गोरखपुर (ब्यूरो)। मगर आलम यह है कि इंसेफेलाइटिस के पेशेंट्स के इलाज के लिए संचालित सरकारी केद्रों में विशेषज्ञ डॉक्टर्स के 70 परसेंट पद रिक्त हैं। इससे जहां इलाज में मरीजों को दिक्कत आ रही है, वहीं मरीजों डॉक्टर्स को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

बच्चों के डॉक्टर की जबरदस्त कमी

मंडल में बाल रोग विशेषज्ञों के 27 स्वीकृत पद में से 21 रिक्त हैं। पीआईसीयू में एमबीबीएस डॉक्टर्स के 12 पद हैं, जिनमें से 10 रिक्त हैं। गोरखपुर के मिनी पीकू में बाल रोग विशेषज्ञों के छह पद में से चार पद रिक्त हैं। महराजगंज और देवरिया के मिनी पीकू ओर पीआईसीयू में बाल रोग विशेषज्ञ के सभी पद खाली हैं। कुशीनगर में मिली पीकू में चार बाल रोग विशेषज्ञों के सापेक्ष केवल एक तैनात हैं। पूर्वी यूपी में वर्ष 1972 से इंसेफेलाइटिस का कहर चल रहा है। मंडल में गोरखपुर सबसे ज्यादा प्रभावित जिला माना जाता है। मंडल की संवेदनशीलता को देखते हुए यहां 59 इंसेफेलाइटिस ट्रीटमेंट सेंटर ईटीसी, सीएचसी में संचालित आठ मिली पीआईसीयू, पीकू और जिला अस्पताल में चार पीडियाट्रिक आईसीयू पीकू हैं।

संचालित हैं पीकू और मिनी पीकू

ईटीसी में 212 बेड, मिनी पीकू में वेंटिलेटर युक्त 24 बेड और चार पीकू में 57 बेड वेंटिलेटर युक्त हैं। चार जिलों के सरकारी अस्पतालों में 293 बेड के अलावा मेडिकल कॉलेज में इंसेफेलाइटिस पेशेंट्स के लिए 323 बेड का वार्ड संचालित है। गोरखपुर में चौरीचौरा, पिपरौली और गगहा के सीएचसी में मिली पीआईसीयू संचालित हैं। कुशीनगर में कप्तानगंज और हाटा, महराजगंज में नौतवना व निचलौल और देवरिया में रूद्रपुर में मिली पीआईसीयू का संचालन हो रहा है।

वार्डो में नहीं हैं नर्स

ऐसा नहीं कि विभाग सिर्फ डॉक्टर्स के अभाव से ही जूझ रहा है। इंसेफेलाइटिस पेशेंट्स के लिए संचालित वार्डो में नर्से भी नहीं हैं। गोरखपुर में 55, कुशीनगर में 35, देवरिया में 27 और महराजगंज में नर्सो के 18 पद खाली हैं। मंडल में 59 ईटीसी पर स्वीकृत नर्सो के 236 पद में 102 रिक्त हैं। गोरखपुर में 38, कुशीनगर में 28, देवरिया में 16 और महराजगंज में 15 पद शामिल हैं। मिनी पीकू में नर्सो के 32 पदों के सापेक्ष 12 रिक्त हैं जबकि पीकू में नर्सो के 110 में से 26 पद रिक्त हैं।

वर्जन

मंडल के जिलों में बाल रोग विशेषज्ञों के पद रिक्त हैं। इन पदों पर तैनाती के लिए शासन को पत्र लिखा गया है। जल्द ही खाली पद भरे जाएंगे।

डॉ। रमेश गोयल, एडी हेल्थ