गोरखपुर (ब्यूरो)। हमारे आसपास पनप रहा एक छोटा सा मच्छर जानलेवा साबित हो सकता है। मच्छर के काटने से आप कोमा में भी जा सकते हैं। इसलिए अलर्ट रहने की जरूरत है।
एशियन टाइगर मच्छर का साइंटिफिक नाम एडीज अल्बोपिक्टस है। यह खतरनाक होते हैं। दरअसल, इसके अंडे सालभर तक मिट्टी या किसी जगह पर पड़े रह सकते हैं और बारिश में या पानी मिलने पर इसमें से लार्वा निकल आता है। इसे सबसे आक्रामक मच्छर भी माना जाता है। ये काफी तेज और एक साथ कई बार डंक मारने के लिए भी जाना जाता है। ये मच्छर किसी इंसान से काफी मात्रा में ब्लड लेकर किसी दूसरे व्यक्ति के शरीर में वायरस पहुंचा सकता है। डेंगू, चिकनगुनिया, यलो फीवर, जीका वायरस और वेस्ट नाइल वायरस से होने वाली बीमारियां ज्यादातर ये मच्छर ही फैलाता है। ये मच्छर अंधेरे का इंतजार नहीं करता है। ये दिन में भी डंक मारता है।
टाइगर के शरीर की तरह होते हैं मच्छर
टाइगर (एडीज) मच्छर के शरीर पर काली और सफेद धारियां होती हैं। ये धारियां किसी टाइगर की धारियों जैसे पैटर्न बनाती हैं। इसीलिए इस मच्छर का नाम टाइगर मच्छर पड़ा।
15 अगस्त से डोमेस्टिक ब्रीट चेकर सर्वे की शुरुआत
मलेरिया अधिकारी अंगद सिंह ने बताया, 15 अगस्त के बाद से डोमेस्टिक ब्रीट चेकर टीम सर्वे का कार्य करेगी। इसमें नगर निगम, नगर पंचायत और मलेरिया विभाग की 60 टीमें शामिल की गई हैं। सुबह शाम क्षेत्र में फांगिंग और एंटी लार्वा का छिड़काव करवाया जा रहा है। टाइगर मच्छर के शरीर पर काली और सफेद धारियां होती हैं। यह मच्छर घातक होता है। साफ पानी में पनपते हैं। आशा कार्यकर्ता और हेल्थकर्मी लोगों को जागरूक कर रहे हैं। यह अभियान नवंबर तक चलेगा।
ये हैं सिंप्टम्स
तेज पेट दर्द, उल्टी
सांस लेने में दिक्कत
सिर चकराना
बुखार आना
नाक और मसूड़ों में ब्लड निकलना
थकान, बेचैनी, लिवर में सूजन उल्टी या मल में ब्लड आना
आंखों में दर्द, सिर दर्द और स्किन एलर्जी शामिल हैं।
इस तरह करें बचाव
घरों के आसपास पानी एकत्रित ना होने दें।
घर के आसपास की झाडिय़ां या घास कटवा दें।
सप्ताह में कूलर, फूलदान, पशु व पक्षियों के बर्तन को साफ करें।
पुराने टायर, डिस्पोजल कप, कबाड़ में पानी जमा न होने दें।
पानी के बर्तन व टंकी की पूरी तरह ढक कर रखें।
नाली व गमलों में पानी जमा न होने दें।
खिड़की पर जाली लगाएं व मच्छरदानी का प्रयोग करें।
मच्छर के काटने से बचें, पूरे बाजू के कपड़े पहनें।
बीते साल आए डेंगू केस
वर्ष केस
2017 11
2018 25
2019 114
2020 09
2021 67
2022 318
2023 05
(नोट: यह आंकड़ा मलेरिया विभाग के अनुसार 11 अगस्त 2023 तक का है.)
ठहरे हुए पानी में डेंगू के लार्वा पनपते हैं। इसलिए पब्लिक से अपील है कि वह आसपास साफ सफाई रखें, पानी को बराबर बदलें। अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें। मलेरिया, डेंगू आदि बीमारियों से बचाव जरूरी है। डेंगू से बचाव व एंटी लार्वा के छिड़काव के साथ-साथ इलाज के लिए बेड रिजर्व कर लिए गए हैं।
डॉ। आशुतोष कुमार दुबे, सीएमओ गोरखपुर