-महिला जिला अस्पताल में ओटी में लेबर पेन से कराहती महिला को स्टाफ नर्स और दाई ने पीटा

-आरोप है कि दोनों मांग रहे थे दो हजार रुपए

-नवजात को सिर पर भी थे चोट के निशान

GORAKHPUR : भगवान को किसी ने नहींदेखा, वह एक आस्था है। धरती पर भी ऐसी ही आस्था ने कुछ मनुष्यों को भगवान का दर्जा दे दिया है और मंदिर का रूप दे दिया है अस्पताल को। वहां काम करने वाला हर व्यक्ति मरीज के लिए भगवान के बराबर ही होता है। चाहे वे नर्स हों या डॉक्टर। क्योंकि मरीज जानता है कि आज उसकी सांसे अगर हैं तो उन्हींकी बदौलत। ऐसे में अगर कोई भगवान शैतान बन बैठे तो तो मरीज क्या करें। ऐसा ही कुछ हुआ एक सरकारी अस्पताल में, जहां एक प्रसूता को सिर्फ इसलिए पीटा गया क्योंकि उसने पैसे देने से मना कर दिया था।

पूरे समाज और संस्कृति को शर्मसार कर देने वाली यह घटना किसी झोलाछाप डॉक्टर के यहां नहींबल्कि महिला जिला अस्पताल में हुई। घटना से सिटी के लोग स्तब्ध हैं। उन्हें विश्वास नहींहो रहा है कि भला कोई नवरात्र जैसे पवित्र दिनों में एक महिला को पीट सकता है। वह भी तब जब एक नए जीवन को जन्म देने वाली हो।

क्या है मामला

मंगलवार को सुबह साढ़े नौ बजे जिला अस्पताल में एहसान आलम खान अपनी पत्‍‌नी नसीमा खातून की डिलीवरी कराने जिला अस्पताल पहुंचे। जहां उन्हें लेबर रूम के वार्ड नंबर छह में भर्ती कराया गया। शाम होते-होते नसीमा का लेबर पेन बढ़ने लगा। इसके बाद नसीमा को ऑपरेशन थियेटर ले जाया गया। वहां जो कुछ हुआ उसने मेडिकल प्रोफेशन के मुंह पर कालिख पोत दी।

ओटी में मांग रहे थे दो हजार रुपए

एक तरफ नसीमा दर्द से कराह रही थी तो दूसरी तरफ उनकी हेल्प के लिए तैनात दाई हबीबुल निशां और स्टाफ नर्स नीलम उनसे दो हजार रुपए मांग रही थी। पैसा न देने पर दोनों ने उस पर थप्पड़ों की बरसात कर दी। आरोप तो यह भी है कि उन्होंने उसकी छाती पर बैठ गए और घूंसे मारे। मां को चोट लग ही रही थी, चोट का असर उस अजन्मे बच्चे पर हो रहा था। मां की इस कराह के दौरान एक मासूम का जन्म हुआ। जो बच्चा पैदा हुआ उसके सिर पर चोटें थी। जन्म देने वाली मां को कितनी बेरहमी से पीटा गया था इसका अंदाजा इसी से लग जाता है। उधर ओटी में हुई घटना का परिजनों ने इसका विरोध और हंगामा किया। उन्होंने पूरे मामले की जानकारी टोल फ्री नंबर क्800-क्80-भ्क्ब्भ् पर दी। उधर तब तक मामला जिला अस्पताल एसआईसी सुनीता कुमार के संज्ञान में पहुंचा तो वे रात क्क् बजे जिला अस्पताल पहुंची। वहां पीडि़त परिवार ने अपनी व्यथा सुनाई।

नवजात को भर्ती कराया मेडिकल कॉलेज में

स्थिति गंभीर होने पर नवजात को आनन-फानन में बीआरडी मेडिकल कॉलेज में भेजा गया, जहां उसका इलाज चल रहा है। वहींउसकी मां नसीमा अब भी महिला जिला अस्पताल के लेबर रूम में भर्ती है। वह बस इतना चाहती है कि उसका लाल ठीक हो जाए। अब उसे अपना दर्द याद ही नहीं, वह तो बस चाहती है कि उसका लाल जल्द से जल्द उसकी गोदी में आ जाए।

मामला गंभीर है और मेरी जानकारी में है। इसकी जांच कराई जा रही है। दोषी पाए जाने पर नर्स और दाई के खिलाफ सख्त से सख्त से कार्रवाई की जाएगी।

डॉ। सुनीता कुमार, एसआईसी, जिला महिला अस्पताल