- चाइनीज झालरों को चुनौती देंगे माटी के दीये

- मिट्टी की किल्लत, फिर भी मार्केट गुलजार

GORAKHPUR : दीपावली पर माटी के दीयों की सोंधी खुशबू महकेगी। मिट्टी की भारी किल्लत के बावजूद दीयों की भारी आवक से मार्केट गुलजार है। देसी दीयों संग गुजराती दीये भी चाइना की लाइट्स को चुनौती देने को तैयार हैं। सिटी में जगह-जगह सजी दुकानें बरबस ही ठिठकने पर मजबूर कर रही हैं।

दो माह से चल रही तैयारी

माटी के दीये बनाने के लिए कुम्हार दो माह से तैयारी में लगे थे। मिट्टी की भारी किल्लत के कारण कुम्हारों को मिट्टी खरीदनी पड़ी। कुम्हारों ने एडवांस में कम से कम 12 सौ रुपए प्रति ट्राली के हिसाब से मिट्टी खरीद ली। दिनरात मेहनत करके दीये तैयार किए। कुम्हारों का कहना है कि साल भर की रोजी-रोटी के लिए दीपावली का पूरे बेसब्री से इंतजार रहता है।

चाइनीज झालरों ने छीनी ली रौनक

दीपावली पर पारंपरिक दीयों की रोशनी चाइनीज झालरों के आगे फीकी पड़ गई थी। पूजा के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले दीयों के अलावा लोग बिजली के झालर का इस्तेमाल करने लगे। इससे दीयों की डिमांड घट गई। मांग घटने और मिट्टी की समस्या उपजने से कुम्हारों के हौसले भी कमजोर पड़ गए। लेकिन इस बार दिवाली पर देसी दीयों के साथ-साथ गुजरात के बने दीये भी मार्केट में उपलब्ध हैं। गुलरिहा एरिया के फेमस टेराकोटा कला के दीये भी बाजार में है। असुरन चौक, मोहद्दीपुर, गोलघर, गोरखनाथ, नौसढ़ सहित कई जगहों पर दीयों का बाजार गुलजार है।

कीट-पतंगें हो जाते हैं खत्म

दीयों के जलाने के कई फायदे विशेषज्ञों ने बताए हैं। पहले लोग पूरे घर को दीये से सजाते थे। बारिश का सीजन खत्म होने और जाड़ा शुरू होने पर कीट-पतंगे परेशान करते हैं। दीया जलने से कीट-पतंगों का प्रकोप कम हो जाता है।

राजनीति के चलते पोखरों से मिट्टी निकालना मुश्किल हो गया। इस वजह से माटी खरीदनी पड़ती है। दीवाली के लिए पहले से पांच ट्राली माटी खरीद ली थी। इस बार 60 रुपए में सौ दीया बिक रहा है।

जमुना प्रजापति, धसका, कौड़ीराम

पारंपरिक दीयों के साथ-साथ लोगों को स्टालिश दीये भी पंसद आ रहे हैं इसलिए बाहर से भी दीया मंगाया गया है। बाहर से खरीद होने की वजह से इनकी कीमत थोड़ी ज्यादा है।

अरविंद, गोरखनाथ