गोरखपुर (ब्यूरो)।हालत यह हो गई है कि फ्री इलाज और मुफ्त दवा की ख्वाहिश में लंबा सफर तय करके पहुंचने वाले मरीजों को जिला अस्पताल पहुंचकर झटका लग रहा है।
केस 1-झंगहा की रहने वाली साबिया के कान में तकलीफ थी। वह अपने मां के साथ ईएनटी ओपीडी में दिखाने के लिए आई। डॉक्टर ने एक रुपए की सरकारी पर्चे पर दवा तो लिखी ही, साथ ही एक छोटी पर्ची पर बाहर की दवा लिख दी। साबिया की मां पर्ची लेकर पहले दवा काउंटर पर पहुंची, जहां से दवा लेने के बाद बाहर के मेडिकल स्टोर पर गई। मेडिकल स्टोर पर उन्हें 500 रुपए की दवाएं मिली।
केस 2-कुशीनगर के रहने वाले पवन अपने तीन वर्षीय बेटे अंश को लेकर बाल रोग विभाग की ओपीडी में पहुंचा। ओपीडी में डॉक्टर को बेटे के मर्ज के बारे में जानकारी दी। वह कई दिनों से बीमार चल रहा था। डॉक्टर ने एक रुपए की पर्ची पर कुछ दवाएं लिखी। इसके बाद एक छोटे से पर्ची पर बाहर की दवाएं लिखी। पवन बेटे के साथ दवा लेने के लिए बाहर चला गया।
केस 3- बरगदवा की रहने वाली निकिता शर्मा कई दिनों से बीमार चल रही थीं। वह मेडिसिन ओपीडी में पहुंची। डॉक्टर ने परामर्श देने के बाद सरकारी पर्चे पर दवाएं लिखी। इसके बाद एक छोटी पर्ची पर भी दवाएं लिखकर बाहर लेने के लिए कहा। उन्होंने मजबूरी में बाहर से दवा खरीदी।
यह तीन केस सिर्फ एग्जामपल भर हैं। रोजाना दर्जनों मरीज अस्पताल के अलावा बाहरी दवा भी ले रहे हैं, जिससे मरीजों की जेब का बोझ तो बढ़ रहा है, लेकिन जिला अस्पताल के बाहर मेडिकल स्टोर वालों की चांदी हो गई है। हर वक्त वहां 5-8 लोग दवा के लिए लाइन लगाए ही रहते हैं।
ड्रग स्टोर में स्टॉक मौजूद
जिला अस्पताल में इसको लेकर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट रिपोर्टर ने रियल्टी चेक किया। यहां पहले तो मरीज अपने प्रिस्क्रिब्शन के साथ छोटी पर्ची ले जाते नजर आए। वहीं गेट के बाहर मेडिकल स्टोर पर मरीजों की लाइन भी नजर आई। जब मरीजों से पूछा गया, तो उन्होंने बताया कि डॉक्टर साहब ने कुछ दवाएं जो पर्चे पर लिखी हैं, वह तो अंदर से मिल गई हैं, लेकिन जो दवाएं छोटी पर्ची पर लिखी हैं, वह यहां नहीं मिल रही हैं। इसको लेने के लिए बाहर जाना पड़ रहा है। सरकारी अस्पतालों में ऐसा एक-दो नहीं करीब-करीब हर मरीज के साथ हो रहा है। मरीजों के अटेडेंट कहते हैं कि डॉक्टर जो दवा लिखते हैं उसे खरीदना उनकी मजबूरी है।
नहीं लिख सकते हैं बाहर की दवाएं
नियम यह है कि सरकारी अस्पताल के डॉक्टर मरीजों को बाहर की दवाएं नहीं लिखेंगे। बावजूद इसके अब भी छोटी पर्ची पर दवाएं लिखी जा रही है। यह काफी समय से चल रहा है, लेकिन इस पर अंकुश लगाने में भी जिम्मेदार फेल साबित हो रहे हैं। ओपीडी में आने वाले हर मरीज को सरकारी पर्ची के साथ एक छोटी सी पर्ची पर बाहर की दवाएं लिखी मिल रही है। सोर्सेज की मानें तो इससे डॉक्टर्स को कमिशन के तौर पर अच्छी कमाई होती है, इसलिए वह सारी दवा तो नहीं, लेकिन कुछ दवाएं बाहर की लिख ही दे रहे हैं।
ओपीडी संख्या
मेडिसिन 220
स्किन 150
ऑर्थो 250
बाल रोग विभाग 175
ईएनटी 100
मानसिक विभाग 125
हार्ट रोग विभाग 200
बाहर की दवाएं लिखने पर रोक लगाई गई हैं। साथ ही डॉक्टर्स को सख्त हिदायत दी गई है। इसके बाद भी बाहर की दवाएं लिखी जा रही है तो इसकी जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।
- डॉ। राजेंद्र ठाकुर, एसआईसी जिला अस्पताल