- प्लास्टर चढ़वाने गये भूकंप पीडि़त से मांगा पैसा, न देने पर भगा दिया

- भूकंप पीडि़तों के लिए दिखावे की खुली पोल, मदद पर खड़े हुए सवाल­

GORAKHPUR : क्या सरकार का भूकंप पीडि़तों के साथ दर्द झूठा था? क्या सरकार सिर्फ दिखावे के लिए मदद कर रही थी? क्या सरकार ने सिर्फ वाहवाही की खातिर मुआवजे की घोषणा की थी? मन में एक ही जवाब आया होगा, नहीं। क्योंकि यहां से भेजे गए ट्रक से रिलीफ मैटेरियल और यूनिवर्सिटी कैंपस में लगे रिलीफ सेंटर में दर्द, मदद और मुआवजा सभी नजर आया था। लेकिन ट्यूज्डे को एक ऐसा वाकया सामने आया जिसने सरकार के इन सभी प्रयासों पर सवालिया निशान लगा दिये। भूकंप में घायल एजाज को अब तक मुआवजा मिलता तो दूर, बल्कि इलाज के लिए सरकारी हॉस्पिटल में पैसा भी मांगा जा रहा है। पैसा न देने की स्थिति में हॉस्पिटल के कर्मचारियों ने उसके हाथ पर प्लास्टर चढ़ाने के बजाए गालियां देकर भगा दिया। गरीब मां लाचार बेटे को लेकर दर-दर भटक रही है, मगर उसकी सुनने वाला कोई नहीं है।

भूकंप से ढही दीवार में दब गया था एजाज

डेयरी कॉलोनी में रहने वाली सनवरा एक प्राइवेट हॉस्पिटल में काम करती हैं। पति की मौत के बाद वह घर का खर्चा चला रही हैं। उनका बेटा एजाज अहमद (ख्ख् साल) भी घर के खर्चे में मां की मदद के लिए मजदूरी करता है। क्ख् मई को कूड़ाघाट स्थित गन्ना शोध केंद्र के पास मजदूरी कर रहा था। तभी अचानक भूकंप के तेज झटकों ने धरती को हिला दिया। झटकों से गन्ना शोध केंद्र की कमजोर दीवार ढह गई जिसमें एजाज दब गया। मलबे में दबा एजाज काफी देर तक वहीं तड़पता रहा। वहां से गुजर रहे दो लड़कों ने उसे डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में एडमिट कराया जहां हाथ में फैक्चर की बात पता चली। एजाज का हाल लेने डीएम रंजन कुमार भी पहुंचे थे और सीएमओ भी।

डीएम का आश्वासन, सीएमओ का आदेश सब बेकार

सुना था डीएम जिले का मालिक होता है। वह जो भी कह दे, सब पूरा हो जाता है। मगर साहब यहां तो कुछ भी नहीं हुआ। रो-रो कर सनवरा का बुरा हाल था। सनवरा ने बताया कि क्ख् मई को भूकंप के बाद जब बेटे को हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया तो डीएम देखने आए थे। उन्होंने मुआवजा देने की बात कही थी। थोड़ी देर बाद सीएमओ भी आए, उन्होंने फ्री इलाज कराने का निर्देश दिया, मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ। डीएम के जाते ही लेखपाल घर पर आया था। पूछताछ की और जल्द मुआवजा देने की बात कही, मगर अब तक न तो मुआवजा मिला और न ही दोबारा लेखपाल आया। वहीं सीएमओ के आदेश के बाद हाथ में कच्चा प्लास्टर चढ़ा दिया। क्0 कर्मचारी ने कच्चा प्लास्टर काट कर ख्ख् मई को पक्का प्लास्टर चढ़ा दिया। ख्फ् मई को अचानक एजाज को चक्कर आया और वह घर पर ही गिर गया। इससे न सिर्फ प्लास्टर टूट गया बल्कि हाथ में भी दोबारा फैक्चर हो गया। सनवरा बेटे को लेकर दोबारा हॉस्पिटल पहुंची। जहां कर्मचारियों ने एजाज को देखने के बजाए उसे भगा दिया। काफी रिक्वेस्ट करने के बाद वे राजी तो हुए, मगर प्लास्टर नहीं काट रहे थे। मजबूरन सनवरा ने खुद बेटे के हाथ से प्लास्टर काटा फिर कर्मचारी के पास लेकर पहुंची। कर्मचारी ने सनवरा से पैसा मांगा। पैसा न देने पर बिना प्लास्टर चढ़ाए उन्हें गालियां देकर भगा दिया। सनवरा भूकंप, सीएमओ और डीएम की दुहाई देती रही, मगर कर्मचारियों ने एक नहीं सुनी।

भूकंप पीडि़तों को मुआवजे की रकम दे दी गई है। एजाज को मुआवजा नहीं मिला है, इसकी जानकारी अभी हुई है। कर्मचारियों की लापरवाही से उसकी चेक नहीं बन सकी थी। जल्द से जल्द उसे मुआवजे की रकम दे दी जाएगी।

अनिल कुमार, तहसीलदार सदर