गोरखपुर (ब्यूरो)।ड्राइविंग लाइसेंस के लिए छह महीने से गोरखपुर यूनिवर्सिटी के वीसी प्रो। राजेश सिंह और सेल्स टैक्स कमिश्नर भी कतार में हैं। सभी प्रॉसेस पूरी करने के बाद भी उन्हें अब तक लाइसेंस नहीं मिल सका है।

केस 1-तारामंडल के रहने वाले मनोज पाल ने चरगांवा डीटीआई में परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस के लिए टेस्ट दिया था। टेस्ट पास करने के बाद भी स्मार्ट कार्ड नहीं मिला।

केस 2-उज्जवल यादव ने 5 जनवरी 2023 को डीटीआई में परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस का टेस्ट दिए थे। लेकिन अभी तक उनके पते पर स्मार्ट कार्ड नहीं पहुंचा। वह आए दिन डीटीआई का चक्कर लगा रहे हैं।

यह दो केस सिर्फ एग्जामपल भर हैं। आए दिन परमानेंट लाइसेंस के लिए कैंडिडेट्स डीटीआर्ई का चक्कर लगा रहे हैं लेकिन उन्हें निराशा हाथ लग रही है। इतना ही नहीं प्रदेश के अन्य जिलों में लगभग 1.30 लाख ड्राइविंग लाइसेंस अभी भी पेंडिंग हैं.जबकि गोरखपुर जिले में 12,340 ड्राइविंग लाइसेंस पेंडिंग हैं।

चिप के आयात पर प्रभाव

स्मार्ट कार्ड तैयार करने व उसे कैंडिडेट्स के पते पर पहुंचाने के लिए निजी एजेंसी नामित है। एजेंसी के लोगों का कहना है कि स्मार्ट कार्ड पर लगने वाला चिप विदेशों से मंगाया जाता है। पिछले साल यूक्रेन रूस युद्ध शुरू होने के बाद फ्रांस, चीन और यूक्रेन आदि दूसरे देशों से चिप के आयात पर प्रभाव पडऩे लगा। चिप की कमी के चलते समय से स्मार्ट कार्ड नहीं बन पा रहे थे। अब चिप का आयात सुचारू रूप से फिर से शुरू होने के साथ स्मार्ट कार्ड भी बनने लगे हैं। कैंडिडेट्स के कार्ड जल्द उनके पते पर पहुंचने शुरू हो जाएंगे।