- अफसरों की लापरवाही घरों में अंधेरा
- बांसगांव और खजनी में बनने थे पांच-पांच एमवीए का सब स्टेशन
GORAKHPUR: शहर को रुलाने के बाद अब ग्रामीण अंचल की बिजली भी दगाबाज हो गई है। चाहे ज्यादा गर्मी हो या फिर सिंचाई के लिए बिजली की जरूरत हो, अगर खपत बढ़ी तो बिजली गुल होनी तय है। ऐसा नहीं कि यह जानबूझकर किया जा रहा हो, बल्कि बिजली की यह दगाबाजी लोकल फॉल्ट की वजह से है। इन फॉल्ट्स को कंट्रोल करने के लिए शासन ने तीन साल पहले जिले में पांच नए सब स्टेशन बनाने का आदेश दिया था। इसमें दो सब स्टेशन अब भी अधूरे पड़े हुए हैं। इनके न बनने के कारण बांसगांव और खजनी एरिया में मिलने वाली बिजली लोकल फॉल्ट के कारण गायब हो जा रही है। पब्लिक के लाख आंदोलन और बवाल के बाद भी उन्हें बिजली नहीं मिल पा रही है।
हर बार होता है हंगामा
बांसगांव में बिजली की जबरदस्त किल्लत बनी रहती है। हालत यह है कि बिजली कटौती को लेकर आधा दर्जन से ज्यादा बार पब्लिक सड़क पर उतर चुकी है, लेकिन उन्हें इसका कोई फायदा नहीं मिला है। स्थिति यह है कि बांसगांव में दिन में 5 से 6 घंटे ही बिजली मिल रही है। इसका सबसे बड़ा ड्रॉबैक यह है कि बिजली मिलने के बाद भी यहां लो वोल्टेज की प्रॉब्लम बनी रहती है। बिजली की भीषण कटौती से ट्यूबवेल तक नहीं चल पा रहे हैं, जिससे लोगों को पानी की भी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है।
तहसील दिवस में उठा मुद्दा
पिछले माह जब भी बांसगांव में तहसील दिवस का आयोजन किया गया, हर बार सैकड़ों की संख्या में पब्लिक ने घेराव कर बिजली और पानी के मुद्दे को सॉल्व करने की बात कही। यही हाल खजनी का भी है। बिजली विभाग के एक्सईएन सीपी गुप्ता का कहना है कि बांसगांव और खजनी में 5 एमवीए का ट्रांसफॉर्मर बनना था। अभी तक बांसगांव सब स्टेशन का काम 60 प्रतिशत और खजनी का 80 प्रतिशत काम हो पाया है।
150 गांवों को मिलती राहत
बांसगांव और खजनी तहसील में लगभग 150 गांव ऐसे हैं। जहां गर्मी बढ़ती है या सिंचाई का समय होता है तो बिजली गुल हो जाती है। अफसर रोना रोते हैं कि सब स्टेशन पर ओवरलोड है। जैसे ही बिजली की मांग अधिक होती है, अचानक फॉल्ट होना शुरू हो जाता है। पब्लिक का कहना है कि बिजली की सबसे अधिक आवश्यकता सिंचाई के लिए होती है। ऐसे में बिजली न रहने के कारण पंपिंग सेट से पानी चलाना पड़ता है तो एक तरह से बहुत ही महंगा पड़ता है। अगर इन एरिया में सब स्टेशन बन जाते तो इससे बांसगांव और खजनी तहसील के 150 गांवों को बिजली से राहत मिलती।
सुविधा की जगह दे रहे दर्द
बांसगांव और खजनी में बिजली सप्लाई 1980 में बने सब स्टेशन से की जा रही है। जिसके कारण इन एरिया के सब स्टेशनों पर ओवरलोडिंग की हालत बन गई है। कई बार तो ऐसी स्थिति बन जाती है कि दो-दो दिन तक एरिया में बिजली आती ही नहीं है। इन सब को देखते हुए 2012 में जिले की पांच तहसीलों में पांच-पांच एमवीए के नए सब स्टेशन बनने की योजना शुरू हुई। यह काम फरवरी 2014 में पूरा हो जाना था, लेकिन अभी तक कैंपियरगंज, सहजनवां और गोला सब स्टेशन ही चालू हो पाए हैं। वहीं सहजनवां भी फरवरी 2014 की जगह अगस्त 2015 में चालू हुआ है।
लोक निर्माण विभाग को जिले में पांच नए सब स्टेशन बनाने का जिम्मा मिला था। जिसमें तीन सब स्टेशन पर काम पूरा हो गया है, लेकिन दो सब स्टेशन अभी अधूरे पड़े हुए हैं। जिसके कारण प्रॉब्लम आ रही है, शासन को अधूरे काम के कारण हो रही प्रॉब्लम को देखते हुए रिपोर्ट भेजी गई है।
- सीपी गुप्ता, एक्सईएन, बिजली विभाग