गोरखपुर (ब्यूरो)।नगर निगम में यूं तो कई समस्याएं हैं, लेकिन इस शिद्दत की गर्मी में जब संक्रमित रोग बढ़ गए हैं, उस दौर में निगम का अपना संक्रामक अस्पताल ही बीमार पड़ा हुआ है। सुविधाओं के नाम पर लोगों को कुछ नहीं मिल पा रहा है, जबकि यहां पहुंचने वाले मरीजों का इलाज करने के बजाए उनको जिला अस्पताल भेजा जा रहा है। ऐसे में जिम्मेदारों को बजाए दूसरे अस्पतालों का निरीक्षण करने के पहले अपने संक्रामक अस्पताल का निरीक्षण करने की जरूरत है।

अस्पताल में सिर्फ तीन स्टाफ

महानगर में संक्रामक रोग से पीडि़त मरीजों के इलाज के लिए नगर निगम अस्पताल का संचालन करता है। संक्रमित मरीजों का इलाज करने वाला यह अस्पताल कोरोना कॉल से खुद ही बीमार है। अस्पताल में सिर्फ तीन स्टाफ तैनात हैं, लेकिन डॉक्टर नहीं होने की वजह से अस्पताल पूरी तरह से बंद पड़ा है। यहां इलाज के लिए आने वाले डायरिया के मरीजों को भी जिला अस्पताल भेजा जा रहा है। जबकि एक दिन पूर्व नगर निगम मेयर ने जिला अस्पताल का निरीक्षण की व्यवस्था परखी थी, लेकिन नगर निगम के जिम्मेदार उन्हें अपने संक्रामक अस्पताल तक नहीं ले गए। अस्पताल में मरीजों का इलाज ठप होने से यहां आने वाले मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

अस्पताल में डॉक्टर और नर्स नहीं हैं तैनात

अस्पताल में डॉक्टर का एक पद रिक्त है। पूर्व मेयर ने सीएमओ से पहल की थी, लेकिन अभी तक डॉक्टर की तैनाती नहीं हो सकी है। भीषण गर्मी में जहां डायरिया के मरीजों की संख्या प्रतिदिन 50 से 60 तक पहुंच गई है। जिन्हें जिला अस्पताल के लिए भेजा जा रहा है। 10 बेड के अस्पताल में 10 और फोल्डिंग चारपाई बिछाई गई है। फार्मासिस्ट शकील और वार्ड ब्वाय अमीन, दाई और दो स्वीपर की तैनाती है। इन कर्मियों के सहारे अस्पताल की जिम्मेदारी है। वहीं, अस्पताल में सबसे बड़ी कमी नर्स की है। जिसके चलते अस्पताल में मरीजों का इलाज नहीं हो पा रहा है।

9137 में हुई अस्पताल की स्थापना

इस अस्पताल की स्थापना चार अप्रैल वर्ष 1937 में हुई। तत्कालीन नगर पालिका के चेयरमैन विंध्यवासिनी प्रसाद वर्मा और बाबू राधा रमन दास ने शहर में संक्रामक रोग अस्पताल के लिए तत्कालीन कमिश्नर हार्बट के सामने प्रस्ताव रखा। कमिश्नर से मंजूरी मिलने के बाद विंदेश्वरी प्रसाद संक्रामक रोग अस्पताल की शुरुआत हुई।

संक्रामक अस्पताल के वार्ड को बनाया स्टोर

जिला का संक्रामक अस्पताल अब स्टोर बन कर रह गया है। वार्ड में मरीज के भर्ती करने की जगह अब सामान रखे जा रहे हैं। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस गर्मी में जहां मरीजों का इलाज किया जाना था, अब वह सिर्फ स्टोर बन कर रह गया है।

अस्पताल में नहीं है दवाएं

संक्रामक अस्पताल के फार्मासिस्ट शकील ने बताया कि कोरोना कॉल से ही अस्पताल में डायरिया से संक्रमित मरीजों की दवाओं को टोटा है। कई बार दवाओं के लिए डिमांड भेजी गई, लेकिन अभी तक सप्लाई नहीं आई है।

इन दवाओं का टोटा

नॉरफ्लॉक्स

नॉरफ्लॉक्स टीजेड

मेट्रोजिल

पेरिनॉल टेबलेट

मेफटाल स्पास

नार्मल स्लाइन

डेस्टोज नार्मल स्लाइड

रिंगलेक्टेड

मेट्रोजिल बोतल

सिप्लॉक्स बोतल

मिक्सीन इंजेक्शन

टैक्सीन

स्प्रीट, कॉटन, आईवी सेट आदि

पहले गर्मी में आते थे मरीज

2018-1373

2019-1617

2020-2061

2021-2077

संक्रमण अस्पताल को लेकर नगर आयुक्त, नगर स्वास्थ्य अधिकारी, सीएमओ से वार्तालाप किया जाएगा। अस्पताल को फिर शुरू करने की कोशिश की जाएगी।

- डॉ। मंगलेश श्रीवास्तव, मेयर