- बिजली विभाग और पब्लिक की लापरवाही से होती है घटना
- बरसात के मौसम में करंट लगने की घटनाओं में हो जाती है बढोत्तरी
GORAKHPUR : जिले में इन दिनों बिजली की तारों का खौफ मंडरा रहा है। ये खौफ यूं ही नहीं पैदा हुआ, इसके पीछे बीते दिनों करंट लगने से हुई मौतें हैं। सिर्फ जुलाई में हुई घटनाओं पर नजर डालें तो 5 जानें जा चुकी हैं। इन मौतों की जिम्मेदार है लापरवाही। बिजली विभाग और पब्लिक की लापरवाही ने करंट लगने का खतरा बढ़ा रखा है। अगर अभी भी विभागीय अफसर नहीं चेते और पब्लिक अवेयर नहीं हुई तो मौतों का ये सिलसिला ऐसे ही चलता रहेगा।
तो इन वजहों से लगता है करंट
बिजली विभाग करता है लापरवाही
- जर्जर तार को न बदलना।
- समय-समय पर तारों की जांच न करना।
- पोल के पास जोड़े गए तारों को ढीला बांधना।
- पोल के इंसुलेटर की जांच न करना।
- सब स्टेशन पर रिले ट्रिप न होना।
- ट्रांसफॉर्मर पर मानक के अनुसार फ्यूज वायर न बांधना।
- एलटी लाइन पर हाई वोल्टेज की सप्लाई कर देना।
कंज्यूमर्स की लापरवाही बनती है जानलेवा
- तारों पर कटिया कनेक्शन लगाना।
- वायरिंग की समय-समय पर जांच न कराना।
- सही तरह से अर्थिग न लगाना।
- एमसीबी (मिनिएचर, सर्किट ब्रेकर) का न होना।
- घर में फ्यूज न होना।
बिजली विभाग ने मार डाला!
बिजली विभाग के गिरे हुए तारों में मौत दौड़ रही है। ऐसा हम नहीं कह रहे, हाल में हुई घटनाएं बयां कर रही हैं। इसी लापरवाही ने सैटर्डे को खजनी थाना क्षेत्र के छताई चौराहे के पास धुनहा गांव के 7 वर्षीय दिव्यांश की जान ले ली। राजेश यादव का बेटा दिव्यांश
रात को अपने बाबा के पास बाहर सोया हुआ था। भोर में घर के पास से गुजरा बिजली का तार अचानक गिर गया। सुबह दिव्यांश सोकर उठा और अंदर जाने के लिए चारपाई से उतरा, तो उसका पैर टूटे पड़े तार से टच हो गया। लोग कुछ समझ पाते, तब तक दिव्यांश की मौत हो चुकी थी। इस घटना से गुस्साए लोगों ने बिजली विभाग के खिलाफ छताई चौराहे पर एकत्रित होकर चक्का जाम कर दिया। लोगों का कहना था कि अगर तार टूटा तो बिजली गुल क्यों नहीं हुई। मौजूद लोगों की मानें तो उन्होंने बिजली विभाग को कई बार फोन किया, लेकिन बिजली नहीं काटी गई। जाम लगने की सूचना पर खजनी एसडीएम और सीओ मौके पर पहुंचे। एसडीएम ने पब्लिक को आश्वासन दिया कि इस मामले में जेई पर कार्रवाई की जाएगी, तब जाकर पब्लिक ने जाम हटाया।
केस नं 1
11 जुलाई 2015 को शास्त्रीनगर तेलिया कुंआ निवासी रामस्वरूप को इलेक्ट्रिसिटी पोल पर काम करते हुए करंट लग गया, जिससे उसकी मौत हो गई। परिजनों और मोहल्ले वालों ने आरोप लगाया कि मौत बिजली विभाग के अफसरों की लापरवाही से हुई है। मामला बढ़ने पर बिजली विभाग ने रामस्वरूप के परिजनों को 1.5 लाख रुपए आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई और इतनी ही राशि बाद में देने का आश्वासन दिया।
केस नं 2
13 जुलाई को सहजनवां थाना क्षेत्र के सिमर्दारी के राधेश्याम(45) और पत्नी बरपा देवी की शटर में करंट उतरने के कारण मौत हो गई। बाद में बिजली विभाग ने पूरे घर की जांच की तो पता चला कि घर में दो जगह केबल कट गया था, जिसके कारण बारिश के बाद शटर में करंट उतर आया था।
केस नं 3
12 जुलाई को गोरखनाथ थाना क्षेत्र की शास्त्रीपुरम कॉलोनी निवासी आकांक्षा सिंह (27) के घर की टोटी में करंट उतर आया। अपने पालतू कुत्ते को नहलाने गई आकांक्षा और उनके कुत्ते, दोनों की मौके पर ही मौत हो गई। इस घटना में भी घर की वायरिंग में खराबी पाए जाने के कारण करंट दौड़ने का मामला सामने आया।
केस नं 4
8 जुलाई को सेमरा के एक ट्रांसफॉर्मर की जाली में करंट दौड़ने लगा। जिसकी चपेट में आकर एक गाय की मौके पर ही मौत हो गई। लोगों को कहना था कि जाली में करंट दौड़ने की सूचना कई बार बिजली विभाग को दी गई, लेकिन विभाग से उसे सही नहीं कराया।
केस नं 5
एक साल पहले रेती पुल से असगरगंज रोड पर जल जमाव हो गया था। नाले के किनारे पोल में करंट उतर गया था जिसके कारण मोहल्ले के 11 वर्षीय लड़के की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद सैकड़ों की संख्या में लोग सड़क उतर आए और बिजली विभाग के खिलाफ आंदोलन करने लगे।
यहां कदम-कदम पर हैं खतरे
महानगर में बिजली सप्लाई करने के लिए कुल 17 सब स्टेशन लगे हुए हैं। इन सब स्टेशन्स से कुल 106 फीडर शहर में बिजली सप्लाई करने के लिए निकलते हैं। बिजली विभाग के एसएसओ का कहना है कि इन 106 फीडर में 70 फीडर पर रिले ट्रिप लगा ही नहीं हैं। रिले ट्रिप की वजह से किसी भी फीडर पर कोई बड़ा फॉल्ट होता है या तार टूटता है तो उस फीडर की बिजली अपने आप कट जाती है। रिले ट्रिप न होने से खतरा बढ़ गया है। वहीं शहर के पुराने हिस्से में लगे तार 20 से 25 साल पुराने हैं और जर्जर हो चुके हैं जो कभी किसी बड़ी दुर्घटना को अंजाम दे सकते हैं।
बिजली विभाग को बिजली सप्लाई को लेकर कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए। विभाग को प्राथमिकता के आधार पर सब स्टेशन पर रिले ट्रिप जरूर लगाना चाहिए। इससे विभाग को भी फायदा होता है। अपने ही कर्मचारी किसी बड़ी दुर्घटना से बच जाते हैं। पब्लिक को भी बिजली दुर्घटनाओं को लेकर जागरूक होने की जरूरत है।
पीएन सिंह, रिटायर्ड एसडीओ
जो भी दुर्घटना होती है उसकी जांच की जाती है। जांच के बाद जो भी दोषी मिलता है, उस पर कार्रवाई की जाती है। छताई में बच्चे की मौत की जांच की जाएगी कि आखिर तार कैसे टूटा। जो भी रिपोर्ट आएगी उसी के हिसाब से कार्रवाई की जाएगी।
डीके सिंह, चीफ इंजीनियर, गोरखपुर जोन