- हुदहुद का गम भूले नहीं कि सताने लगी सूखे की चिंता
-औसत से 36 प्रतिशत कम बारिश के कारण फसलें हो रही बर्बाद
CHAURI CHAURA/GORAKHPUR : पिछले साल आए हुदहुद से हुई फसलों की बर्बादी का गम अभी ताजा ही था कि सूखे की दस्तक ने किसानों की परेशानी और बढ़ा दी है। औसत से 36 प्रतिशत कम बारिश ने जहां लोगों का जीना मुहाल किया है, वहीं सूबे पर सूखे का खतरा मंडराता देख किसानों में की बेचैनी बढ़ गई है। किसान इंद्र देव से मेहराबानी की आस लगाए बैठे हैं। धान की फसल बचाने के लिए किसानों के पास अब मात्र पंपिंग सेट का ही सहारा बचा है।
सूखने लगे हैं धान
इस साल कम बारिश होने से धान की फसलों पर संकट आ गया है। फसल सूखने के कगार पर पहुंच चुकी हैं। इससे किसानों में जबरदस्त मायूसी है। मौसम का मिजाज अगर जरा सा चेंज होने पर किसानों की निगाहें बस आसमान की ओर टिक जा रही हैं। आसमान के बजाए अब किसानों की आंख से पानी बह रहा है। ऐसे में ग्रामीण एरियाज में महज 4 से 6 घंटे ही बिजली मिलने और नहरों में भी पानी सूखने से सिंचाई के लिए किसानों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
प्रशासन से लगाई गुहार
सूखे का खतरा मंडराता देख चौरीचौरा एरिया के किसानों ने संयुक्त रुप से से प्रशासन को पत्र देकर नहरों में पानी और बिजली आपूर्ति ठीक करने की मांग की है। फसल के बारे में बात करते हुए किसान राम किंकर पटेल ने बताया कि हाल में ही धान की रोपनी के समय भी यही स्थिति थी। उस समय भी फसलों में पानी की किल्लत के कारण पंप सेट का सहारा लेना पड़ा था। अगर किसान अपनी पूरी लागत सिंचाई के लिए डीजल में लगा देगा तो साल भर वह खाएगा क्या? ऐसी स्थिति में अब खेती करने में भी डर लगने लगा है।