- बिजली विभाग के बड़े साहब के गांव स्थित रिश्तेदार के घर एक महीने तक दी गई शहरी बिजली

- शहरी योजना स्काडा के पैसे खर्च कर गांव तक बिछा दिए पोल-तार

- मामला सामने आने के बाद ठेकेदार उतरवा रहा एबीसी केबल, कार्यदायी एजेंसी के मैनेजर से शो कॉज

GORAKHPUR: बिजली विभाग रूरल एरियाज के किसी छोटे-मोटे फॉल्ट दूर करने में भी भले ही महीनों ले ले, लेकिन जब बात विभाग के साहब या उनके रिश्तेदार की हो तो उसके लिए वह कोई भी नियम तोड़ सकता है। रविवार को ऐसा ही एक मामला सामने आया। शहरी विद्युतीकरण योजना स्काडा के तहत मिली राशि से 13 लाख रुपए विभाग के एक बड़े साहब के गांव स्थित रिश्तेदार के घर तक बिजली पहुंचाने के लिए खर्च कर दिए गए। जब विभाग में ही सुगबुगाहट शुरू हुई तो आनन-फानन में ठेकेदार एबीसी केबल उतरवाने में लग गया। हालांकि पोल अब भी वहीं खड़े हैं। मामला खुलने के बाद महानगर विद्युत वितरण निगम के एसई और ग्रामीण वितरण खंड तृतीय के एक्सईएन ने कार्यदायी संस्था के मैनेजर नितिन गर्ग से शो कॉज नोटिस किया है।

88 करोड़ रुपए मिले

स्काडा के तहत शहर में बिजली विस्तार, पुरानी लाइन बदलने के लिए 88 करोड़ रुपए मिले। विभाग के एक बड़े साहब के रिश्तेदार गांव में रहते हैं। उन्हें गांव वाली बिजली रास नहीं आ रही थी। शहर की 20-22 घंटे वाली बिजली चाह रहे थे। बड़े साहब के हाथ बंधे थे कि ग्रामीण विद्युतीकरण के लिए फंड नहीं था। लेकिन, बात रिश्तेदार की थी तो नियम-कायदे तो ताक पर रखे ही जा सकते हैं। बड़े साहब ने स्काडा के रुपयों से ही रिश्तेदार के घर तक पोल-तार पहुंचवा दिए। इसमें 13 लाख रुपए खर्च हुए।

खोराबार में हुआ खेल

शहरी योजना के पैसे से जिस गांव तक बिजली दी जाती रही, वह गांव खोराबार एरिया में पड़ता है। इस एरिया के अंबेपुरम कॉलोनी में ही कहीं साहब के रिश्तेदार का घर है। यहां रूरल एरियाज वाली बिजली मिलती है और लोगों ने कनेक्शन भी ले रखा है लेकिन कटौती अधिक होने के कारण कंज्यूमर्स को प्रॉब्लम होती है। वहीं मात्र एक किमी। दूर शहरी बिजली मिलती है। साहब ने दिमाग चलाया और इस एक किमी। के फासले को खत्म कर दिया। साहब की नजर-ए-इनायत होते ही गांव में पड़ने वाली इस कॉलोनी को शहर की बिजली मिलने लगी।

24 घंटे सप्लाई की बनी थी लाइन

शहर में कुल सात संस्थान ऐसे हैं जहां 22 घंटे और तीन एरिया ऐसे हैं जहां 22 से 23 घंटे बिजली सप्लाई होती है। लेकिन, बात साहब के रिश्तेदार की थी तो खुश करने के लिए स्काडा के ठेकेदार ने नया कमाल कर दिया। उसने अंबेपुरम में स्काडा योजना के तहत तो काम किया ही, इस लाइन को रानीडीहा के फीडर से जोड़कर 24 घंटे की सप्लाई चालू कर दी। साहब के रिश्तेदार के साथ ही कॉलोनी के सभी लोगों ने एक माह तक 24 घंटे बिजली का भरपूर मजा लिया। मामला खुलते ही बिजली काट दी गई।

लोड कम होने से खुल गया मामला

अंबेपुरम को रूरल एरिया से बिजली दी जाती थी लेकिन एक माह पहले कॉलोनी शहरी बिजली से जुड़ गई। इससे रूरल फीडर पर अचानक लोड कम हो गया। जांच की गई तो पता चला कि अंबेपुरम को तो शहरी बिजली दी जा रही है। बड़े अधिकारियों तक मामला पहुंचते ही हड़कंप की स्थिति हो गई। लेकिन जांच में यह बात सामने आते ही कि मामला एक बड़े साहब का है, इसे दबाने की कोशिश की जाने लगी। आनन-फानन में बिजली काट दी गई और एबीसी केबल को उतारा जाने लगा। अब लगभग सभी तार उतार दिए गए हैं, बस पोल हटाना बाकी है।

point to be noted

- 9 पोल लगाए गए। एक पोल की कीमत 10 हजार रुपए।

- 1000 मीटर एबीसी केबल बिछाया गया। 1200 रुपए मीटर है केबल।

- 12.90 लाख रुपए का विभाग को लगा चूना।

वजर्न

रूरल एरिया में बिना परमिशन के शहरी लाइन बिछाने की बात सामने आते ही बिजली काट दी गई है। एरिया के एसडीओ को ठेकेदार और कार्यदायी संस्था पर एफआईआर दर्ज कराने का आदेश दिया गया है।

- एके सिंह, एसई, महानगर विद्युत वितरण निगम