गोरखपुर (ब्यूरो)।गोरखपुर के करीब 12 हजार और प्रदेश के लगभग एक लाख तीस हजार अभ्यर्थी पिछले लगभग छह माह से स्मार्ट कार्ड का इंतजार कर रहे हैं। लाइसेंस के बिना हजारों अभ्यर्थियों का कार्य रुका पड़ा है। अभ्यर्थियों की परेशानी बढ़ती जा रही है। इसके बाद भी जिम्मेदार संज्ञान नहीं ले रहे हैं।
नियम के तहत डाक के माध्यम से आठ से दस दिन में ड्राइविंग लाइसेंस पहुंच जाना चाहिए, लेकिन अगस्त 2022 से ही अभ्यर्थियों को समय से लाइसेंस नहीं मिल रहा है, जिससे परेशान अभ्यर्थी ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर और आरटीओ विभाग पहुंच रहे हैं, लेकिन निराशा ही हाथ लग रही है। जिले के संबंधित अधिकारी और कर्मचारी हाथ खड़े कर दे रहे हैं। उनका कहना है कि जिला मुख्यालय पर सिर्फ टेस्ट लिए जाते हैं। जिले की रिपोर्ट के आधार पर मुख्यालय लखनऊ में स्मार्ट कार्ड के रूप में ड्राइविंग लाइसेंस बनते हैं और अभ्यर्थी के निर्धारित पते पर भेज जाते हैं। इस कार्य के लिए निजी एजेंसी नामित की गई है। गोरखपुर में प्रत्येक दिन लगभग 50 से 60 परमानेंट और 30 से 40 रिन्युअल ड्राइविंग लाइसेंस बनते हैं।
प्रदेशभर में 1.30 लाख की पेंडेंसी
जानकारी के अनुसार पूरे प्रदेश में परमानेंट व रिन्युअल डीएल की पेंडेंसी लगभग 1.30 लाख की है। अब पेंडेंसी को कम करने के लिए परिवहन विभाग ने भी जोर दिया है।
केस 1- मृत्युंजय त्रिपाठी ने 22 दिसंबर को परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस के लिए टेस्ट दिया था। टेस्ट में वह सफल हो गए थे। एक माह से ऊपर हो गया, लेकिन अभी तक उन्हें लाइसेंस नहीं मिला है।
केस 2-जितेंद्र नाथ ने नवंबर में ही परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस के लिए टेस्ट दिया था। टेस्ट में पास होने के बाद वह करीब दो माह से लाइसेंस का इंतजार कर रहे हैं। परेशान हैं, कहीं लाइसेंस गायब न हो जाए।
मामला संज्ञान में आया है। अभ्यर्थियों को समय से ड्राइविंग लाइसेंस उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए मुख्यालय लखनऊ से भी संपर्क किया जा रहा है।
संजय कुमार झा, एआरटीओ प्रशासन