- लाखों रुपए खर्च कर बनाए गए नाले बन चुके हैं कूड़ेदान

- न साफ-सफाई की व्यवस्था, न ही होता है रखरखाव

GORAKHPUR : जेठ की दुपहरी ढलने को है। एक महीने बाद सावन में बारिश से तन-बदन तो सराबोर होगा, लेकिन सड़कों पर लगा बदबूदार पानी सारा मजा किरकिरा कर देगा। शहर में एक तो सड़कें वैसे ही टूटी-फूटी हैं, ऊपर से डस्टबिन बने नालों ने शहर डुबोने की तैयारी कर दी है। करोड़ों रुपए खर्च कर बनाए गए इन नालों में दुकानदार कूड़ा पाट रहे हैं और प्रशासन चुपचाप सब देख रहा है। बारिश के मौसम में यही कूड़े से पटे नाले उफनाएंगे और शहर को तालाब बना देंगे, लेकिन शायद जिम्मेदारों को ये आशंका नहीं सता रही। तभी तो वे चादर तानकर सोये हुए हैं। बारिश से पहले होने वाली नालों की सफाई भी महज रस्म अदायगी भर होती है। आई नेक्ट रिपोर्टर ने जब शहर के चार प्रमुख हिस्सों में स्थित नालों का रिएलिटी चेक किया तो सारी हकीकत सामने आ गई।

ठेले वालों ने बना दिया कूड़ादान

प्लेस- रेलवे स्टेशन से बस स्टेशन तक

उद्देश्य- रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन और पुलिस लाइन के कुछ हिस्से का पानी निकालने के लिए 90 के दशक में लगभग पांच लाख रुपए की लागत से आधा किलोमीटर लंबा, 5 फीट गहरा नाला बनाया गया था। इस नाले का पानी रामगढ़ताल में गिरता है।

रिएलिटी- रेलवे स्टेशन के सामने और बस स्टेशन के आसपास ठेला लगाने वालों और पटरी दुकानदारों ने पूरे नाले को कूड़ेदान बना दिया है। इस रास्ते पर 50 से ज्यादा ठेले और दुकानें लगती हैं, जिनका सारा कूड़ा इसी नाले में फेंका जाता है। बारिश के सीजन में यही नाला जाम हो जाता है और सारा पानी रोड से होते हुए बहता है।

नाला बन गया डंपिंग यार्ड

प्लेस- अंबेडकर चौराहे से शास्त्री चौक तक

उद्देश्य- कलेक्ट्रेट और अंबेडकर चौराहा एरिया का पानी निकालने के लिए 2000 ई। में लगभग आठ लाख रुपए की लागत से करीब 800 मीटर लंबा, 4 फीट गहरा नाला बनाया गया था। आगे चलकर यह नाला राप्तीनगर बस डिपो वाले नाले में मिल जाता है।

रिएलिटी- अंबेडकर चौराहे से लेकर कलेक्ट्रेट की बाउंड्री के किनारे बना नाला भी कूड़ादान बन चुका है। रोड किनारे ठेला लगाने वाले दुकानदार डेली सारा कूड़ा इसी नाले में डाल देते हैं। अगर इस परिस्थिति में बारिश हो जाए तो कलेक्ट्रेट और शास्त्री चौक पानी से भरा नजर आएगा।

पाट दिया नाला, भर दिया कूड़ा

प्लेस- सेडिका से शास्त्री चौक तक

उद्देश्य- सेंट एंड्रयूज कॉलेज, शास्त्री चौक एरिया का पानी निकालने के लिए 1997-98 में लगभग चार लाख रुपए की लागत से करीब 500 मीटर लंबा, 2 फीट गहरा नाला बनाया गया। ये नाला आगे जाकर दीवानी कचहरी वाले नाले में मिल जाता है।

रिएलिटी- सेंट्र एंड्रयूज कॉलेज की बाउंड्री से सटा नाला नजर नहीं आता। ठेले व खोमचे वालों ने नाले को पूरी तरह पाट दिया है। नगर निगम हर बार इस नाले की सफाई करता है और फिर हालात वैसे ही हो जाते हैं। बारिश में अक्सर नाला जाम होकर जल-जमाव का कारण बनता है।

इसको कूड़ादान बनाने की तैयारी है

प्लेस- दीवानी कहचरी के सामने

उद्देश्य- दीवानी कहचरी, अंबेडकर चौराहा, जजेज कॉलानी का पानी निकालने के लिए लगभग साढ़े तीन लाख रुपए की लागत से करीब 350 मीटर लंबा, 5 से 6 फीट तक गहरा नाला बनाया गया। ये नाला आगे जाकर बेतियाहाता के बड़े नाले में मिल जाता है।

रिएलिटी- ये नाला भी कूड़े से पाट दिया गया है। कचहरी के सामने लगने वाली सब्जी मंडी का सारा कूड़ा इसी नाले में गिराया जाता है। यहां के सफाईकर्मी भी मानते हैं कि नाले की सफाई बहुत मुश्किल होती है। बारिश में यही नाला पूरी सब्जी मंडी को कीचड़ से भर देता है।

बार-बार अतिक्रमण हटाकर नालों में कूड़ा फेंकने से मना किया जाता है, लेकिन दो से तीन बाद फिर अतिक्रमण हो जाता है। दुकानों का कूड़ा फिर नालों में फेंका जाने लगता है। जल्द अभियान चलाकर फिर कार्रवाई की जाएगी।

राजेश कुमार त्यागी, नगर आयुक्त