- कांशीराम आवासीय योजना के 1200 कंज्यूमर्स को बिल बचाने के नाम पर विभाग ने दिया धोखा
- हर मंथ औसत के हिसाब से निकला एक साल का बिल
- अब विभाग ने थमा दिया कंज्यूमर्स को पूरे माह का बिल
GORAKHPUR:
केस नं 1
राजेंद्र कुमार कांशीराम आवासीय कॉलोनी ब्लॉक में रहते हैं। इनके घर में दो कमरे हैं, जिसमें दो कूलर, पंखा, एक फ्रिज और कुल 5 सीएफएल बल्ब लगे हुए हैं। पिछले एक साल से वह 200 से 250 रुपए बिल जमा कर रहे थे। मगर फरवरी का बिल देखकर उन्हें तगड़ा झटका लगा। विभाग ने उन्हें 45 हजार रुपए का बिल भेज दिया। इसके बाद वह बक्शीपुर सबस्टेशन पर तैनात एक परिचित को जब उन्होंने मामले से अवगत कराया, तो उन्होंने कहा कि बिल तो जमा करना ही पड़ेगा, उसके बाद राजेंद्र कुमार अपने पीएफ अकांउट से लोन लेकर बिल जमा किया।
केस नं 2
मालती देवी भी इसी कॉलोनी के बी ब्लॉक में रहती है। अभी तक वह 150 रुपए प्रत्येक मंथ बिल जमा करती आ रही हैं। अचानक फरवरी माह में उनको 25 हजार रुपए का बिल थमा दिया गया। इतने अधिक बिल को देखकर उनकी सांसे फूलने लगी। उसके बाद वह इसकी जानकारी अपने भाई को दी, जिसके बाद उनके भाई ने उन्हें पैसा दिया, जिससे उन्होंने बिल जमा किया।
यह दो केस केवल उदाहरण मात्र है, लेकिन कांशीराम आवासीय कॉलोनी में ऐसे 1200 और शहर में 1000 हजार से अधिक ऐसे कंज्यूमर्स है, जिन पर बिलिंग कंपनियों की लापरवाही के कारण विभाग ने पहले नरमी दिखाई, फिर बाद में जब अपनी कमी पूरी कर ली, तो कंज्यूमर्स को लंबा-चौड़ा बिल थमा दिया। स्थिति यह है कि किसी कंज्यूमर्स को 25 तो किसी को 40 हजार रुपए का बिल थमा दिया गया है। कॉलोनी के घरों में हर माह 200 से 250 यूनिट बिजली खर्च हुई, लेकिन कंज्यूमर्स को 20 से 30 यूनिट का बिल ही मिला है।
मीटर में स्टोर है 2000 से 5000 यूनिट बिजली
बिजली विभाग के कर्मचारियों का कहना है कि कांशीराम आवासीय कॉलोनी के प्रत्येक घर में औसतन 250 से 300 यूनिट बिजली खर्च होती रही है। कई ऐसे घर हैं जिनका औसत खर्च 500 है। ऐसे में बिलिंग कर्मचारियों ने इन कंज्यूमर्स के घरों में 20 से 30 यूनिट बिल बनाया। एक लाइनमैन ने बताया कि कॉलोनी के सभी घरों में 2000 यूनिट से अधिक रीडिंग स्टोर हुई है। कई घर तो ऐसे हैं, जिनके यहां 5000 हजार से अधिक रीडिंग स्टोर की गई, ऐसे में अगर कॉलोनी के औसत स्टोर यूनिट की बात करें तो प्रत्येक घर में 3000 यूनिट स्टोर हुई है। महानगर विद्युत वितरण निगम के एसई आरआर सिंह ने बताया कि अगर किसी के घर पर एक साल से 21 हजार रुपए बकाया है, तो उस पर सरचार्ज और फिक्स चार्ज जोड़कर 40 हजार रुपए तक पहुंच जाएगा। विभागीय आंकड़ों पर नजर डालें तो बिलिंग कंपनी के कर्मचारी हर माह बिल बनाने जाते थे। कंज्यूमर्स को भरोसे और पैसा बचाने का लालच देकर बिना मीटर देखे ही कम से कम यूनिट पर बिल बना देते थे। इस मेहरबानी के बदले बिलिंग कर्मचारियों को कंज्यूमर्स 50 रुपए से लेकर 100 रुपए तक सुविधा शुल्क भी देते थे।
आप हो जाएं सावधान
बिजली विभाग का नियम है कि आपका घर में ताला बंद हो और मीटर नहीं चल रहा है, लेकिन इसकी सूचना आप बिजली विभाग के कर्मचारी को नहीं दिए हैं तो कम से कम उस घर का प्रत्येक माह 60 यूनिट बिल बनेगा, जबकि शहर में कांशीराम आवासीय कॉलोनी और एक हजार अन्य कंज्यूमर्स के यहां इस नियम की अनदेखी हुई है। स्थिति यह है कि इन कंज्यूमर्स के यहां 30 से 40 यूनिट का बिल प्रत्येक माह बना है।
सरकारी कर्मचारियों से खुला मामला
फरवरी माह में शहर के तीन एरिया को 24 घंटे बिजली बिल निकालने की जिम्मेदारी मिली। इसमें विकास नगर और दिव्यनगर में इस तरह को कोई मामला सामने नहीं आया, लेकिन तारामंडल एरिया में जब सरकारी कर्मचारी बिल निकालते हुए कांशीराम आवासीय कॉलोनी में पहुंचे तो मामला खुला। कर्मचारियों ने कांशीराम आवासीय कॉलोनी में 10 फरवरी को लगभग एक दर्जन कंज्यूमर्स का बिल बनाया, तो किसी का बिल 30 हजार तो किसी का बिल 40 हजार रुपए बना। अचानक इतना अधिक बिल देखकर कर्मचारी घबरा गए और पूरे मामले की जानकारी अधिकारियों को दी। वहीं अचानक 40 हजार का बिल देखकर कंज्यूमर्स ने विरोध शुरू कर दिया। उसके बाद कर्मचारी इस मामले को कुछ दिन के लिए यह कहते हुए छोड़ दिया कि अभी मार्च क्लोजिंग का लोड है, उसके बाद यहां कोई रास्ता निकाला जाएगा।
बिलिंग कंपनियों की लापरवाही कांशीराम कालोनी में सामने आई है। कंज्यूमर्स का औसत से भी कम रीडिंग पर बिल बनाने के कारण स्टोर रीडिंग का बिल निकल रहा है। फरवरी में मामले को रोक दिया गया था, लेकिन अब जल्द ही कोई रास्ता निकाला जाएगा। कोशिश रहेगी कि कंज्यूमर्स को किश्तों में बिल जमा करने की सुविधा मुहैया कराई जाएगी।
आरआर सिंह, एसई, महानगर विद्युत वितरण