अब तक नहीं की सप्लाई

- कम्प्यूटर छोड़, हाथ से काटे जा रहे पर्चे

- मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने आठ लाख नहीं किया भुगतान

GORAKHPUR:

GORAKHPUR: बीआरडी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के लिए बनवाई जाने वाली पर्ची पेशेंट्स के लिए बवाल जान हो गई है। डॉक्टर्स के पास लंबी लाइन लगाने से पहले मरीजों को पर्ची बनवाने के लिए घंटो परेशान होना पड़ रहा है। हालत यह है कि पिछले एक हफ्ते से कागज सप्लाई न होने की वजह से मरीजों को मैनुअल पर्ची दी जा रही है। इसकी वजह से जहां कम्प्यूटर से चंद सेकेंडों में मिल जाने वाली पर्ची के लिए कई मिनट तक इंतजार करना पड़ रहा है।

पेमेंट न होने से बढ़ी परेशानी

पर्ची के लिए हर रोज मेडिकल कॉलेज के पर्ची काउंटर पर मारामारी है। बीआरडी से जुड़े सोर्सेज की मानें तो कागज सप्लाई देने वाली कंपनी का 8 लाख भुगतान नहीं होने की वजह से सप्लाई देना बंद कर दिया है। एक हफ्ता बीत जाने के बाद भी अस्पताल प्रशासन ने कागज देने वाली कंपनी का बकाया भुगतान नहीं कर पाया है। इसी का नतीजा है कि मरीज के साथ तीमारदारों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। लिहाजा इलाज तो किया जा रहा है, लेकिन पर्चा बनवाने के लिए हर रोज मारामारी हो रही है।

आते हैं हजारों पेशेंट्स

नेहरू चिकित्सालय में प्रतिदिन फ् हजार से ब् हजार पेशेंट्स ओपीडी में इलाज के लिए पहुंचते हैं। मैनुअल पर्ची मिलने की वजह से काफी देर लग जा रही है। जिसकी वजह से देर में आने वाले पेशेंट्स जब ओपीडी में पहुंचते हैं तो डॉक्टर उठ जा रहे हैं। इसका खामियाजा पेशेंट्स को भुगतना पड़ रहा है। दूर दराज से आये मरीजों को निराश होकर घर लौटना पड़ता है। करीब 9 बजे ओपीडी खुलने से पहले ही पर्ची काउंटर पर मरीजों की भीड़ लगनी शुरू हो जाती है। लाइन में लगकर लोग अपनी बारी का इंतजार करते हैं लेकिन जहां कम्प्यूटर से मिनटों में पर्ची दी जाती थी। वहीं घंटों में हाथ से काटी हुई पर्ची थमाई जा रही है। इसे लेकर लोगों को काफी जद्दोजहद करनी पड़ रही है।

कागज सप्लाई देने वाली कंपनी के बकाया भुगतान देने की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। जल्द ही भुगतान कर दिया जाएगा।

डॉ। एमक्यू बेग, एसआईसी