- रामगढ़ताल के किनारे बने तीन एसटीपी अभी तक नहीं जुड़ पाई 24 घंटे की बिजली से

- एसटीपी को मिल रही है डेली 19 से 20 घंटे बिजली

GORAKHPUR: रामगढ़ताल परियोजना से ग्रहण कम होने का नाम नहीं ले रहा है। अभी तक कार्यदायी संस्था ने फिर एक बार अपनी लापरवाही दिखाते हुए परियोजना को कुछ और दिन के लिए टाल दिया है। परियोजना को चलाने के लिए 24 घंटे की बिजली की जरूरत होने के बाद भी अभी तक इसको रोस्टरिंग लाइन से जोड़ा गया है। इसके कारण अभी तक रेगुलर मशीन काम नहीं कर रही है। अगर यह इस लाइन से इन मशीनों को जोड़ा नहीं गया तो रामगढ़ताल की सुंदरता पर फिर से ग्रहण लग सकता है।

चार घंटे का पानी कहां जाता है

रामगढ़ताल के किनारे तीन तरफ सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाया गया है। योजना में था कि इस एसटीपी को 24 घंटे की सप्लाई लाइन से जोड़ने का था, लेकिन एसटीपी को 19 से 20 घंटे बिजली मिल रही है, जबकि 24 घंटे सप्लाई न होने के मामले में जल निगम और बिजली विभाग एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। ऐसे में खामियाजा पब्लिक और रामगढ़ताल को भुगतना पड़ रहा है। स्थिति यह है कि कई बार तेल से एसटीपी चलाकर पानी निकाल रहे हैं तो कई बार नाला ही बंद कर देते हैं। नाला बंद होने की दशा में शहर का जल निकासी व्यवस्था पूरी तरह से ठप हो जाता है। वहीं बारिश के बाद अगर बिजली गुल हो जाती है तो नाले का पानी सीधे रामगढ़ताल में चला जाता है।

डेली 70020 रुपए का जलेगा डीजल

जल निगम के एसपी सिंह ने बताया कि जब मशीन लगकर तैयार हो गई थी तक एक दिन 24 घंटे टेस्टिंग के लिए चलाया गया था। उसमें पैड़लेगंज में लगी मशीन 87 लीटर प्रति घंटा और आरकेबीके पास मशीन 45 लीटर प्रति घंटे खपत है। पहले दिन डीजल से टेस्टिंग किया गया तो इन दोनों मशीनों ने 24 घंटा में 1167 लीटर का खपत किया था। इस तरह देखा जाए तो 60 रुपए लीटर डीजल है। अगर यह मशीन 24 घंटा चलाया जाए तो कुल 70020 रुपए का डीजल ख्ार्च आएगा।

अप्रैल 2010 में शुरू हुई थी योजना

शहर का गंदा पानी रामगढ़ताल गिराया जाता था। इसको रोकने के लिए लगातार आंदोलन किया होता रहता था। केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय झील संरक्षण परियोजना में इस ताल को चयन कर लिया और अप्रैल 2010 में इस ताल के सौंदर्यीकरण की जिम्मेदारी जल निगम को मिली। शुरू में इस परियोजना की लागत 124.32 करोड़ रुपए थी और तीन साल में यह योजना बन कर तैयार होनी थी। लगातार लेट होने के कारण यह योजना लेट होती गई और बाद में इसकी लागत 196 करोड़ रुपए हो गई। इस परियोजना में शहर से निकले वाले 15 से 30 एमएलडी गंदे पानी को दो सीवेज प्लांट के माध्यम से शुद्ध करके रामगढ़ताल में गिराना था। इसमें ताल के सौंदर्यीकरण के साथ ही साथ ताल के किनारे पर बांध बनाने का काम करना था, तीन साल में पूरा होने वाला बांध दो साल बाद भी बन तो गया है, लेकिन बिजली सप्लाई न होने के कारण अधूरा पड़ गया है।

वर्जन

बिजली विभाग को 24 घंटे सप्लाई देने के लिए पत्र लिखा गया है और बिजली विभाग को पत्र लिख दिया गया है, लेकिन बिजली विभाग की लापरवाही के कारण एसटीपी पर 24 घंटे सप्लाई लाइन से नहीं जोड़ा जा रहा है।

रतनसेन सिंह, प्रोजेक्ट मैनेजर रामगढ़ताल