गोरखपुर (ब्यूरो)।इस बीमारी से प्रभावित बच्चों में कम बोलना, कम समझना जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं। ऐसे में पेरेंट्स बच्चों को लेकर नाक, कान, गला (ईएनटी) रोग विशेषज्ञ के पास पहुंच रहे हैं। कई दिन दवा खाने के बाद भी रोग नहीं ठीक हो रहा तब, ईएनटी एक्सपर्ट उन्हें साइकोलॉजिस्ट के पास रेफर कर रहे हैं। आए दिन दर्जनों केस ऐसे साइकोलॉजिस्ट के पास आ रहे हैं।
स्कूल में इधर-उधर देखते हैं बच्चे
पेरेंट्स के पास स्कूल से टीचर्स की कंप्लेन आती है कि उनका बच्चा क्लास टाइम में खोया रहता है। जो भी पढ़ाया जाता है, वह उसे बता नहीं पाता है। ऐसे लक्षण भी ऑटिज्म के हो सकते हैं। यही नहीं साइको थेरेपी के दौरान उसकी प्रगति जानने के लिए साइकोलॉजिस्ट बच्चे की टीचर से भी संपर्क करते हैं।
इस तरह होती है साइको थेरेपी
साइकोलॉजिस्ट की मानें तो यह रोग रेगुलर साइको थेरेपी से दूर किया जा सकता है। इसके लिए पेरेंट्स को भी अवेयर होना होगा। छुट्टियों के समय बच्चे के दिमाग पर कम प्रेशर होता है। इसलिए इस टाइम एक घंटे की साइको थेरेपी होती है। वहीं स्कूल खुलने के बाद बच्चे की साइको थेरेपी डेढ़ घंटे की होती है। साइकोलॉजिस्ट ने बताया कि अब बच्चे पर अधिक प्रेशर है, वह स्कूल में हर चीज आसानी समझ सके। इसके लिए थेरेपी की टाइमिंग बढ़ाई जाती है। इन दिनों में बच्चे सोसाइटी में अर्जेस्ट कर सकें, इसके लिए उन्हें लिखने, कैचिंग और पढऩे की ट्रेनिंग दी जाती है। एक से डेढ़ साल रेगुलर साइको थेरेपी कराने पर बच्चा सामान्य हो जाता है।
ऑटिज़्म से प्रभावित बच्चों में लक्षण
1. दूसरे बच्चों से घुलने-मिलने से बचना
2. अकेले रहना
3. खेलकूद में हिस्सा ना लेना या रुचि ना दिखाना
4. किसी एक जगह पर घंटों अकेले या चुपचाप बैठना, किसी एक ही वस्तु पर ध्यान देना या कोई एक ही काम को बार-बार करना
5. दूसरों से सम्पर्क ना करना
6. अलग तरीके से बात करना जैसे प्यास लगने पर मुझे पानी पीना हैÓ कहने की बजाय क्या तुम पानी पीओगेÓ कहना
7. बातचीत के दौरान दूसरे व्यक्ति के हर शब्द को दोहराना
8. सनकी व्यवहार करना
9. किसी भी एक काम या सामान के साथ पूरी तरह व्यस्त रहना
10. खुद को चोट लगाना या नुकसान पहुंचाने के प्रयास करना
11. गुस्सैल, बदहवास, बेचैन, अशांत और तोड़-फोड़ मचाने जैसा व्यवहार करना
12. किसी काम को लगातार करते रहना जैसे, झूमना या ताली बजाना
13. एक ही वाक्य लगातार दोहराते रहना
14. दूसरे व्यक्तियों की भावनाओं को ना समझ पाना
15. दूसरों की पसंद-नापसंद को ना समझ पाना
16. किसी विशेष प्रकार की आवाज़, स्वाद और गंध के प्रति अजीब प्रतिक्रिया देना
17. पुरानी स्किल्स को भूल जाना
ऑटिज्म एक गंभीर बीमारी है। इसका समय रहते प्रॉपर इलाज नहीं किया गया तो यह आजीवन परेशान करती रहेगी। एक से डेढ़ साल तक रेग्युलर साइको थेरेपी ही इसका सटीक इलाज है। इसमें दवा नहीं बच्चे को ट्रेनिंग दी जाती है। बच्चे को समाज में अर्जेस्ट करना सिखाया जाता है।
डॉ। आकृति पाण्डेय, साइकोलॉजिस्ट